मर्सिडीज (Mercedes Benz) दुनिया मे कार के लिए एक इज़्ज़तदार नाम है, मर्सिडीज का नाम ही काफ़ी है। यदि आप मर्सिडीज के मलिक है। तो मानकर चलिए, आप पर उपर वाले की मेहरबानी है। मर्सिडीज(Mercedes) का स्पॅनिश भाषा मे अर्थ है कृपा (मेहरबानी)। मर्सिडीज के जन्म और नाम की कहानी दिलचस्प है।
मर्सिडीज की कहानी – Mercedes Car Brand Story in Hindi
ऑस्ट्रेलिया के रईस बॅंकर और कार रेसर एमी लजैक़लिन, डामलार कंपनी मे सेयर होल्डर थे। रेसिंग मे उनका जुनून था। बस रेसिंग मे खुद को सबसे आगे रखने की जुनून मे उन्होने एक नयी कार तैयार करवाने का बिचार बनाया। जैक़लिन एक ऐसी कार बनवाना चाहते थे, जो डामलार से ज़्यादा तेज(Speed) और खूबसूरत हो। उन्होने डामलार से पवरफुल एंजिन, चेसिस और सबसे बड़ी बात एंजिन कोआगे लगाने की बात कही। तब तक कार मे पीछे एंजिन लगते होते थे।
शुरू मे कोई भी ऐसा कार बनाने के लिए राज़ी नही हुवा। जुनून के पक्के जैक़लिन ने बड़ा दाव खेला और कंपनी के मैनेजरो से कहा की कार बनाओ। पहली 36 कारे मैं खुद खरीद लूँगा। पर, उनकी एक ही सर्त थी, की कार का नाम उनकी 11 साल की बेटी मर्सिडीज के नाम पर होगा।
2 दिसंबर 1900 को पहली मर्सिडीज कार बिकी। यह कार चार सिलिंडर वाली कार थी। जैक़लिन अपने वादे के अनुसार मर्सिडीज के पहले कस्टमर बने। आधुनिक कार का यह मॉडेल बड़ी तेज़ी से मसहूर हुवा। कुच्छ वक्त के बाद डामलार कंपनी के सभी कार मर्सिडीज के नाम से बिकने लगी।
आज जो मर्सिडीज हम देखते है उसका लोगो स्टार की तरह चमकता है। पहले के समय कोई लोगो नही था। 1909 मे कंपनी के लोगो के रूप मे स्टार आया। इस 3 नोक वाले स्टार के ज़रिए कंपनी ज़मीन, पानी, हवा दिखाती थी। ये डामलार की महत्वकाँशा का भी प्रतीक था। बाद मे बेन्ज़ कंपनी से मिलने के बाद बेन्ज़ का गोला भी जुड़ गया। मर्सिडीज का होना बिलीव, तेज गति और ग्लॅमर को भी दिखता है। डामलार और बेन्ज़ दो अलग-अलग कंपनी रही।
फर्स्ट वर्ल्ड वॉर नही होता तो मर्सिडीज कभी मर्सिडीज बेन्ज़ नही बन पति। फर्स्ट वर्ल्ड वॉर मेजर्मनी की कार इंडस्ट्री पूरी तरह बर्बाद हो गये। कार की माँग घाटी और ईंधन(feul) की कमी हो गयी। अपने नाम को बनाए रखने को 25 जून, 1926 को डामलार और बेन्ज़ मिलने का फ़ैसला हुवा। नयी कंपनी का नाम मर्सिडीज बेन्ज़ हो गया। पर मर्सिडीज इतना पॉपुलर हो गया था की कार मर्सिडीज नाम से ही बिकती रही। मिले तो मर्सिडीज और बेन्ज़ थे। नया नाम डामलार बेन्ज़ होना था, पर हो गया मर्सिडीज बेन्ज़।
यहा कंपनी को भारी पड़ी उसकी कार का पॉप्युलॅरिटी। 1998 मे डामलार ने क्रिस्लर से मिला और फिर 2007 मे अलग हो गया। ऐसे बनी ब्रांड, मर्सिडीज ने शुरू से ही खुद को मजबूत ब्रांड पेस किया। मर्सिडीज सिर्फ़ वज़नदार लोगो को ही बेची गयी, इसलिए वे रुतबे मे सबसे जबदस्त ब्रांड बन गयी।
बहुत दिलचस्प !
महत्वपूर्ण जानकारी हेतु सादर आभार आदरणीय
THats very interested story Nd that help us but add more details like models chairman employees and how big the Mercedes brand and turnovers than income and headquarters . . Keep it up