किरण बेदी की प्रेरणादायी जीवनी | Kiran Bedi Biography in Hindi

Kiran Bedi / डॉ॰ किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा की सेवानिवृत्त अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, भूतपूर्व टेनिस खिलाड़ी एवं राजनेता हैं। इनका नाम भारत के इतिहास में प्रथम महिला IPS ऑफिसर के रूप में लिया जाता है जिन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद सामाजिक कार्यो में अपना जीवन लगाया। विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी कार्य-कुशलता का परिचय दिया है। वह वर्ष 2002 के लिए भारत की ‘सबसे प्रशंसित महिला’ चुनी गयीं।

किरण बेदी की प्रेरणादायी जीवनी | Kiran Bedi Biography in Hindi

किरण बेदी संक्षिप्त परिचय – Information About Kiran Bedi in Hindi

नामडॉ॰ किरण बेदी (Kiran Bedi)
जन्म दिनांक 9 जून 1949 अमृतसर
पिता का नामप्रकाश पेशावरिया
माता का नामप्रेमलता पेशावरिया
विवाहब्रज बेदी
शिक्षा BA (Hons) English, MA Political Science, LL.B., Ph.D.,
उपलब्धियां‘प्रेसिडेन्ट्स गैलेन्टरी अवार्ड’ (1979), मैग्सेसे (1994), महिला शिरोमणि (1995), ‘फॉदर मैशिस्मो हयूमेनिटेरियन अवार्ड’ (1995), ‘प्राइड ऑफ इण्डिया’ (1999), ‘मदर टेरेसा नैशनल अवार्ड फॉर सोशल जस्टिस’ (2005).

किरण बेदी एक सामाजिक कार्यकर्ता और रिटायर्ड आईपीएस हैं जिन्होंने 1972 में पुलिस सेवा में प्रवेश के बाद 2007 में सेवा से रिटायमेंट ले लिया था। वे लोकप्रिय टीवी सीरिज ‘आप की कचहरी’ की होस्ट भी रह चुकी हैं। उन्होंने दो गैर-सरकारी संगठन भी बनाए हैं जिनमें से एक को नवज्योति इंडिया फाउंडेशन और दूसरे को इंडिया विजन फाउंडेशन के नाम से जाना जाता है।

प्रारंभिक जीवन – Kiran Bedi Biography 

किरण बेदी (Kiran Bedi) का जन्म 9 जून 1949 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था। वे प्रकाश पेशावरिया और प्रेमलता पेशावरिया की चार बेटियों में से दूसरे नंबर की हैं। उनकी तीन बहनें हैं जिनमें से शशि कनाडा में रहती हैं और एक कलाकार हैं। दूसरी बहन रीता क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और लेखक है जबकि तीसरी बहन अनु एक वकील हैं।

किरण बेदी के माता-पिता ने किरण बेदी सहित उनकी तीनों बहनों की परवरिश इस तरह से की कि पुरुष आधिपत्य वाले समाज में वे स्वाभिमान और मस्ती के साथ जी सके। उन्होंने अपनी बेटियों को आत्म अनुशासन का जो पाठ पढ़ाया वही किरण बेदी और उनकी बहनों की असली संपत्ति बना।

किरण बेदी के बड़े दादा लाला हरगोबिन्द का पेशावर से अमृतसर स्थानांतरण हुआ। जहा उन्होंने एक व्यापर शुरू किया। बेदी का पालनपोषण ज्यादा धार्मिक रूप से नही था। लेकिन दोनों धर्मो हिन्दू और सिख धर्म में उनका पालनपोषण हुआ (उनकी दादी सिख थी)।

किरण बेदी बचपन से ही अपनी ज़िंदगी को एक अलग नज़रिये से जीती थी। बचपन से ही किरण के मन में कुछ कर दिखाने का ज़ज्बा था, जिसके बूते पर उन्होंने अपनी एक अलग राह चुनी। किरण को बचपन में टेनिस बहु‍त पसंद था और टेनिस की खिलाडी भी रही थी। अपनी बहनों के साथ उन्होंने इस खेल में कई खिताब भी हासिल किए। उस दौर में किरण बेदी और उनकी बहनों को ‘पेशावर बहनों’ (शादी के पहले पेशावरिया उनका उपनाम था) के नाम से जाना जाता था। किरण ऑल इंडिया और ऑल एशियन टेनिस चैंपियन‍िशिप की विजेता भी रहीं।

