श्री गुलजारीलाल नंदा की जीवनी | Gulzarilal Nanda Biography In Hindi

श्री गुलजारीलाल नंदा की जीवनी | Gulzarilal Nanda Biography In Hindiश्री गुलजारीलाल नंदा का परिचय – Gulzarilal Nanda Biography in Hindi

पूरा नामगुलज़ारीलाल नन्दा (Gulzarilal Nanda)
जन्म दिनांक4 जुलाई, 1898
जन्म भूमिसियालकोट, पंजाब, पाकिस्तान
मृत्यु15 जनवरी, 1998, नई दिल्ली
पिता का नामबुलाकी राम नंदा
माता का नामश्रीमती ईश्वर देवी नंदा
पत्नीलक्ष्मी देवी
कर्म-क्षेत्रराजनितिक
नागरिकताभारतीय
पार्टीकांग्रेस
पददो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री

सुविख्यात गांधीवादी राजनेता, मजदूरों के हितचिंतक और लेखक श्री गुलजारीलाल नंदा ने दो बार भारत का प्रधानमंत्री पद प्राप्त किया, किंतु उन दोनों ही बार की स्थितियों में देश पर गहन संकट के बादल छाए हुए थे।

श्री नंदा के बारे में एक रोचक तथ्य यह भी सामने आता है कि वह दो बार प्रधानमंत्री बने और दोनों ही बार बिना किसी चुनावी प्रक्रिया के और बिना दल के नेता का पद प्राप्त किया। फिर भी जब विश्व के एक विशाल लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्रियों का परिकलन किया जाता है तो उनमे श्री गुलजारी लाल नंदा का नाम भी अवश्य शामिल किया जाता है।

श्री नंदा जब पहली बार 1964 में कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने तो उस समय देश अपने लोकप्रिय नेता पंडित जवारहरलाल लाल नेहरू के निधन पर कराह रहा था। 27 मई 1964 को प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के कारण रिक्त हुए पद पर कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रुप में श्री गुलजारी लाल नंदा को बिठाया गया।

देश की कमान संभालते हुए श्री नंदा ने शांतिपूर्वक ढंग से लोकसभा चुनाव का आयोजन किया। इन चुनावों के परिणामस्वरुप सर्वसम्मित से कांग्रेस संसदीय दल के नेता चुने गए श्री लाल बहादुर शास्त्री को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। 9 जून, 1964 को कार्यवाहक प्रधानमंत्री श्री नंदा ने श्री लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री पद की कमान सौंप दी।

दूसरी बार जब श्री गुलजारी लाल नंदा फिर कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गए, वह समय पहले समय से भी अधिक घोर संकट का था।

लाल बहादुर शास्त्री का प्रधानमंत्री काल चल रहा था। इसी बीच 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर युद्ध थोप दिया, जिसका प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने करारा जवाब दिया।

पाकिस्तान ‘बैकफुट’ पर आने के लिए मजबूर हो गया और उसने यूनाइटेड नेशन से गुहार लगाई। अंतत: रूस की अपील पर भारत के प्रधानमंत्री श्री शास्त्री ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान से समझौता करने के लिए सहमत हो गए।

3 जनवरी, 1966 को श्री लाल बहादुर शास्त्री ताशकंद पहुंचे और 10 जनवरी तक समझौता कार्यक्रम को अंतिम रूप देने में जुटे रहें। समझौता हुआ भी, किंतु दुर्भाग्य से प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में ही हृदय गति रुकने से अकाल ही मृत्यु का शिकार हो गए। इस समय की गंभीर विपरीत परिस्थिति का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

इन परिस्थितियों में श्री गुलजारी लाल नंदा को दूसरी बार भारत का कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया। इस बार वह 11 जनवरी, 1966 को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने। पुन: आम चुनाव का आयोजन किया गया। इस चुनाव में श्रीमती इंदिरा गांधी बहुमत के आधार पर भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी। उन्होंने 24 जनवरी, 1966 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इस प्रकार श्री गुलजारी लाल नंदा दूसरी बार 24 जनवरी 1966 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे।

