Shankar Dayal Sharma / डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा भारतीय गणराज्य के नौवें निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में जाने जाते हैं। इनकी महात्मा गांधी पर अगाध निष्ठा थी। यह भारतीय जीवन मूल्यों के प्रतीक समझे जाते हैं। सादगी से भरा इनका जीवन किसी को भी प्रभावित कर सकता था। देश का सर्वोच्च पद प्राप्त करने के बाद भी यह बेहद सरल स्वभाव के थे। स्वतंत्रा सेनानी रहे डॉक्टर शर्मा अत्यंत विद्वान थे और राष्ट्रपति बनने से पूर्व भारत के उपराष्ट्रपति भी थे। उपराष्ट्रपति पद के हेतु इनका चुनाव निर्विरोध संपन्न हुआ था। इसके पूर्व डॉक्टर राधाकृष्णन तथा जस्टिस एम हिदायतुल्ला भी निर्विरोध उप राष्ट्रपति चुने गए थे।
शंकर दयाल शर्मा का परिचय – Shankar Dayal Sharma Biography in Hindi
पूरा नाम | शंकरदयाल शर्मा (Shankar Dayal Sharma) |
जन्म दिनांक | 19 अगस्त, 1918 |
जन्म भूमि | भोपाल |
मृत्यु | 26 दिसम्बर, 1999, नई दिल्ली |
पिता का नाम | श्री खुशीलाल शर्मा |
माता का नाम | श्रीमती सुभद्रा देवी |
पत्नी | विमला शर्मा |
कर्म-क्षेत्र | राजनितिक |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | कांग्रेस |
पद | भारत के 9वें राष्ट्रपति |
शंकरदयाल शर्मा भारत के स्वतंत्रता संग्राम’ में मुख्य रूप से भाग लिया था। शंकरदयाल शर्मा बहुत गंभीर व्यक्तित्व वाले इंसान थे। काम के प्रति वह बेहद संजीदा थे। इसके अलावा वह संसद के नियम-कानून का सख्ती से पालन करते और उनका सम्मान करते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि एक बार राज्यसभा में एक मौके पर वे इसलिए रो पड़े थे, क्योंकि राज्यसभा के सदस्यों ने किसी राजनीतिक मुद्दे पर सदन को जाम कर दिया था।
प्रारंभिक जीवन और पृष्टभूमि – Early Lofe of Shankar Dayal Sharma
शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को भोपाल मे ‘दाई का मोहल्ला’ में हुआ था। उस समय भोपाल को नवाबों का शहर कहा जाता था। अब यह मध्यप्रदेश में हैं। भोपाल को प्राचीन नगर के रूप में भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम पंडित खुशीलाल शर्मा था और वह एक प्रसिद्ध वैग्घ थे। इनकी माता का नाम श्रीमती सुमित्रा देवी था।
डॉक्टर शर्मा ने मिडिल स्तर की परीक्षा ब्रिजिसिया स्कूल के माध्यम से दी। इसके बाद एलेक्जेंडर स्कूल से इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। एलेक्जेंडर स्कूल वर्तमान में हमीदिया स्कूल के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार स्कूल स्तर की परीक्षा उन्होंने भोपाल में रहते हुए उत्तीर्ण की। फिर उच्च शिक्षा सेंट जॉन्स कॉलेज, आगरा तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से और स्नातकोत्तर उपाधि हिंदी, संस्कृत एवं अंग्रेजी साहित्य मे प्राप्त की। तत्पश्चात लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि की स्नाकोत्तर उपाधि प्राप्त की।
डॉ शर्मा की ज्ञान-पिपासा शांत नहीं हुई। उन्होंने फिट्ज़ विलियम कॉलेज (कैंब्रिज विश्वविद्यालय) से पीएचडी की। पीएचडी में इनका विषय ‘इंटरप्रिटेशन ऑफ लेजिसलेटिव पावर इन फ़ेडरल कॉन्स्टिट्यूशन’ था। इन्होने लंदन विश्वविद्यालय से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विषय में डिप्लोमा किया। कानून की पढ़ाई लिंकस इन्नान एवं हॉवर्ड लो स्कूल, ज्यूरिच विश्वविद्यालय तथा पेरिस विश्वविद्यालय से की। इन्होने उर्दू के विद्वान के रूप मे ‘अलीम फाज़िल’ की उपाधि प्राप्त की।
