Satish Gujral in Hindi/ सतीश गुजराल एक प्रसिद्ध चित्रकार, मूर्तिकार, ग्राफ़िक डिज़ायनर, लेखक और वास्तुकार थे। सतीश गुजराल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के छोटे भाई हैं। वे तीन बार कला का राष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त कर चुके हैं। अपने वैविध्यपूर्ण रचना जीवन में उन्होंने अमूर्त चित्रण भी किये हैं और चटकीले रंगों के सुंदर संयोजन बनाए हैं।
प्रारंभिक जीवन – Early Life of Satish Gujral in Hindi
सतीश गुजराल का जन्म 25 दिसम्बर, 1925 को ब्रिटिश इंडिया के झेलम (अब पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता का नाम अवतार नारायण गुजराल तथा माता का नाम श्रीमती पुष्पा गुजराल था। बचपन में इनका स्वास्थ्य काफ़ी अच्छा था। आठ साल की उम्र में पैर फिसलने के कारण इनकी टांगे टूट गई और सिर में काफी चोट आने के कारण इन्हें कम सुनाई पड़ने लगा। परिणाम स्वरूप लोग सतीश गुजराल को लंगड़ा, बहरा और गूंगा समझने लगे।
सतीश ने अपनी शुरुवाती पढाई लाहौर स्थित मेयो स्कूल आफ आर्ट में पाँच वर्षों तक अन्य विषयों के साथ-साथ मृत्तिका शिल्प और ग्राफिक डिज़ायनिंग का अध्ययन किया। इसके पश्चात सन 1944 में वे बॉम्बे चले गए जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध सर जे जे स्कूल आफ आर्ट में दाखिला लिया पर बीमारी के कारण सन 1947 में उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। सन 1952 में उन्हें एक छात्रवृत्ति मिली जिसके बाद उन्होंने मैक्सिको के पलासियो नेशनेल डि बेलास आर्ट में अध्ययन किया। यहाँ पर उन्हें डिएगो रिवेरा और डेविड सेक़ुएइरोस जैसे प्रसिद्ध कलाकारों के अंतर्गत कार्य करने और सीखने का अवसर मिला।
यूके में कला की विधिवत शिक्षा प्राप्त करने वाले सतीश गुजराल ने अपनी रचना यात्रा में कभी भी सीमाएँ नहीं खींचीं और माध्यमों के क्षेत्र में व्यापक प्रयोग किये। रंग और कूची के साथ साथ सिरामिक, काष्ठ, धातु और पाषाण— उन्होंने हर जगह अपनी कलात्मक रचनाशीलता का परिचय दिया।
सतीश गुजराल का करियर – Satish Gujral Life Story in Hindi
सतीश का शुरुवाती जीवन कठिन रहा, भारत-पाकिस्तान विभाजन का असर उनपर भी पड़ा। सन 1952 से लेकर सन 1974 तक गुजराल ने अपने अपनी मूर्तियों, चित्रों और दूसरी कलाओं को दुनियाभर के शहरों जैसे न्यू यॉर्क, नयी दिल्ली, मोंट्रियल, बर्लिन और टोक्यो आदि में प्रदर्शित किया।
सतीश गुजराल के चित्रों में आकृतियाँ प्रधान हैं। जब वे विशेष रूप से निर्मित खुरदुरी सतह पर एक्रेलिक से चित्रांकन करते हैं, तब ये आकृतियाँ एक दूसरे में विलीन होती हैं और विभिन्न ज्यामितीय आकारों में स्थित हो जाती हैं। रंगों का परस्पर सौजन्य और फिल्टर से झरते हुए विभिन्न बिम्बों का आकर्षण उनके चित्रों की मोहकता तो बढ़ाता ही है, बिना हस्ताक्षर के अपने चितेरे की पहचान भी स्पष्ट करता है।
बाइबिल के एक प्रसंग पर आधारित चित्र में उनकी इस कला शैली को देखा जा सकता है। अपने वैविध्यपूर्ण रचना जीवन में उन्होंने अमूर्त चित्रण भी किये हैं और चटकीले रंगों के सुंदर संयोजन बनाए हैं। पशु और पक्षियों को उनकी कला में सहज स्थान मिला है। इतिहास, लोककथा, पुराण, प्राचीन भारतीय संस्कृति और विविध धर्मों के प्रसंगों को उन्होंने अपने चित्रों में सँजोया है। आज उनकी कलाकृतियाँ हिरशर्न कलेक्शेन वाशिंगटन डी. सी., हार्टफोर्ड म्यूज़ियम यू. एस. ए. तथा द म्यूज़ियम ऑफ़ मार्डन आर्ट न्यू यार्क जैसे अनेक विश्व विख्यात संग्रहालयों में प्रदर्शित की गयी हैं।
