Lodhi Garden / लोधी गार्डन (लोधी उद्यान) नई दिल्ली में स्थित एक फेमस पार्क है। इस गार्डन को सैय्यद और लोधी ने 16वीं शताब्दी में बनवाया था। पहले इस गार्डन का नाम लेडी विलिंगटन पार्क था। इस गार्डन में गुज़रे दौर की कई सारी कब्रें हैं। इस पार्क में मोहम्मद शाह की कब्र, सिकंदर लोधी की कब्र, शीश गुंबद और बारा गुंबद है। साथ ही, यहां 15वीं शताब्दी की वास्तुकला भी देखते बनती है। फिलहाल, इस पार्क की देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हाथों में है। नेशनल पार्क और ग्लास हाउस हेल्थ क्रेजी लोगों स्पाइरल शेप झील के लिए फेमस है। दिल्ली की कुछ खास पर्यटक जगहों में से यह एक है (Delhi Tourism Lodhi Garden)।
लोधी गार्डन दिल्ली का इतिहास, जानकारी – Lodhi Garden Delhi History & Information in Hindi
सफदरजंग के मकबरे से 1 किलोमीटर पूर्व में स्थित लोधी गार्डन खूबसूरत फव्वारे, तालाब, फूल और जॉगिंग ट्रैक सभी उम्र के लोगों को लुभाते हैं। लोदी गार्डन मूल रूप से गांव था जिसके आस-पास 15वीं-16वीं शताब्दी के सैय्यद और लोदी वंश के स्मारक थे। अंग्रेजों ने 1936 में इस गांव को दुबारा बसाया। यहां नेशनल बोंजाई पार्क भी है जहां बोजाई का अच्छा संग्रह है।
90 एकड़ के क्षेत्र में फैला यह भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है जिसमें लोधी और मुहम्मद शाह की दो महत्वपूर्ण मकबरे शामिल हैं। मकबरों के अलावा बगीचे में बड़ा गुम्बद और शीश गुम्बद भी स्थित है। ये सभी वास्तुकला की अद्भुद संरचनायें 15वीं सदी के लोधी और सैय्यद वंश के शासकों के समय की हैं जो उस समय उत्तरी भारत के ज्यादातर भाग के शासक थे।
यहां पेड़ों की विभिन्न प्रजातियां, रोज गार्डन और ग्रीन हाउस है जहां पौधों का रखा जाता है। पूरे वर्ष यहां अनेक प्रकार के पक्षी देखे जा सकते हैं। बगीचे के बीच में बड़ा गुंबद नामक मकबरा है, जिसके पीछे एक मस्जिद है जो 1494 में बनाई गई थी।
अन्दर की एक झलक
सिकन्दर लोधी का मकबरा – सिकन्दर लोधी के इस मकबरे को उनके पुत्र द्वारा सन् 1517 ईस्वी में बनवाया गया था। यह एक मंच पर स्थित साधारण सी चतुर्भुजाकार संरचना है जिसपर बाबर द्वारा इब्राहिम लोधी की हार की गाथा को गुदवाते हुए इसका अंग्रेजों द्वारा जीर्णोद्धार किया गया था।
मुहम्मद शाह का मकबरा – यह लोधी गार्डेन में बनवाया जाने वाला सबसे पहला मकबरा था। सैयद वंश के तीसरे शासक मुहम्मद शाह थे। जिनका शासन 1434-1444 तक रहा। इनका शासन काल इसलिए भी जाना जाता है कि उस दौरान सरहिंद के अफगान सूबेदार बहलोल लोधी ने पंजाब के बाहर अपने प्रभाव को बढ़ा लिया था। वह लगभग स्वतंत्र हो गया था। इसी दौरान मुहम्मद शाह का पुत्र और उनका उत्तराधिकारी अलाउद्दीन आलम शाह दिल्ली के शासन का भार अपने एक साले और शहर पुलिस अधीक्षक का भार दूसरे साले पर छोड़कर बदायूं चला गया था। उसके जाने के बाद दोनों ही अलग-थलग पड़ गए और 1451 में बहलोल लोधी ने सिंहासन पर कब्जा कर लिया।
बड़ा गुम्बद – अपने नाम के अनुसार यह एक बड़ी गुम्बज है और पास में स्थित तीन गुम्बदों वाली मस्जिद के द्वार के रूप में कार्य करती है। गुम्बद और मस्जिद, दोनों को इस जगह के तत्कालीन शासक सिकन्दर लोधी द्वारा सन् 1494 ईस्वी में बनवाया गया था। मुहम्मद शाह के मकबरे से 300 मीटर पर यह मकबरा स्थित है। इसमें जिसका शव दफन है, उसकी पहचान नहीं हो पाई है। परन्तु यह स्पष्ट है कि वह सिकंदर लोधी के शासन काल में कोई उच्च पदाधिकारी था।
शीश गुम्बद – शीश गुम्बद का अर्थ है काँच का गुम्बद। इसके निर्माण में उपयोग की गई चमकदार टाइलों के कारण इसका ये नाम पड़ा। गुम्बद में एक ऐसे परिवार के अवशेष हैं जिनकी पहचान ज्ञात नहीं है। शीश गुम्बद को भी सिकन्दर लोधी के शासनकाल में बनवाया गया था।
अठपुला – सिकंदर लोधी के मकबरे से थोड़ी दूर पूर्व में सात मेहरावों वाला एक पुल है जिसे नाले पर बनाया गया है। इसके ऊपर बीच के मेहरावों का फैलाव अधिक है। इस पुल में आठ खंभे हैं। इसे मुगल काल के दौरान बनाया गया था। इस पुल का निर्माण बादशाह अकबर के शासन काल (1556-1605) के दौरान नवाब बहादुर नामक व्यक्ति ने करवाया था।
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