के आर नारायणन की जीवनी | K. R. Narayanan Biography in Hindi

Kocheril Raman Narayanan / के आर नारायणन जिनका पूरा नाम कोच्चेरील रमन नारायणन था भारतीय गणराज्य के दसवे राष्ट्रपति (Tenth President of India) थे। यह प्रथम दलित राष्ट्रपति तथा प्रथम मलयाली व्यक्ति थे जिन्हें देश का सर्वोच्च पद प्राप्त हुआ। इन्हे 14 जुलाई 1997 को हुए राष्ट्रपति चुनाव में विजय प्राप्त हुई थी। श्री के.आर नारायणन को कुल मतों का 95% प्राप्त हुआ। मतगणना का कार्य 27 जुलाई 1997 को संपन्न हुआ। भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त श्री टी.एन. शेषन इनके प्रतिद्वंद्वी थे। 25 जुलाई 1997 को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे एस वर्मा ने श्री के आर नारायणन को राष्ट्रपति के पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

के आर नारायणन की जीवनी | K R Narayanan Biography In Hindi

के आर नारायणन का परिचय – K. R. Narayanan Biography in Hindi

पूरा नामकोच्चेरील रामन नारायणन (Kocheril Raman Narayanan)
जन्म दिनांक27 अक्टूबर, 1920
जन्म भूमित्रावणकोर, भारत
मृत्यु9 नवम्बर, 2005, नई दिल्ली, भारत
पिता का नामकोच्चेरिल रामन वेद्यार
पत्नीउषा नारायणन
संतानचित्रा और अमृता
धर्महिन्दू
नागरिकताभारतीय
प्रसिद्धिभारत के दसवें राष्ट्रपति, पत्रकार
कार्य काल25 जुलाई, 1997 से 25 जुलाई, 2002

राष्ट्रपति बनते ही इन्हें कई संवैधानिक संकटों का सामना करना पड़ा, जैसे-उत्तरप्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने के प्रस्ताव को इन्होंने पुनर्विचार के लिए भेजकर अपनी मौलिक कार्यशैली का परिचय दिया। इन्द्रकुमार गुजराल की अल्पमत में आ जाने वाली सरकार को इन्होंने काफी विचार-विमर्श के बाद 11वीं लोकसभा में भंग कर दिया। इनका कार्यालय 25 जुलाई 2002 को समाप्त हुआ था।

उन्होंने विवेकपूर्ण तरीके से राष्ट्रपति के कार्यालय में निहित विवेकाधीन शक्तियों का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपने फैसलों  के बारे में राष्ट्र को समझाया और राष्ट्रपति के कामकाज में खुलापन और पारदर्शिता लाये।

प्रारंभिक जीवन और पृष्टभूमि – Early Life of K. R. Narayanan

श्री के आर नारायणन का जन्म 27 अक्टूबर 1920 को हुआ था जो सरकारी दस्तावेजों में उल्लेखित है। लेकिन सत्य यह है कि इनका वास्तविक जन्म तिथि विवादों के घेरे में है श्री नारायण के चाचा इनके साथ प्रथम दिन स्कूल गए थे और उन्होंने अनुमान से 27 अक्टूबर 1920 उनकी जन्म तिथि लिखा दी थी। इनका जन्म पैट्र्क घर में हुआ था जो एक कच्ची झोपड़ी की शक्ल में था। यह कच्ची झोपड़ी पेरुमथॉनम उझावूर ग्राम, त्रावणकोर में थी। वर्तमान में यह ग्राम जिला कोट्टायम (केरल) में स्थित है।

श्री के आर नारायणन अपने पिता की सात संतानों में से चौथे थे। इनके पिता का नाम कॉचेरिल रामन वेद्यार था। यह भारतीय पद्धति के सिद्धहस्त आयुर्वेदाचार्य थे। इनके पूर्वज पारवान जाति से संबंधित थे। जो नारियल तोड़ने का कार्य करता है। इनका परिवार काफी ग़रीब था, लेकिन इनके पिता अपनी चिकित्सा इकाई प्रतिभा के कारण सम्मान के पात्र माने जाते थे।

शिक्षा – K. R. Narayanan Education 

श्री नारायणन का परिवार आर्थिक रुप से समृद्ध नहीं था। लेकिन उनके पिता शिक्षा का महत्व समझते थे। इनकी आरंभिक शिक्षा उझावूर के अवर प्राथमिक विद्यालय में हुई। यहां 5 मई 1927 को यह स्कूल के छात्र के रूप में नामांकित हुए जबकि उस प्राथमिक विद्यालय उझावूर में इन्होंने 1931 से 1935 तक अध्ययन किया। उन्हें 15 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता था और चावल के खेतों से होकर गुजरना पड़ता था। उस समय शिक्षा शुल्क बेहद साधारण था लेकिन उसे देने में भी में कठिनाई होती थी।