एक वास्तुकार –
सतीश गुजराल एक प्रसिद्द वास्तुकार भी थे। उन्होंने नई दिल्ली स्थित बेल्जियम के दूतावास का भी डिजाईन बनाया जिसे ‘इंटरनेशनल फोरम ऑफ़ आर्किटेक्ट्स’ ने ’20वीं शदी की दुनिया की सबसे बेहतरीन इमारतों’ में शामिल किया। उन्होंने दुनियाभर के अनेक होटलों, विश्वविद्यालयों, आवासीय भवनों, उद्योग स्थलों और धार्मिक इमारतों की शानदार वास्तु परियोजनाएँ तैयार की हैं।
घर और निजी जीवन – Satish Gujral Personal Life in Hindi
दक्षिण दिल्ली का दिल लाजपत नगर में देश के बंटवारे के बाद इधर सरहद पार पंजाब से शरणार्थी आकर बसे थे। वर्तमान में ये पॉश क्षेत्र माना जाता है। यहीं पर प्रख्यात चित्रकार सतीश गुजराल का आशियाना ही है। यहां एक छत के नीचे तीन सफल लोग रहते हैं। घर के बाहर खड़े होने पर गुलों की महक आपको तरोताजा कर देती है। क़रीब 800 गज की विशाल कोठी के अगले भाग में गुलाब, गुलदाउदी और चमेली के फूलों की महक से सारा वातावरण सुगंधमय रहता है। ईंटों के रंग की इस कोठी में सतीश गुजराल क़रीब 50 वर्षों से रह रहे हैं। यहां उनकी पत्नी किरण, पुत्र मोहित गुजराल, बहू फ़िरोज़ और उनके दोनों बच्चे भी रहते हैं।
उनके पुत्र मोहित गुजराल एक प्रसिद्ध वास्तुकार हैं। उनकी बड़ी बेटी अल्पना ज्वेलरी डिज़ाइनर और दूसरी बेटी रसील एक इंटीरियर डिज़ाइनर हैं। उनके बड़े भाई इन्दर कुमार गुजराल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे। उनके जीवन और काम पर कई वृत्तचित्र बन चुके हैं और एक फिल्म भी बन रही है। फरवरी 2012 में ‘अ ब्रश विथ लाइफ’ नाम का 24 मिनट का एक वृत्तचित्र जारी किया गया। यह वृत्तचित्र उनकी इसी नाम की एक पुस्तक पर आधारित है। सतीश ने अपनी आत्मकथा भी लिखी है। इसके अतिरिक्त उनके कार्यों और जीवन पर तीन और पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
सम्मान और पुरस्कार – Satish Gujral Awards in Hindi
सतीश गुजराल ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय अनेक पुरस्कार प्राप्त किये जिनमें भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त पद्म विभूषण, मेक्सिको का ‘लियो नार्डो द विंसी’ और बेल्जियम के राजा का ‘आर्डर ऑफ़ क्राउन’ पुरस्कार शामिल हैं। 1989 में इन्हें ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ आर्किटेक्चर’ तथा ‘दिल्ली कला परिषद’ द्वारा सम्मानित किया गया। उन्होंने अनेक होटलों, आवासीय भवनों, विश्वविद्यालयों, उद्योग स्थलों और धार्मिक इमारतों की मोहक वास्तु परियोजनाएँ तैयार की हैं। नयी दिल्ली में बेल्जियम दूतावास के भवन की परियोजना के लिये वास्तुरचना के क्षेत्र में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली है। इस इमारत को ‘इंटरनेशनल फोरम आफ आर्किटेक्ट्स’ द्वारा बीसवीं सदी की 1000 सर्वश्रेष्ठ इमारतों की सूची में स्थान दिया गया है। वे तीन बार कला का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं- दो बार चित्रकला के लिये और एक बार मूर्तिकला के लिये। दिल्ली व पंजाब की राज्य सरकारों ने भी उन्हें पुरस्कृत किया है।
सतीश गुजराल का निधन – Satish Gujral Death
सतीश गुजराल ने अपनी जीवन यात्रा में प्रचुर संख्या में अभूतपूर्व और जीवंत कलाकृतियों का सृजन किया है। जो भारतीय कला के लिए मिसाल हैं। सतीश गुजराल विलक्षण प्रतिभा के कलाकार थे। 26 मार्च 2020 में भारत के इस महान कलाकार ने इस दुनिया से विदा ले ली।
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