रामनवमी का इतिहास और जानकारी | Ram Navami History Hindi

Rama Navami – रामनवमी हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में एक हैं। यह त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी मनाया जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था। भगवान राम को विष्णु का अवतार माना जाता है। धरती पर असुरों का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में श्रीराम के रूप में मानव अवतार लिया था। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवनकाल में कई कष्ट सहते हुए भी मर्यादित जीवन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया।

रामनवमी का इतिहास और जानकारी | Ram Navami History Hindiरामनवमी की जानकारी – Ram Navami Information in Hindi

रामनवमी, भगवान राम की स्‍मृति को समर्पित है। राम सदाचार के प्रतीक हैं, उन्होंने विपरीत परिस्थियों में भी अपने आदर्शों को नहीं त्यागा और मर्यादा में रहते हुए जीवन व्यतीत किया। इसलिए उन्हें उत्तम पुरुष का स्थान दिया गया है। राम राज्‍य (राम का शासन) शांति व समृद्धि की अवधि का पर्यायवाची बन गया है। रामनवमी के दिन, श्रद्धालु बड़ी संख्‍या में उनके जन्‍मोत्‍सव को मनाने के लिए राम जी की मूर्तियों को पालने में झुलाते हैं। इस महान् राजा की काव्‍य तुलसी रामायण में राम की कहानी का वर्णन है।

रामनवमी का इतिहास – Ram Navami History in Hindi

हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार त्रेता युग में जब धरती पर रावण का आतंक बढ़ गया तो स्वयं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के अवतारो का धरती पर आगमन हुआ और इन्होने अपने भक्तो का उद्धार किया। भगवान राम का जन्म महाराज दशरथ के पुत्र के रूप में हुवा।

रघुकुल शिरोमणि महाराज दशरथ की 3 पत्नियाँ थी, परंतु फिर भी वे संतान सुख से वंचित थे। इससे व्यथित राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने कमेष्ठि यज्ञ करवाने की आज्ञा दी। इस यज्ञ के फलस्वरूप राजा दशरथ के यहाँ तीनों रानियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उनकी प्रथम पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान राम का जन्म हुआ। राम का जन्म दिन के बारह बजे हुआ था, जैसे ही सौंदर्य निकेतन, शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण कि‌ए हु‌ए चतुर्भुजधारी श्रीराम प्रकट हु‌ए तो माता कौशल्या उन्हें देखकर विस्मित हो ग‌ईं। राजा दशरथ के तीन अन्य पुत्र भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे।

ब्रह्म ऋषि वशिष्ठ भगवान राम के गुरु थे। भगवान राम अपने जीवनकाल में कई कष्ट सहते हुए भी मर्यादित जीवन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया। वे चौदह वर्षो का वनवास में रहे, जिसमे उन्होंने कई असुरों का संहार किया। उन्होंने असुरो के राजा रावण का संहार किया। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने एक ऐसे राम राज्य की स्थापना की। जिसे सदैव आदर्श के रूप में देखा गया। राम ने प्रजा हित के सीता का परित्याग किया। इस कारणवश भगवान के राम के जन्म दिन पर रामनवमी मनाया जाता हैं।

यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है। रामनवमी के दिन जो व्यक्ति पूरे दिन उपवास रखकर भगवान श्रीराम की पूजा करता है, तथा अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान-पुण्य करता है, वह अनेक जन्मों के पापों को भस्म करने में समर्थ होता है।

राम के के पुत्र 

एक रानी होते हुवे भी सीता ने अपने प्रजाहित के लिए परित्याग स्वीकार किया और अपना जीवन वाल्मीकि आश्रम में बिताया और उस समय सीता ने दो पुत्रो को जन्म दिया, जिनका नाम लव कुश था। यह दोनों ही पिता के समान तेजस्वी थे। इन्ही के हाथो राम ने अपने राज्य को सौंपा और स्वयं ने अपने विष्णु अवतार को धारण कर अपने मानव जीवन को छोड़ा।

रामनवमी कैसे मनाते हैं – Ram Navami Kaise Manate Hain

रामनवमी के त्यौहार का महत्व हिंदु धर्म सभ्यता में महत्वपूर्ण रहा है। अलग अलग क्षेत्रों में इस त्योहार को मनाने का तरीका भी अलग है। इस पर्व के साथ ही माँ दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है। चैत्र माह में माँ दुर्गा की भी पूजा की जाती है और नवरात्रि मनाई जाती है। इसी दौरान नवरात्रि के नौवे दिन राम नवमी होती है। हिन्दू धर्म में रामनवमी के दिन पूजा की जाती है।

रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल, रोली और लेपन चढ़ाया जाता है, इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाये जाते हैं। पूजा के बाद आ‍रती की जाती है। रामनवमी का व्रत महिलाओं के द्वारा किया जाता है। इस दिन राम लला के मंदिर आकर्षण का केंद्र होते है।

रामनवमी के व्रत के दिन मंदिर में अथवा मकान पर ध्वजा, पताका, तोरण और बंदनवार आदि से सजाने का विशेष विधि-विधान है। व्रत के दिन कलश स्थापना और राम जी के परिवार की पूजा होता हैं, और भगवान श्री राम का दिनभर भजन, स्मरण, स्तोत्रपाठ, दान, पुण्य, हवन, पितृश्राद्व और उत्सव किया जाता हैं।

कई जगहों पर इस दिन पंडालों में भगवान राम की मूर्ति कि स्थापना भी कि जाती है। यह दिन भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या में विशेष रूप से मनाया जाता है। अयोध्या में भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से भक्तगणों के अलावा साधु-संन्यासी भी पहुंचते हैं और रामजन्म का उत्सव मनाते हैं।

रामनवमी पूजा विधि – Ram Navami Puja Vidhi in Hindi

  • राम नवमी पर व्रत रखने का खास महत्व माना जाता है। उपवास रखने वाले लोग सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई करते हैं उसके बाद स्नान करके व्रत करने का संकल्प लिया जाता है।
  • राम नवमी के त्योहार वाले दिन भगवान सूर्य को जल जरूर अर्पित करना चाहिए।
  • फिर भगवान राम की व्रत कथा को सुना जाता है इस व्रत कथा को सुनते समय हाथ में गेंहू या बाजरे के कुछ दाने रख लें।
  • मंदिर को अच्छे से सजा लें। पूजा की सामग्री में रोली, चावल, जल, फूल, शंख आदि का प्रयोग करें।
  • राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियों पर जल, रोली और फूल अर्पित करें।
  • राम के मंत्रों का उच्चारण करें। इसी के साथ इस दिन रामचालीसा या राम स्त्रोतम का पाठ करने का खास महत्व माना गया है।
  • भगवान राम की आरती के बाद पूजा में इस्तेमाल हुए जल को परिवार के सदस्यों पर छिड़क दें।
  • अपनी श्रद्धानुसार दान-पुण्य भी जरूर करना चाहिए।

उद्देश्य – Ram Navami Facts

भगवान श्रीराम जी ने अपने जीवन का उद्देश्य अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना बताया पर उससे उनका आशय यह था कि आम इंसान शांति के साथ जीवन व्यतीत कर सके और भगवान की भक्ति कर सके। उन्होंने न तो किसी प्रकार के धर्म का नामकरण किया और न ही किसी विशेष प्रकार की भक्ति का प्रचार किया। इस प्रकार इनके जीवन को एक आदर्श जीवन के रूप मे प्रस्तुत करना और आने वाली पीढ़ियों तक यह संदेश पंहुचाना भी इस दिन को मनाने का एक उद्देश्य है।

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