प्रारंभिक जीवन – Early Life of Gulzarilal Nanda

श्री नंदा का जन्म 4 जुलाई, 1898 को भारतवर्ष के सियालकोट नामक शहर में हुआ था। वर्तमान में सियालकोट शहर पाकिस्तान का एक प्रमुख नगर है। श्री नंदा के पिता का नाम श्री बुलाकीराम और माता का नाम ईश्वरी देवी था। माता-पिता ने अपने होनहार पुत्र को बड़े शौक और लाड-प्यार से पाला-पोसा एवं उसकी शिक्षा-दीक्षा की ओर विशेष रुप से ध्यान दिया।

नंदा जी ने फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कला और विधि में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

उस समय अल्पआयु में ही विवाह का प्रचलन था इसी कारण नंदा जी के माता-पिता ने मात्र 18 वर्ष की अवस्था में एक सुयोग्य कन्या श्रीमती लक्ष्मी देवी के साथ उनका विवाह कर दिया था। श्रीमती लक्ष्मी देवी के साथ उनका दांपत्य जीवन सुखपूर्वक व्यतीत हुआ। लक्ष्मी देवी से प्राप्त दो पुत्रों और एक पुत्री के जन्म ने उनके सुखों में कई गुना वृद्धि कर दी।

राजनैतिक जीवन – Gulzarilal Nanda Life History in Hindi

नंदा जी अपने युवा काल में महात्मा गांधी के विचारों से बड़े प्रभावित हुए थे। जब गांधी जी ने 1921 में असहयोग आंदोलन आरंभ किया तो नंदा जी ने भी उसमें भाग लिया था। उस समय उनके तन मन में देशभक्ति का ज्वार जैसे ठाठे मार रहा था।

इसके बाद सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने के लिए उन्हें सन 1932 में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। सन 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उन्हें फिर गिरफ्तार किया गया और सन 1944 तक जेल में रखा गया।

1937 में श्री नंदा की नियुक्ती बॉम्बे वैधानिक असेंबली में की गयी और बॉम्बे सरकार में वे 1937 से 1939 तक सेक्रेटरी (मजदुर और एक्साइज) के पद पर कार्यरत थे। इसके बाद बॉम्बे सरकार (1946-50) के मजदुर मंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने सफलता पूर्वक मजदूरो की समस्याओ को दूर किया। उन्होंने कस्तूरबा मेमोरियल ट्रस्ट का ट्रस्टी बनकर, हिंदुस्तान मजदूर सेवक संघ का सेक्रेटरी बनकर और बॉम्बे हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन बनकर सेवा भी की थी। भारतीय राष्ट्रिय व्यापार संघ को स्थापित करने में भी उन्हें बहुत प्रयास किये थे और बाद में वे उसके अध्यक्ष भी बने।

सन 1947 में नंदा को सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर स्विट्ज़रलैंड में ‘अंतर्राष्ट्रीय मजदूर सम्मेलन’ में भाग लेने के लिए भेजा गया। इसी दौरान उन्होंने श्रमिक और आवासीय व्यवस्था के अध्ययन के लिए स्वीडन, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, बेल्जियम और यूनाइटेड किंगडम का दौरा किया।

सन 1950 में नंदा को योजना आयोग का उपाध्यक्ष चुना गया और सन 1951 में उन्हें केंद्र सरकार में योजना मंत्री का पद दिया गया। उन्हें सिचाई और उर्जा विभाग की जिम्मेदारी भी सौंपी गयी। सन 1952 में वे बॉम्बे से लोक सभा के लिए चुने गए और केंद्र में पुनः योजना, सिंचाई और उर्जा मंत्री बनाये गए।

सन 1957 के लोक सभा चुनाव में एक बार फिर नंदा विजयी हुए और पुनः केन्द्रीय श्रम, रोज़गार और योजना मंत्री का कार्यभार संभाला। इसके बाद उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया।

सन 1962 के लोक सभा चुनाव में वे साबरकांठा से चुने गए और सन 1962-63 में ‘श्रम और रोज़गार’ मंत्री रहे। इसके बाद वे दो बार भारत के प्रधानमंत्री बनाए गए, दोनो ही बार वे 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री रहे।

निधन – Gulzarilal Nanda Died 

गुलज़ारी लाल नंदा का देहांत सौ वर्ष की आयु में 15 जनवरी, 1998 को हुआ। इन्हें 100 वर्षो की दीर्घ आयु प्राप्त हुई। वह सादा जीवन उच्च विचार को अपने जीवन का सिद्धांत मानते थे। एक स्वच्छ छवि वाले गांधीवादी राजनेता के रूप में उन्हें सदैव याद किया जायेगा।


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