किरण बेदी की शिक्षा

Kiran Bedi – किरण बेदी की प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर के सीक्रेट हर्ट कॉन्वेंट स्कूल में हुई। वहाँ उन्होंने नेशनल क्रेडेट कोर्स में भर्ती हुई। सन् 1964 – 68 में उन्होंने शासकीय कन्या महाविद्यालय, अमृतसर से अंग्रेज़ी साहित्य ऑनर्स में स्नातक तथा सन् 1968 – 70 में राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की, जिसमें वे प्रथम आयी थीं। और उसी साल उन्हें NCC कैडेट ऑफिसर का पुरस्कार दिया गया।

1970 से 1972 तक उन्होंने खालसा महिला कॉलेज अमृतसर में व्याख्याता का काम किया। वह राजनीती शास्त्र से संबंधित विषयो को पढ़ाती थी। 1972 में उन्होंने एक कारोबारी बृज बेदी से विवाह किया था। तीन वर्ष बाद उनकी बेटी साइना पैदा हुई थी। बाद में भारतीय पुलिस में उनके करियर के दौरान उन्होंने 1988 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से न्याय शास्त्र की डिग्री प्राप्त की और IIT दिल्ली डिपार्टमेंट ऑफ़ सोशल साइंस से 1993 में Ph.D की।

करियर 

किरण बेदी ने कई सीनियर सिविल सर्वेंट से प्रभावित होकर पब्लिक सर्विस करियर में जाने का फैसला किया था। 16 जुलाई 1972 को किरण बेदी ने मसूरी के “नेशनल अकादमी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेशन” से अपनी पुलिस प्रशिक्षण शुरू किया था। उनके बैच में वो अकेली महिला था जो बाद में भारत की पहली महिला IPS अफसर बनी। इसके बाद उनको 6 महीने का फाउंडेशन कोर्स किया जिसमे उनको प्रशिक्ष्ण माउंट आबू में दिया गया था। इसके बाद ट्रेनिंग के लिए उनको पंजाब पुलिस भेजा गया था।

आईपीएस में शामिल होने के बाद किरन बेदी ने दिल्ली, गोवा और मिजोरम में सेवा की। उन्होंने अपना कार्यकाल पुलिस आयुक्त प्रतिनिधि (DCP) की तरह चाणक्यपुरी, दिल्ली से शुरू किया। किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा (आई.पी.एस) में आने वाली देश की पहली महिला अधिकारी हैं। भारतीय पुलिस सेवा में पुलिस महानिदेशक (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट) के पद पर पहुँचने वाली किरण एकमात्र भारतीय महिला थीं, जिसे यह गौरव हासिल हुआ।

किरण बेदी ने दिल्ली ट्रैफिक पुलिस चीफ, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, मिज़ोरम, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिज़न, तिहाड़, स्पेशल सेक्रेटेरी टू लेफ्टीलेन्ट गवर्नर, दिल्ली, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, चंडीगढ़, जाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस ट्रेनिंग, स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस इंटेलिजेन्स, यू.एन. सिविलियन पुलिस एड्वाइजर, महानिदेशक, होम गार्ड और नागरिक रक्षा, महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो जैसे पदों पर भी कार्य कर चुकी हैं। किरण डीआईजी, चंडीगढ़ गवर्नर की सलाहकार, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में डीआईजी तथा यूनाइटेड नेशन्स में एक असाइनमेंट पर भी कार्य कर चुकी हैं।

2003 में, किरन बेदी पहली महिला बनी जिसे यूनाइटेड नेशन ने नागरिक पुलिस सलाहकार हेतु नियुक्त किया। वर्षों तक देश सेवा के कार्य में अपना जी-जान लुटाने वाला हर व्यक्ति तरक़्क़ी चाहता है। किरण बेदी के साथ भी यही हुआ। दिल्ली के उपराज्यपाल ने किरन बेदी को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाए जाने की सिफारिश की थी किंतु गृह मंत्रालय किरण बेदी के स्थान पर वाई. एस. डडवाल को यह पद देने के पक्ष में था। अत: किरण के स्थान पर 1974 बैच के वाई. एस. डडवाल को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाया गया, जिससे क्षुब्ध होकर स्वाभिमानी किरण बेदी ने वी. आर. एस. (स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) ले लिया। 26 दिसंबर, 2007 को उन्होंने पुलिस सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ली। उस समय वे भारतीय पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के महानिदेशक पद पर थी।

2008-11 के बिच, उन्होंने आप की कचेहरी की मेजबानी भी की। वह 2011 भ्रष्टाचार मुक्त भारत की नेता भी बनी, और जनवरी 2015 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई।