7 मई 1950 को 21 वर्ष की अवस्था में श्री शर्मा का विवाह विमला शर्मा के साथ संपन्न हुआ। इस समय विमला शर्मा ने स्नाकोत्तर परीक्षा दी थी और उसका नतीजा शादी के कुछ समय बाद आया था। इनका विवाह जयपुर में संपन्न हुआ था। शर्मा दंपँति को दो पुत्र एवं दो पुत्रियों की प्राप्ति हुई।
राजनैतिक जीवन – Shankar Dayal Sharma Life History in Hindi
अध्यापन के दौरान डॉ शर्मा पर देश की तत्कालीन परिस्थितियों का काफ़ी प्रभाव पड़ा। जब संपूर्ण राष्ट्र स्वाधीनता प्राप्ति की दिशा मे प्रयासरत था तो भला यह कैसे पीछे रह सकते थे। 1942 मे महात्मा गाँधी के आह्वान पर जब ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन के तहत समस्त भारत वर्ष उठ खड़ा हुआ तो वह भी इसके सिपाही बने। तब इन्हे भोपाल की अदालत द्वारा क़ैद की सज़ा सुनाई गयी। इन्हे दूसरी बार कारावास तब हुआ, जब 1948 मे भोपाल स्टेट का भारतीय गणतंत्र मे विलय हेतु आंदोलन किया गया। तब भोपाल के नवाब ने इन्हे क़ैद कर लिया, लेकिन जब भोपाल के नवाब ने भारत सरकार का विलय संबंधित प्रस्ताव स्वीकार कर लिया तो इनकी रिहाई हुई।
इसके बाद इन्होने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली, 1952 में भोपाल के मुख्यमंत्री बन गए, इस पद पर 1956 तक रहे जब भोपाल का विलय अन्य राज्यों में कर मध्यप्रदेश की रचना हुई।
डॉ शर्मा ने विभिन्न अवसरो पर कई देशो की यात्राएँ भी की। वह अधिकारिक शिष्टमंडल के सदस्य के रूप मे अंतराष्ट्रीय सम्मेलनो मे भी उपस्थित हुए। 1958 मे कराची के उनेस्को सम्मेलन मे यह भारतीय शिष्टमंडल के सदस्य रहे।
1960 के दशक में उन्होंने इंदिरा गांधी को कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व प्राप्त करने में सहायता दी। इंदिरा कैबिनेट में वे संचार मंत्री (1974-1977) रहे, 1971 तथा 1980 में उन्होंने भोपाल से लोक सभा की सीट जीती, इसके बाद उन्होंने कई भूष्नात्मक पदों पर कार्य किया, 1984 से वे राज्यपाल के रूप में आंध्रप्रदेश में नियुक्ति के दौरान दिल्ली में उनकी पुत्री गीतांजली तथा दामाद ललित माकन की हत्या सिख चरमपंथियों ने कर दी, 1985 से 1986 तक वे पंजाब के राज्यपाल रहे, अन्तिम राज्यपाल दायित्व उन्होंने 1986 से 1987 तक महाराष्ट्र में निभाया। इसके बाद उन्हें उप राष्ट्रपति तथा राज्य सभा के सभापति के रूप में चुन लिया गया। इसके बाद जब आर. वेंकटरमण का राष्ट्रपति पद का कार्यालय समाप्त हुआ, तब डॉ शंकर दयाल शर्मा भारत के नवें राष्ट्रपति बने। उनका कार्यकाल वर्ष 1992 से 1997 तक रहा।
पुरूस्कार और सम्मान – Shankar Dayal Sharma Awards
अभिनव भारती समाज श्रंगरी शारदा पीठ के जगदगुरु ने डॉ शर्मा को ‘राष्ट्र रत्न’ की उपाधि प्रदान की। यह उपाधि ज्ञान के क्षेत्र मे परम पद प्राप्त करने वाले व्यक्ति को दी जाती हैं। इससे पहले यह सम्मानपूर्ण उपाधि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को 1960 मे प्रदान की गई थी। 1993 मे जब डॉ शर्मा कैंब्रिज विश्वविद्यालय गये थे तो इन्हे ‘डॉक्टर ऑफ लॉ’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।
निधन – Shankar Dayal Sharma Died
डॉ शंकर दयाल शर्मा का देहांत 26 दिसंबर, 1999 को 81 वर्ष की आयु में नई दिल्ली में हुआ। इन्हे स्वास्थ संबंधित परेशानी थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी पेशे के लिए उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए और कानून के शासन के प्रति प्रतिबद्धता के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा।