H. D. Deve Gowda / श्री एच.डी देवगौड़ा एक भारतीय राजनेता हैं जो 1 जून, 1996 से 21 अप्रैल, 1997 तक भारत के प्रधानमंत्री (Prime Minister) थे। इससे पहले वे कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे थे।
श्री एच.डी देवगौड़ा का परिचय – H. D. Deve Gowda Biography in Hindi
पूरा नाम | हरदनहल्ली डोडेगौड़ा देवगौडा़ (Haradanahalli Doddegowda Deve Gowda) |
जन्म दिनांक | 18 मई, 1933 |
जन्म भूमि | हरदन हल्ली ग्राम, हासन ताक़ुमा, कर्नाटक |
पिता का नाम | श्री दोड्डे गौड़ा |
माता का नाम | देवम्या |
पत्नी | चेनम्मा |
शिक्षा | सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा |
कर्म-क्षेत्र | राजनितिक |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | कांग्रेस और जनता दल |
पद | भारत के 11वें प्रधानमंत्री |
केंद्र मे जब गठबंधन सरकारों का दौर चला तो 11वी लोकसभा में लगभग 13 राजनीतिक दलों के सांसदों ने श्री एच.डी देवगौड़ा को सर्वसम्मति से अपना नेता चुना। कांग्रेस नेता श्री पी.वी नरसिम्हा राव की सरकार को अथवा किसी भी अन्य राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इस प्रकार त्रिशंकु लोकसभा में 13 दलों के सांसदों के समर्थन से श्री एच.डी देवगौड़ा के नेतृत्व में केंद्रीय सरकार का गठन हुआ।
1 जून, 1996 को श्री देवगौड़ा ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। उन्होंने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में काफी कुछ ऐसा हासिल किया जिससे जनता में उनकी आज भी काफी अच्छी धाक है। उन्होंने अपने कार्यालय में किसानों के हितों को प्रमुखता दी। भारत एक कृषि प्रधान देश है और श्री देवगौड़ा एक किसान परिवार से संबंध रखते हैं।
श्री देवगौड़ा भारतीय किसानों, शोषितों और मजदूरों के लिए कई सराहनीय कार्य किए। इसी कारण किसानों और मजदूरों के बीच में वे अभी भी काफी लोकप्रिय है।
प्रारंभिक जीवन – Early Life of H. D. Deve Gowda
श्री एच.डी देवगौड़ा का पूरा नाम हरदनहल्ली डोडागौड़ा देवगौड़ा (Haradanahalli Doddegowda Deve Gowda) है। इनका जन्म कर्नाटक राज्य के हसन जिले में 18 मई, 1933 को हुआ था। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि साफ सुथरे और उच्च शिक्षित किसान परिवार की रही है।
किसान प्रधान भारत के लिए गर्व की बात है कि एक कृषक परिवार में जन्मे सुशिक्षित और योग्य राजनेता श्री देवगौड़ा को देश का नेतृत्व करने का जब शुभ अवसर मिला तो उन्होंने इसे बखूबी निभाया।
श्री एच.डी देवगौड़ा की प्रारंभिक शिक्षा उनके अपने गांव में ही हुई। उनके पिता एक विद्यालय में अध्यापन कार्य करते थे।वे नियम, संयम, अनुशासन और शिष्टाचार की ओर विशेष ध्यान देते थे। पिता के अनुसार अनुशासनात्मक प्रवृत्ति और सहनशीलता का ही प्रभाव था कि वे बाल्यकाल से ही अनुशासित और संयमशील रहे। इन्ही गुनो ने उनकी प्रतिभा को द्विगुणित कर दिया। कुशाग्र बुद्धि के श्री देवगौड़ा ने हाई स्कूल की परीक्षा सार्वधिक अंकों के साथ उतीर्ण की।
1952 में श्री देवगौड़ा ने लक्ष्मण वेंकटस्वामी ऑक्यूपेशन इंस्टिट्यूट से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा पाठ्यक्रम पास किया। इसके बाद वे शीघ्र ही कनिष्ठ इंजीनियर के पद पर कार्य करने लगे। श्री देवगौड़ा के मन में देशसेवा और समाज सेवा की उत्कट भावनाएं हिलोरे ले रही थी।
