राजीव गांधी की जीवनी | Rajiv Gandhi Biography in Hindi

Rajiv Gandhi / राजीव गांधी को सबसे कम उम्र में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के प्रधानमंत्री बनने का गौरव हासिल हैं। वह 40 वर्ष की आयु में ही प्रधानमंत्री बन गए। यह भारत के 7 वे प्रधानमंत्री थे। राजीव गांधी भारत के एक मात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बड़े पुत्र थे। उनके पिता का नाम फ़िरोज़ गांधी था और उनकी दादा जी पंडित जवाहरलाल नेहरू जो की भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। उनका कार्यालय 31 अक्टूबर 1984 – 2 दिसंबर 1989 तक रहा हैं।

Rajiv Gandhi Biography In Hindiराजीव गाँधी का परिचय – Rajiv Gandhi History & Information in Hindi

नामराजीव फिरोज गांधी (Rajiv Gandhi)
जन्म दिनांक20 अगस्त, 1944
पिता का नामफिरोज गांधी
माता का नामइंदिरा गांधी
जन्म स्थानबॉम्बे, महाराष्ट्र
राष्ट्रीयताभारतीय
शिक्षाकैंब्रिज, ट्रिनिटी कॉलेज
पत्नीसोनिया गाँधी
संतानप्रियंका गाँधी, राहुल गाँधी
राजनैतिक पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
मृत्यु21 मई, 1991

प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी ने भारतीय प्रशासन के आधुनिकीकरण में बहुमूल्य योगदान दिया। 21वीं सदी में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए उन्होंने इस क्षेत्र में भारत की क्षमता विकसित करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य किया। उन्होने ने युवाओ को आगे बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। मरनोपरांत 1991 मे उन्हे ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

राजीव गाँधी का प्रारंभिक जीवन – Early Life Of Rajiv Gandhi in Hindi 

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को बॉम्बे महाराष्ट्र में भारत के सबसे प्रसिद्ध राजनैतिक परिवार में हुआ था। उनके दादा जवाहरलाल नेहरू ने भारत की आज़ादी की लड़ाई में मुख्य भूमिका अदा की और स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उनके माता पिता अलग-अलग रहते थे अतः राजीव गांधी का पालन पोषण उनके दादा के घर पर हुआ जहाँ उनकी माँ रहती थीं। उनकी माता इंदिरा गाँधी 4 बार भारत के प्रधानमंत्री रही थी। इसलिए राजीव ने भारत की राजनीतिक को करीब से जाना था।

राजीव गाँधी की शिक्षा – Education 

राजीव गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के मशहूर दून स्कूल से पूरी की। जहाँ महानायक अमिताभ बच्चन से इनकी मित्रता हुई। इसके बाद लंदन विश्वविद्यालय ट्रिनिटी कॉलेज और बाद मे कैंब्रिज में इंजिनियरिंग पढाई करने लगे। 1965 तक वे केम्ब्रिज मे रहे। लेकिन उन्होने अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरी नही की। 1966 मे वे भारत वापस आ गये। उस टाइम तक उनकी मा इंदिरा गाँधी भारत की प्रधानमंत्री बन चुकी थी। इसके बाद राजीव दिल्ली के फ्लाइंग क्लब से पायलट की ट्रैनिंग ली। और एक कमर्शियल एयरलाइन में पायलट बन गए। उनके छोटे भाई संजय गांधी राजनीति में प्रवेश कर चुके थे और अपनी माँ इंदिरा गांधी के भरोसेमंद प्रतिनिधि बन गए।

राजीव गाँधी की शादी 

कैंब्रिज में पढ़ने के दौरान राजीव गांधी इटालियन विद्यार्थी एन्टोनिया माईनो से मिले और दोनों को एक-दूसरे से प्रेम हो गया। वर्ष 1969 में दोनों का विवाह संपन्न हुआ। बाद मे एन्टोनिया माईनो ने नाम बदल कर सोनिया गाँधी रख ली। राजीव गाँधी की दो संताने हुए. राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी।

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राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Rajiv Gandhi Career

कहा जाता हैं राजीव गाँधी का राजनीतिक मे कोई इंटरेस्ट नही था। पर सन 1980 में संजय गाँधी के एक विमान दुर्घटना मृत्यु के बाद मां के कहने पर राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने अपने भाई के पूर्व संसदीय क्षेत्र अमेठी से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता। और संसद मे जगह बनाए। जल्द ही वह कांग्रेस पार्टी के महासचिव बन गए।

राजीव गाँधी प्रधानमंत्री कब और कैसे बने ? 