किरण बेदी की उल्लेखनिय कार्य – Kiran Bedi Detail

एक आई.पी.एस. रहते हुए उन्होंने बहुत सारे महत्वपूर्ण काम किए। वे संयुक्त राष्ट्र पीसकीपिंग ऑपरेशन्स से भी जुड़ी रहीं और इसके लिए उन्हें मेडल भी दिया गया था। उन्हें क्रेन बेदी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि जब वे दिल्ली में ट्राफिक में उच्च पदस्थ अधिकारी थीं तब उन्होंने तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की कार को क्रेन से उठवा लिया था और पार्किंग नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना भी लगाया था।

उन्हें जेल प्रशासन में महत्वपूर्ण सुधार करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कैदियों के कल्याण के लिए तिहाड़ जेल में बहुत सारे सुधार किए जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें रमन मेगसेसे पुरस्कार के साथ-साथ जवाहर लाल नेहरू फेलोशिप भी मिली थी। जेल सुधारों के लिए उन्हें 2005 में मानद डॉक्ट्‍रेक्ट भी प्रदान की गई थी।

किरण बेदी अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर नशा करने वाले कैदियों के सुधार के लिए नशामुक्ति अभियान चलाया और अब उनके फाउंडेशन निरक्षरता और महिला सशक्तीकरण के लिए काम कर रहे हैं। वे इंडिया अगेंस्ट करप्शन की एक प्रमुख सदस्य रही हैं जिसने अण्णा हजारे और अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर जन लोकपाल के लिए आंदोलन किया था। वे और उनके साथी देश में मजबूत लोकपाल की नियुक्ति करने के लिए सरकार से आग्रह करते रहे हैं।

जहाँ एक ओर उन्हें बहुत सारे पुरस्कार, प्रशंसा मिली है वहीं एक विदेशी कैदी को चिकित्सा सेवा उपलब्ध न कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी आलोचना की थी और उनके खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले की शुरुआत की थी। 1988 में बाधवा आयोग ने वकीलों पर लाठी चार्ज करवाने के लिए बेदी की आलोचना की थी।

किरण बेदी ने नौकरी करते हुए समाजसेवा में अपनी रुचि को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए दो स्वयं सेवी संगठनों की स्थापना भी की। सन् 1987 में किरण बेदी ने नवज्योति तथा 1994 में इंडिया विजन फाउंडेशन नामक संस्थानों की शुरुआत की। इनके माध्यम से उन्होंने नशाखोरी पर अंकुश लगाने तथा गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद करने जैसे काम शुरू किए जो आज भी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं। ये संस्थाएं रोज़ाना हज़ारों गरीब बेसहारा बच्चों तक पहुँचकर उन्हें प्राथमिक शिक्षा तथा स्त्रियों को प्रौढ़ शिक्षा उपलब्ध कराती है। ‘नव ज्योति संस्था’ नशामुक्ति के लिए इलाज करने के साथ-साथ झुग्गी बस्तियों, ग्रामीण क्षेत्रों में तथा जेल के अंदर महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण और परामर्श भी उपलब्ध कराती है। डॉ. बेदी तथा उनकी संस्थाओं को आज अंतर्राष्ट्रीय पहचान तथा स्वीकार्यता प्राप्त है। नशे की रोकथाम के लिए इस संस्थाओं को यूनाइटेड नेशन्स की ओर से ‘सर्ज सॉइटीरॉफ मेमोरियल अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया है।

क़ामयाबी का श्रेय

किरण अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माँ-बाप को भी देती हैं, जिनके हौसलों ने उन्हें आगे बढ़ने की ताकत प्रदान की। किरण के पिता हमेशा से ही अपनी बेटियों को कहते थे कि ‘तुम अपना जीवन खुद बनाओ, तुम किसी से कम नहीं हो, आसमान अनंत है और पढ़ाई तुम्हारा असली धन है।’ बुद्धि, कौशल हर चीज़ में किरण लड़कों से कम नहीं। ‘लोग क्या कहेंगे’ इस बात की किरण ने कभी भी परवाह नहीं करते हुए अपनी ज़िंदगी के मायने खुद निर्धारित किए। अपने जीवन व पेशे की हर चुनौती का हँसकर सामना करने वाली किरण बेदी साहस व कुशाग्रता की एक मिसाल हैं, जिसका अनुसरण इस समाज को एक सकारात्मक बदलाव की राह पर ले जाएगा। ‘क्रेन बेदी’ के नाम से विख्यात इस महिला ने बहादुरी की जो इबारत लिखी है, उसे सालों तक पढ़ा जाएगा।


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