याघपी नौकरी करते हुए वे अपना ध्यान काम के समय काम पर और आराम के समय देशहित व समाज हित के कार्यों पर गहन चिंतन-मनन किया करते थे, तथा अपने देश और समाज को अपना पूरा समय नहीं दे पा रहे थे। इस बात का उन्हें बड़ा छोम था। कुछ समय तक उनका जीवन क्रम इसी प्रकार चलता रहा किंतु वह अधिक समय तक अपनी भावनाओं को दबाकर नहीं रख सके। अतः उन्होंने नौकरी से त्याग पत्र दे दिया और समाज सेवा के कार्यों में संलग्न हो गए।
उन्होंने 20 वर्ष की आयु में चिनम्मा से विवाह किया और उनके चार पुत्र हैं – एच.डी. बालकृष्ण गौड़ा, एच.डी. रेवन्ना, डा. एच.डी. रमेश और एच.डी. कुमार स्वामी हैं। उनकी दो पुत्रियां भी हैं जिनका नाम एच.डी. अनुसुइया और एच.डी. शैलजा है। उनके एक पुत्र एच.डी. कुमारस्वामी कनार्टक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
राजनीति जीवन – H. D. Deve Gowda Life History in Hindi
1953 मे श्री देवगौड़ा ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करके सक्रिय राजनीति में कदम रखा, किंतु शीघ्र ही उन्हें यह आभास होने लगा कि कांग्रेस और उनके विचारों में तालमेल नहीं बन पा रहा है। कांग्रेस पार्टी से सही मायने में पटरी नहीं बैठ पाने के कारण श्री देवगौड़ा ने 1962 में कांग्रेस की सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया। कांग्रेस से अलग होने के बाद श्री देवगौड़ा निर्दलीय सदस्य के रूप में कर्नाटक विधानसभा के सदस्य बने।
1977 में श्री देवगौड़ा ने जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। अपनी लगनशीलता और उज्जवल छवि के सहारे 1978 में वे जनता पार्टी की कर्नाटक इकाई में अध्यक्ष बनाए गए।
1983 में जब कर्नाटक में श्री रामकृष्ण हेगडे के नेतृत्व वाली सरकार बनी तो श्री देवगौड़ा उनके मंत्रिमंडल में सम्मानित स्थान दिया गया और उन्हें सिंचाई मंत्री बनाया गया। इसके बाद राजनीति के बीहड़ पथ पर श्री देवगौड़ा कभी पलट कर नहीं देखा और निरंतर आगे की ओर बढ़ते रहें।
1994 में जब उनके नेतृत्व में जनता दल ने कर्नाटक विधानसभा में भारी बहुमत से विजय प्राप्त की तो उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना गया। 1996 में लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रहे श्री देवगौड़ा की लोकप्रिय छवि बहुत काम आई और कर्नाटक राज्य में जनता दल को अभूतपूर्व सफलता मिली।
अब श्री देवगौड़ा की छवि कर्नाटक राज्य से प्रसारित होकर देश-भर में फैल गई। 1996 में अटल बिहारी वाजपयी जब बहुमत साबित नहीं कर सके तो उन्हें अपने कार्यकाल के तेरहवें दिन ही प्रधानमंत्री का पद त्यागना पड़ा। ऐसी परिस्थितियों में एच.डी. देवगौड़ा ने संयुक्त मोर्चा सरकार के प्रतिनिधि के रूप में भारत के 14वे प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया। वे 1 जून, 1996 से 21 अप्रैल, 1997 तक देश के प्रधानमंत्री रहे।
श्री देवगौड़ा अभी भी देशहित की सक्रिय राजनीति में प्रभावशाली भूमिका अदा कर रहे हैं। आज भी उनकी छवि साफ-स्वच्छ और लोकप्रिय किसान नेता की है।