31 अक्टूबर 1984 में उनकी मा इंदिरा गांधी को सिख बॉडीगार्ड द्वारा हत्या करने के बाद 40 साल की उम्र में वह भारत के प्रधानमंत्री बने। 1984 में उन्होंने आम चुनावों का आवाहन किया और सहानुभूति की लहर पर सवार होकर कांग्रेस पार्टी के लिए भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की। कांग्रेस पार्टी ने निचले सदन की 80 प्रतिशत सीटें जीत कर आजादी के बाद की सबसे बड़ी जीत हांसिल की।

प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी बेहद लोकप्रिय थे। भारत के प्रधानमंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान वह प्रधानमंत्री के पद में थोड़ी गतिशीलता ले कर आये। उन्हें भारत में कंप्यूटर की शुरुआत करने का श्रेय जाता है। गांधी के आरोहण का एक अन्य मुख्य कारण विभिन्न मसलो पर उनका आधुनिक दृष्टिकोण और युवा उत्साह था। उन्होंने ने इंदिरा गांधी के समाजवादी राजनीति से हटकर अलग दिशा में देश का नेतृत्व करना शुरू किया। उन्होंने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंधो में सुधार किया और आर्थिक एवं वैज्ञानिक सहयोग का विस्तार किया।

उन्होंने विज्ञान, टेक्नोलोजी और इससे सम्बंधित उद्योगों की ओर ध्यान दिया और टेक्नोलोजी पर आधारित उद्योगों विशेष रूप से कंप्यूटर, एयरलाइंस, रक्षा और दूरसंचार पर आयात कोटा, करों और शुल्कों को कम किया। उन्होंने दफ्तरशाही शासन को कम करने और प्रशासन को नौकरशाही घपलेबाजों से दलालों से मुक्त कराने की बात कहने वाले पहले प्रधानमंत्री थे। भ्रष्ट नौकरशाही को भी उन्होंने आड़े हाथो लिया। उन्होंने ही सबसे पहले देश को एक समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में ‘इक्कीसवी सदी के ओर’ ले जाने का नारा देकर जन मानस में नई आशाएं जगाई। 1986 में राजीव गांधी ने भारत भर में उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की।

1986 में गुट – निरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व भारत के पास आने पर कई अंतरराष्ट्रीय मसलो पर स्पष्ट और बेबाक नीती देकर राजीव गांधी ने भारत को एक सम्मान जनक स्थान दिलाया। फिलिस्तीनी संघर्ष, रंगभेद के खिलाफ दक्षिण अफ़्रीकी लोगों के संघर्ष, स्वापो आंदोलन,  नामीबिया की स्वतंत्रता के समर्थन तथा अफ़्रीकी देशो की सहायता के लिए अफ्रीका फंड की स्थापना में भारत की पहल आधुनिक विश्व इतिहास का स्वर्णिम दस्तावेज बन गई है। राजीव गांधी ने माले में हुए विद्रोह को दबाकर और श्रीलंका की जातीय समस्या के निदान के लिए स्वतंत्र पहल पर समझौता कर हिंद महासागर में अमरीका, पाक तथा अन्य देशो के बढ़ते सामरिक हस्तक्षेप पर अंकुश तो लगाया ही, साथ ही विश्व को यह भी अहसास दिला दिया की भारत इस क्षेत्र में एक महती शक्ति है। जिसे विश्व की कोई भी ताकत अनदेखा नहीं कर सकती। इससे विश्व राजनीती में भारत की एक विशिष्ट पहचान बनी। साथ–साथ राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हुए।

