Gangotri / गंगोत्री उत्तराखंड राज्य में स्थित गंगा का उद्गम स्थल है जो की पवित्र चार धाम तीर्थ यात्रा के चार स्थलों में से एक है। गंगा का मन्दिर तथा सूर्य, विष्णु और ब्रह्मकुण्ड आदि पवित्र स्थल यहीं पर हैं। वर्तमान में यहाँ पर स्थित ये मंदिर एक गोरखा जनरल अमर सिंह थापा द्वारा 18 वीं सदी में बनवाया गया था।
गंगोत्री की जानकारी – Gangotri Information in Hindi
गंगोत्री उत्तराखंड राज्य में उत्तरकाशी जिले में भागीरथी नदी के किनारे पर और गंगा नदी के उगम पर एक हिंदू तीर्थ स्थान है। गंगा नदी दुनिया में सबसे लंबी और सबसे पवित्र नदी है। गंगोत्री में गंगा का उद्गम स्रोत यहाँ से लगभग 24 किलोमीटर दूर गंगोत्री ग्लेशियर में 4,225 मीटर की ऊँचाई पर होने का अनुमान है। ये मंदिर भारी बर्फबारी की वजह से सर्दियों के दौरान बंद रहता है। तीर्थ यात्रा करने का समय अप्रैल से नवंबर तक के बीच है।
प्रत्येक वर्ष अप्रैल से नवंबर के महीनो के बीच पतित पावनी गंगा मैंया के दर्शन करने के लिए लाखो श्रद्धालु तीर्थयात्री यहां आते है। यमुनोत्री की ही तरह गंगोत्री का पतित पावन मंदिर भी अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता है और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते है।
गंगोत्री मंदिर का इतिहास – Gangotri Temple in Hindi
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि गंगा नदी राजा “भगीरथ” को भगवान शिव द्वारा दिए गए इनाम का परिणाम है। हालांकि तथ्य यह भी है कि अगर गंगा पृथ्वी पर आती है तो पृथ्वी तबाह हो जाएगी, इसलिए भगवान शिव ने उसे अपने जटों में पकड़ा।
यहाँ पर शंकराचार्य ने गंगा देवी की एक मूर्ति स्थापित की थी। जहां इस मूर्ति की स्थापना हुई थी वहां 18वीं शती ई. में अमर सिंह थापा ने मंदिर का निर्माण करा दिया। इसके निकट भैरवनाथ का एक मंदिर है। इसे भगीरथ का तपस्थल भी कहते हैं। जिस शिला पर बैठकर उन्होंने तपस्या की थी वह भगीरथ शिला कहलाती है। उस शिला पर लोग पिंडदान करते हैं। गंगोत्री में सूर्य, विष्णु, ब्रह्मा आदि देवताओं के नाम पर अनेक कुंड हैं।
भगीरथ शिला से कुछ दूर पर रुद्रशिला है। इसके निकट ही केदारगंगा, गंगा में मिलती है। इससे आधी मील दूर पर वह पाषाण के बीच से होती हुई 30-35 फुट नीचे प्रपात के रूप में गिरती है। यह प्रताप नाला गौरीकुंड कहलाता है। इसके बीच में एक शिवलिंग है जिसके ऊपर प्रपात के बीच का जल गिरता रहता है।
ऐसे दुर्गम स्थान पर इतना विशाल और भव्य मंदिर जैसे तीर्थ यात्रियों को अपनी ओर आश्चर्यचकित करता है, ठीक उसी प्रकार गंगा अवतरण की कथा भी लोगों को अपनी और खूब आकर्षित करती है। गंगा मंदिर 6 महीने तक यात्रियों के लिए खुली एवं 6 महीने के लिए बंद रहती है। जब शर्दियों में यहाँ बर्फ भारी मात्रा में गिर जाती है तब 6 महीने के लिए गंगा की मूर्ति को नीचे धराली के पास मुखवा में ले आया जाता है जहाँ उनकी पूजा विधिवत 6 महीने तक की जाती है।
कैसे पहुंचें –
सड़क मार्ग से: गंगोत्री, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र के अधिकांश प्रमुख शहरों के साथ सड़क से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह दिल्ली से 452 किलोमीटर और ऋषिकेश से 229 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेलवे यात्रा: निकटतम रेलवे गंगोत्री से 250 किलोमीटर दूर ऋषिकेश में है। इन जगहों से, या तो तीर्थस्थल तक पहुंचने के लिए बस या टैक्सी ले सकता है।
हवाई यात्रा: गंगोत्री के निकटतम हवाई अड्डा देहरादून है, जो 226 किमी दूर है।