Kailash Gufa / कैलाश गुफ़ा छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले में अम्बिकापुर में स्थित है। कैलाश गुफ़ा के पास समरबार संस्कृत महाविद्यालय है, जो बहुत ही ख़ूबसूरत हैं। कैलाश गुफ़ा का निर्माण पहाड़ियों को काटकर बडी ही ख़ूबसूरती के साथ किया गया है। गुफ़ा के पास मीठे पानी की जलधारा है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां मेला भी आयोजित किया जाता है। कैलाश गुफ़ा के प्रमुख आकर्षण प्रभु शिव, पार्वती, यज्ञ मंडप, संस्कृत महाविद्यालय, गहिर गुरु आश्रम आदि के मंदिर हैं।
कैलाश गुफ़ा का इतिहास और जानकारी Kailash Gufa Jashpur Chhattisgarh in Hindi
अम्बिकापुर नगर से पूर्व दिशा में 60 किलोमीटर पर स्थित सामरबार नामक स्थान है, जहां पर प्राकृतिक वन सुषमा के बीच कैलाश गुफा स्थित है। इसे परम पूज्य संत रामेश्वर गहिरा गुरू जी नें पहाडी चटटानो को तराशंकर निर्मित करवाया है।
इस गुफा की सबसे बड़ी खास बात यह है की इस गुफा के अन्दर सालभर पानी की धारा बहती रहती है जबकि गुफा के ऊपर कोई भी पानी श्रोत नही है अक्सर ऐसा होता है की जो भी यंहा पूजा करने आता है थोडा बहुत जरूर यंहा की पानी से भीग जाता है।
कैलाश गुफा को छोटा बाबा धाम भी कहा जाता है क्योंकि यहा हर साल सावन के महीने पुरे महीने मेला लगा रहता है और आस पास के सभी श्रद्धालु कावर ले कर पैदल यात्रा कर के भगवन शिव को जल चढ़ाने आते है। यहा पर सावन महीने के चारो सोमवार को अलग अलग तरफ के लोग आते है।
यह गुफा प्राचीन काल से स्थित है लेकिन उस वक़्त यंहा घन घोर जंगल होने की वजह से जंगली जीव जंतु होने की वजह से इसका किसी को पता नही था। इस गुफा में पहले शेर होता था ऐसा बताया जाता है। सन 1985 के लगभग श्री रामेश्वर गहिरा गुरु जी ने इस गुफा की खोज की वंहा उन्होंने कई वर्षो तक तपस्या भी किया था।
श्री रामेश्वर गहिरा गुरु जी एक दिव्या शक्ति वाले ब्यक्ति थे उन्हें आज भी लोग पूजते हैं। गहिरा गुरु जी और उनके कुछ साथियों ने इस गुफा को बाद में सुधर कर के लोगो के आने जाने के लायक बनाया ताकी लोग भगवान शिव की पूजा करने आसानी से आ सके, इस जगह पर दो शिव लिंग है एक एक गुफा के उपर जिसे बुढा शिव कहते है बुढा शिव की लगभग 15 से 20 फिट लम्बी है और इसी की ठीक निचे गुफा के अन्दर एक शिव लिंग है जन्हा पर गहिरा गुरु जी ने तप किया था।
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