राजीव गाँधी की असफलता 

राजीव गांधी ने पंजाब में आतंकवादियों का सफ़ाया करने के लिए व्यापक पुलिस और सेना अभियान चलाया। श्रीलंका सरकार और एल टी टी इ विद्रोहियोंके बीच शांति वार्ता के प्रयासों का उल्टा असर हुआ और राजीव की सरकार को एक बढ़ी असफलता का सामना करना पड़ा। 1987 में हस्ताक्षर किये गए शांति समझौते के अनुसार भारतीय शांति सेना को श्रीलंका में एल टी टी इ को नियंत्रण में लाना था पर अविश्वास और संघर्ष की कुछ घटनाओ ने एल टी टी इ आतंकवादियों और भारतीय सैनिकों के बीच एक खुली जंग के रूप में बदल दिया। हजारों भारतीय सैनिक मारे गए और अंततः राजीव गांधी ने भारतीय सेना को श्रीलंका से वापस बुलाना पढ़ा।

राजीव गाँधी पर भ्रष्टाचार के आरोप 

हालाँकि राजीव गांधी ने भ्रष्टाचार समाप्त करने का वादा किया था पर उनपर और उनकी पार्टी पर खुद भ्रस्टाचार के कई आरोप लगे। सबसे बड़ा घोटाला स्विडिश बोफोर्स हथियार कंपनी द्वारा कथित भुगतान से जुड़ा ‘बोफोर्स तोप घोटाला’ था। जिसका मुख्य पात्र इटली का एक नागरिक ओटावियो क्वाटोराची था, जो कि सोनिया गांधी का मित्र था। घोटालों के कारण उनकी लोकप्रियता तेजी से कम हुई. जिससे उनकी प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा. ‘मिस्टर क्लीन’ की उनकी छवि भी धूमिल हुई और 1989 में आयोजित आम चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। एक गठबंधन की सरकार सत्ता में आई पर वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और 1991 में आम चुनाव करवाये गए।

राजीव गाँधी की मृत्यु 

1991 के चुनावों के समय राजीव गाँधी को पूर्ण विश्वास हो गया था की जनता उन्हें फिर से बहुमत के साथ विजयी बनाएगी। इस विश्वास और जनता से मिले समर्थन – स्नेह से अभिभूत हो राजीव गांधी ने अपने सुरक्षा का घेरा भी तोड दिया। लेकिन विधी की विडम्बना देखिये की जानता से उनकी करीबी ही उनकी जान ले बैठी। 21 मई, 1991 को मद्रास से 50 किमी. दूर स्थित श्री पेरुंबुदुर में एक चुनाव सभा में लोगों से हार लेते समय तमिल आतंकवादियों ने उन्हे एक बम विस्फ़ोट में हत्या कर दी। इस सुनियोजित षडयंत्र ने देश की राजनीती से एक युवा युग और आकांक्षा का हमेशा के लिए पटाक्षेप कर दिया जिसने भारतीय ही नहीं पुरे विश्व जन मानस को भीतर तक झकझोर कर रख दिया।

राजीव गांधी का व्यक्तित्व सज्जनता, मित्रता और प्रगतिशीलता का प्रतिक था। लगभग एक दशक के छोटे से राजनैतिक जीवन में राजीव गांधी ने एक अमिट छाप छोड़कर अपने देश भारत से हमेशा के लिए विदा हो गये, भारत सरकार ने देश के इस दिवंगत नेता को सर्वोच्च सम्मान ‘भारतरत्न’ से विभूषित कर यथेष्ट श्रद्धांजली दी है। आज राजीव गाँधी हमारे बीच नही हैं पर उनके द्वारा शुरू किया गया अभियान भारत को एक अलग पहचान दिलाई।

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3 thoughts on “राजीव गांधी की जीवनी | Rajiv Gandhi Biography in Hindi”

  1. श्रीमान् जवाहरलाल नेहरू राजीव गांधी के दादा कैसे हुए !!! स्पष्ठ करेंगे।

    1. हेलो अनुज सर >> पंडित जवाहरलाल की बेटी इंदिरा गाँधी थी, इंदिरा गाँधी का बेटा राजीव गाँधी थे और राजीव गाँधी का बेटा राहुल गाँधी हैं, इस तरह से पंडित जवाहरलाल नेहरू, राहुल गाँधी के परदादा हुए।

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