क्रूर राजा जरासंध का इतिहास | Mahabharat Jarasandha History in Hindi

Jarasandha in Hindi / जरासंध महाभारत कालीन मगध राज्य (वर्तमान बिहार) का राजा था। वह बहुत ही शक्तिशाली राजा था और उसका सपना चक्रवती सम्राट बनने का था। जरासंध जो भगवान कृष्ण के मामा कंश का ससुर होने के साथ-साथ उसका परम मित्र भी था। यद्यपि वह एक शक्तिशाली राजा तो था, लेकिन वह था बहुत क्रूर। जरासंध ने अपनी दोनों पुत्रिया आसीत व प्रापित का विवाह कंश से कराया था अतः कृष्ण द्वारा कंश का वध होने पर वह कृष्ण को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानता था। कृष्ण से अपने पुत्रियों के सुहाग का प्रतिशोध लेने के लये जरासंध ने 17 बार मथुरा में चढ़ाई करी परन्तु वह भगवान श्री कृष्ण को पराजित नही कर पाया, हर बार उसे हार का सामना करते हुए वापस लोटना पड़ा। जरासंध के जन्म व मृत्यु की कथा भी बहुत ही रोचक है। आइये जाने जरासंध का इतिहास (jarasandh ka itihaas)…

जरासंध का इतिहास | Mahabharat Jarasandha History in Hindiजरासंध का जन्म – दो माँ से आधा-आधा पैदा हुआ था जरासंध (Who was jarasandh)

जरासंध मगध राज्य के राजा बृहद्रथ के पुत्र थे जिनकी दो रनिया थी। वह दोनो ही को एकसमान चाहते थे। बहुत समय व्यतीत हो गया और वे बूढ़े़ हो चले थे, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। निसंतान होने के कारण रानिया भी प्रायः दुखी रहा करती थी। पुत्रप्राप्ति की इच्छा से राजा बृहद्रथ महात्मा चण्डकौशिक के अाश्रम में गए तथा वहा रहकर उनकी सेवा करी। महात्मा चण्डकौशिक ने राजा से प्रसन्न होकर उन्हें एक आम का फल दिया तथा बोले की इस फल को अपनी पत्नी को खिला देना, इस फल को खाने से तुम्हे संतान की प्राप्ति होगी। क्योकि राजा बृहद्रथ की दो पत्निया थी अतः बिना कुछ सोचे विचारे उन्होंने वह फल दो टुकड़ो में काट अपनी दोनों पत्नियों को दे दिया। उस फल के प्रभाव से रानियों ने कुछ समय पश्चात शिशु शरीर के दो अलग-अलग टुकड़ो को जन्म दिया उन टुकड़ो को जीवित देख रानियों ने डर से उसे महल के बहार फिकवा दिया।

जरा नाम की एक राक्षसी ने मार्ग से गुजरते हुए जब उन टुकड़ो को देखा तो उसने अपनी माया के प्रभाव से उन शिशु टुकड़ो को जोड़ एक कर दिया। एक शरीर होते ही वह शिशु जोर-जोर से रोने लगा तथा उसकी आवाज सुन राजा सहित उनकी दोनों रानिया महल से बहार आये तथा उस राक्षसी के समीप गए व राक्षसी से उसका परिचय पूछा। तब राक्षसी के पूरी बात बताने व अपने पुत्र का एक शरीर देख राजा बहुत खुश हुआ तथा उसने अपने पुत्र का नाम राक्षसी के नाम को जोड़ते हुए जरासंध रखा। इस प्रकार जरासंध का जन्म हुआ।

कंस का ससुर था जरासंध –

जरासंध मथुरा के राजा कंस का ससुर एवं परम मित्र था। उसकी दोनों पुत्रियों आसित व प्रापित का विवाह कंस से हुआ था। श्रीकृष्ण से कंस वध का प्रतिशोध लेने के लिए उसने 17 बार मथुरा पर चढ़ाई की, लेकिन हर बार उसे असफल होना पड़ा। जरासंध के भय से अनेक राजा अपने राज्य छोड़ कर भाग गए थे। शिशुपाल जरासंध का सेनापति था।

चक्रवर्ती सम्राट बनना चाहता था जरासंध –

जरासंध बहुत बलशाली व पराक्रमी राजा था। उसने अपने ताकत के बल पर कई राजाओ का वध किया था तथा 86 राजाओ को एक पहाड़ी किले में बंदी बना कर रखा था। जरासंध की एक इच्छा थी की वह 100 राजाओ को मारकर चक्रवर्ती सम्राट बने।

मृत्यु – भीम ने ऐसे किया था जरासंध का वध – Jarasandh ka Vadh

जरासंध का वध करने लिए भगवान कृष्ण को एक योजना का निर्माण करना पड़ा तथा उस योजना अनुसार वे एक ब्राह्मण वेश में भीम व अर्जुन के साथ जरासंध के पास गए तथा उसे कुश्ती के लिए ललकारा। जरासंध उन आसाधारण से प्रतीत होने वाले ब्राह्मणो के देख पहचान गया तथा उनसे उनका वास्तविक परिचय पूछा। तब भगवान श्री कृष्ण ने जरासंध को अपना व उनके साथ आये भीम व अर्जुन का वास्तविक परिचय दिया। जरासंध ने कुश्ती के लिए भीम को अपना प्रतिद्वंदी चुना। दोनों में बहुत भयंकर युद्ध हुआ तथा यह युद्ध कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से 13 दिन तक लगातार चलता रहा। 14वे दिन जब भगवान श्री कृष्ण ने भीम को एक तिनके को बीच से दो टुकड़े में चिर कर दिखाया तो वे भगवान श्री कृष्ण का संकेत समझ गए व जरासंध के शरीर के दो टुकड़े कर दिए।

जरासंध का वध कर भगवान श्रीकृष्ण ने उसकी कैद से 86 राजाओ को आजाद कर दिया और कहा कि धर्मराज युधिष्ठिर चक्रवर्ती पद प्राप्त करने के लिए राजसूय यज्ञ करना चाहते हैं। आप लोग उनकी सहायता कीजिए। राजाओं ने श्रीकृष्ण का यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और धर्मराज युधिष्ठिर को अपना राजा मान लिया। भगवान श्रीकृष्ण ने जरासंध के पुत्र सहदेव को अभयदान देकर मगध का राजा बना दिया।

FAQ

Q : जरासंध की मृत्यु कैसे हुई?

Ans – जरासंध का वध भीम ने कुश्ती में किया। दोनों में बहुत भयंकर युद्ध हुआ तथा यह युद्ध कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से 13 दिन तक लगातार चलता रहा। 14वे दिन जब भगवान श्री कृष्ण ने भीम को एक तिनके को बीच से दो टुकड़े में चिर कर दिखाया तो वे भगवान श्री कृष्ण का संकेत समझ गए व जरासंध के शरीर के दो टुकड़े कर दिए।

Q : जरासंध का कंस से क्या रिश्ता था?

Ans : जरासंध कंस के ससुर लगते थे| कंस ने और प्रप्ती से शादी किया था।

Q : जरासंध का पुत्र कौन था?

Ans – जरासंध का पुत्र का नाम सहदेव था।


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1 thought on “क्रूर राजा जरासंध का इतिहास | Mahabharat Jarasandha History in Hindi”

  1. pradip kumar rana

    मुझे जरासंध और चंद्रवंसी के बारे मैं पूरा इतिहास जानना चाहता हूँ उपलब्ध हो तो जानकारी दे

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