Sarojini Naidu – सरोजिनी नायडू सुप्रसिद्ध कवयित्री और पहली भारतीय महिला कॉग्रेस अध्यक्ष थीं। वह भारत के स्वाधीनता संग्राम में सदैव आगे रहीं। वे भारत देश के सर्वोत्तम राष्ट्रीय नेताओं में से एक थीं, उन्हें ‘भारत की कोकिला’ के नाम से भी जानी जाती हैं।
सरोजिनी नायडु का परिचय – Sarojini Naidu Biography In Hindi
नाम | सरोजिनी गोविंद नायडु (Sarojini Naidu) |
जन्म दिनांक | 13 फ़रवरी, 1879 |
जन्म स्थान | हैदराबाद, आंध्र प्रदेश |
मृत्यु | 2 मार्च, 1949 |
पिता का नाम | डॉ. अघोरनाथ चट्टोपाध्याय |
माता का नाम | बरदा सुंदरी देवी |
विवाह | डॉ. गोविंद राजुलू नायडु |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राष्ट्रीय नेता, कांग्रेस अध्यक्ष |
रचनाएँ | द गोल्डन थ्रेशहोल्ड, बर्ड आफ टाइम, ब्रोकन विंग |
पुरस्कार-उपाधि | केसर-ए-हिन्द |
बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने 12 वर्ष की अल्पायु में ही 12वी की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और 13 वर्ष की आयु में लेडी आफ दी लेक नामक कविता रची। वे 1895 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड आफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया।
प्रारंभिक जीवन – Early Life of Sarojini Naidu
सरोजिनी नायडू (जन्म नाम सरोजिनी चट्टोपाध्याय) का जन्म एक बंगाली परिवार मे 13 फ़रवरी 1879 में हैदराबाद में हुआ। उनके माता-पिता अघोरे नाथ चट्टोपाध्याय और बरदा सुंदरी देवी थे। उनका पैतृक गाव ब्रह्मंगांव, बिक्रमपुर (अभी का बांग्लादेश) था। उनके पिता, अघोरेनाथ चट्टोपाध्याय, एडिनबर्घ विश्वविद्यालय से विज्ञानं के डॉक्टरेट थे। जो बाद में हैदराबाद में स्थापित हुए, जहा वे हैदराबाद महाविद्यालय में शामिल हुए, और बाद में हैदराबाद का निज़ाम महाविद्यालय बना। उनकी माता बरदा सुंदरी देवी एक बंगाली कवियित्री थी। वो उनके आठ सगे भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। उनका भाई वीरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय एक क्रांतिकारी था और दूसरा भाई, हरीन्द्रनाथ एक कवी, एक कलाकार और अभिनेता था।
नायडू ने अपनी 10वी की परीक्षा मद्रास विश्वविद्यालय से पास की, 1895 किंग्स कॉलेज इंग्लेंड गयी.और बाद में गीर्तोंन कॉलेज, कैम्ब्रिज से आगे की पढ़ाई की। 19 साल की आयु में, पढाई खत्म करने के बाद वे डॉक्टर गोविंदराजुलू नायडू से मिली, जिनसे उनकी शादी कर दी गयी। उस समय इंटर-कास्ट शादी करने की अनुमति नही होती थी, लेकिन उनके पिता ने उनकी शादी के लिए हां कर दी थी।
करियर – Sarojini Naidu Career
सरोजिनी नायडू को ‘भारत कोकिला’ के रूप में भी जाना जाता है। उन्हे भारत की बुलबुल भी कहा जाता हैं। यह स्वतंत्रता सेनानी और महान नेता अच्छी कविता लेखिका के अतिरिक्त अच्छी गायिका भी थीं। सरोजिनी नायडू ने अंग्रेजी में कविताएं लिखना स्कूल शिक्षा के दौरान ही शुरू कर दिया था। वह रॉयल लिटरेरी सोसाइटी ऑफ लंदन की एक सदस्य बन गई। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं।
देश की राजनीति में क़दम रखने से पहले सरोजिनी नायडू दक्षिण अफ़्रीका में गांधी जी के साथ काम कर चुकी थी। गांधी जी वहाँ की जातीय सरकार के विरुद्ध संघर्ष कर रहे थे और सरोजिनी नायडू ने स्वयंसेवक के रूप में उन्हें सहयोग दिया था। भारत लौटने के बाद तुरन्त ही वह राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित हो गई।
सरोजिनी नायडू ने महात्मा गांधी के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके लिए उन्हे कई बार जेल भी जाना पड़ा। सन् 1930 के प्रसिद्ध नमक सत्याग्रह में सरोजिनी नायडू गांधी जी के साथ चलने वाले स्वयंसेवकों में से एक थीं। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला थी। वह भारत में किसी भी राज्य का राज्यपाल (1947 से 1949 उत्तर प्रदेश) बनने वाली भी पहली भारतीय महिला थी। उनकी मृत्यु 2 मार्च, 1949 में 70 वर्ष की आयु में इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत में हुई।
सरोजिनी नायडू का नाम भारतीय इतिहास में सदैव याद रखा जायेगा। उनके जन्मदिन को भारत में ‘राष्ट्रीय महिला दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस को महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रंशसा के लिए सामान्य उत्सव के रूप में चिह्नित किया गया है। इस दिन देश भर में महिलाओं के विभिन्न समूहों द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। उनके कार्य हमेशा हमारे जीवन के लिए प्रेरणा के स्रोत रहेंगे।
13 फ़रवरी, 1964 को भारत सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में 15 नए पैसे का डाक टिकट भी चलाया। इस महान् देशभक्त को देश ने बहुत सम्मान दिया। सरोजिनी नायडू को विशेषत: ‘भारत कोकिला’, ‘राष्ट्रीय नेता’ और ‘नारी मुक्ति आन्दोलन की समर्थक’ के रूप में सदैव याद किया जाता रहेगा।
प्रसिद्ध ग्रंथ – Sarojini Naidu Book
- द गोल्डन थ्रेशोल्ड,
- द बर्ड ऑफ टाइम,
- द ब्रोकन विंग
सरोजिनी नायडू की कविता के एक लाइन –
‘श्रम करते हैं हम
कि समुद्र हो तुम्हारी जागृति का क्षण
हो चुका जागरण
अब देखो, निकला दिन कितना उज्ज्वल।’
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