श्री नारायणन प्राय: कक्षा के बाहर खड़े होकर कक्षा में पढ़ाए जा रहे पाठ को सुनना पड़ता था, क्योंकि शिक्षा शुल्क ना देने के कारण इन्हें कक्षा से बाहर निकाल दिया जाता था। उनके पास पुस्तकें खरीदने के लिए भी धन नहीं होता था। तब अपने छोटे भाई की सहायता के लिए के आर नीलकंतन छात्रों से पुस्तकें मांग कर उनकी नकल उतार कर नारायणन को दे देते थे। अस्थमा के कारण रुग्ण नीलकंतन घर पर ही रहते थे। नारायणन ने सेंट मेरी हाई स्कूल से 1936-37 मैं मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पूर्व 1935-36 मे इन्होने सेंट जॉन हाई स्कूल कुठट्तुकूलम में भी अध्ययन किया था।

स्टेफन का सहारा पाकर श्री नारायणन ने इंटरमीडिएट परीक्षा 1938-40 में कोटायम के सी.एम.एस स्कूल से उतीर्ण की। इसके बाद उन्होंने कला ऑनर्स में स्नातक स्तर की परीक्षा पास की। फिर अंग्रेजी साहित्य में त्रावणकोर विश्वविद्यालय से 1943 में स्नातकोत्तर परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की (वर्तमान में यह केरल विश्वविद्यालय हैं)। इसके पूर्व त्रावणकोर विश्वविद्यालय में किसी भी दलित छात्र ने प्रथम स्थान नहीं प्राप्त किया था।

पत्रकारिता – K. R. Narayanan Journalist

जब इनका परिवार विकट परेशानियों का सामना कर रहा था तब 1944-45 में श्री नारायणन ने बतौर पत्रकार ‘द हिंदू’ और ‘द टाइम्स ऑफ इंडियन’ में कार्य किया। 10 अप्रैल 1945 को पत्रकारिता का धर्म निभाते हुए इन्होंने मुंबई में महात्मा गांधी का साक्षात्कार लिया। इसके बाद वह 1945 में ही इंग्लैंड चले गए और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में राजनीतिक विज्ञान का अध्ययन किया। उन्होंने बी.एससी इकनोमिक (ओनर्स) की डिग्री और राजनीति विज्ञान में विशिष्टता हासिल की। इस दौरान जे.आर.डी टाटा ने इन्हें छात्रवृत्ति प्रदान करके इनकी सहायता की।

शादी – 

8 जून 1951 को श्री नारायणन ने ‘मा टीन टीन’ से विवाह किया। जब यह रंगून और बर्मा (म्यांमार) में कार्यरत थे, तब इनकी भेंट कुमारी मा टीन टीन से हुई थी। यह मित्रता शीघ्र ही प्रेम में बदल गए और दोनों ने विवाह करने का निर्णय कर लिया। तब मा टीन टीन वाई .डब्लू .सी .एस में कार्यरत थी और नारायणन विद्यार्थी थे। शादी के बाद ‘मा टीन टीन का भारतीय नाम उषा रखा गया और वह भारतीय नागरिक भी बन गयी।

राजनीतिक जीवन – K. R. Narayanan Wife

श्री नारायणन का राजनीतिक में परवेश श्रीमती इंदिरा गांधी के आग्रह से संभव हुआ। वह लगातार तीन लोक सभा चुनावो 1984, 1989 एवं 1991 में विजय होकर संसद पहुंचे। ओट्टापलम (केरल) की लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए। कांग्रेसी सांसद बनने के बाद वह राजीव गांधी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में सम्मिलित किए गए।

राजनीति में रहते हुए भी इन्होंने पत्रकारिता व साहित्य में अपनी रुचि बनाये रखी। साहित्य, राजनीति और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों पर इन्होंने कई निबन्ध लिखे। इनकी 3 पुस्तकें प्रमुख हैं- 1. इमेजेज एण्ड इनसाइड्‌स, 2. इण्डिया एण्ड अमेरिका : एसेज इन अण्डरस्टेण्डिंग और 3. नॉन एलायमेंट इन कन्टेपोररी इंटरनेशनल रिलेशन्स।

मंत्री के रूप में इन्होंने योजना, विदेश मामले तथा विज्ञान एवं तकनीकी विभागों का कार्यभार सम्भाला। श्री नारायणन 21 अगस्त, 1992 को डॉ. शंकर दयाल शर्मा के राष्ट्रपतित्व काल में उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए। 17 जुलाई, 1997 को वे स्वतंत्र भारत के अब तक के दसवें राष्ट्रपति बने। के.आर. नारायणन एक गंभीर व्यक्तित्व वाले इंसान थे। वह एक कुशल राजनेता होने के साथ-साथ एक अच्छे अर्थशास्त्री भी थे।

निधन – K. R. Narayanan Died

9 नवम्बर, 2005 को आर्मी रिसर्च एण्ड रैफरल हॉस्पिटल, नई दिल्ली में श्री नारायणन का निधन हो गया। के.आर. नारायणन एक अच्छे राजनेता और राष्ट्रपति के साथ-साथ एक अच्छे इंसान भी थे। राष्ट्र प्रेम, विशिष्ट नैतिक मनोबल तथा साहस के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा।


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