एर्तुग़रुल ग़ाज़ी या इरातुगुल ऑटोमन साम्राज्य के संस्थापक, ओस्मान, के पिता थे। वे बड़े बहादुर और वीर योद्धाओं में शुमार थे। तुर्की साम्राज्य का राज लगभग सवा छह सौ साल रहा। तेरहवीं शताब्दी के अंत से लेकर 1923 में तुर्की रिपब्लिक के बनने तक। ऑटोमन एम्पायर सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी तक इतना ताकतवर हो चुका था कि कई भाषाओं वाले भूभाग पर राज करता था। एशिया से लेकर योरोप और उत्तरी अफ्रीका के कई हिस्सों तक फैला हुआ था।
एर्तुग़रुल ग़ाज़ी का परिचय – Ertugrul Ghazi Biography in Hindi
एर्तुग़रुल ग़ाज़ी काई काबिले के सरदार सुलेमान शाह और हाइमा खानम का बेटा था। एर्तुग़रुल चार भाई थे, वे तीसरे नंबर में थे। सबसे बड़े गुंडोगलू, दूसरे नंबर में सुँगुरतेकिन बे और सबसे छोटा दुंदार था। कई कबीले के लोग खानाबदोश थे। वह एक जगह से दूसरी जगह पलायन करते रहते थे। वे खुद को चरवाहे बताते थे और मवेशियों का पालन पोषण करते थे। इसके अलावा औरतें कालीन बनाया करती थी। एर्तुग़रुल ग़ाज़ी के भाभी का नाम सैलजन खातून था। एर्तुग़रुल ग़ाज़ी का विवाह हलीमा सुल्तान के साथ हुआ था। हलीमा सुल्तान सेल्जुक रियासत की राजकुमारी थी। वेे अपने पति के साथ कई लड़ाइयों में कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाली योद्धा थी। काई कबीले में औरतें भी योद्धा हुआ करती थी। एर्तुग़रुल ग़ाज़ी संत इब्न उल अरबी से बहुत प्रभावित थे। एर्तुग़रुल और उनके दो साथी भी थे जिनका नाम bamsi और दोगान था। वे सब साथ में जंग पर जाते।
एर्तुग़रुल ग़ाज़ी अपने पिता सुलेमान शाह के निधन के बाद काई कबीले के सरदार बने। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई लड़ाईया लड़ी। जिसमे सेलेबी, मंगोल आदि शामिल हैं। उनका ख्वाब था की एक सल्तनत बनाने का, जिसको उनके बेटे उस्मान गाज़ी ने पूरा किया। एर्तुग़रुल ग़ाज़ी उस समय के सुल्तान अलाउद्दीन के वफादार रहे। कहा जाता हैं की एर्तुग़रुल ग़ाज़ी की किस्मत ऐसी थी की, जिस भी जंग में गए वहा जीत हासिल हुई। उनका निधन सन्1280 ईस्वी में हुवा था। एर्तुग़रुल ग़ाज़ी की मजार टर्की में स्थित हैं।
एर्तुग़रुल ग़ाज़ी के जीवन पर आधारित एक धारावाहिक भी बानी जिसका नाम ही एर्तुग़रुल ग़ाज़ी हैं। यह धारावाहिक उर्दू भाषा में YouTube पर उपलब्ध हैं। यह धारावाहिक बहुत पॉपुलर हो चुकी हैं और कई रिकॉर्ड भी बना रही हैं। इसे मुसलमानों का ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ कहा जा रहा है।
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