Dhara 370 / धारा 370 भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद है जिसके तहत जम्मू एवं कश्मीर राज्य को सम्पूर्ण भारत में अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष दर्ज़ा प्राप्त है। आज़ादी मिलने के बाद से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 हमेशा से विवादों का कारण रही है। इस धारा को लेकर भारतीय राजनीति में उठा-पटक होती रहती है। कई राजनीतिक दल इसे जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद के लिये जिम्मेदार मानते हैं। वक्त बेवक्त इस धारा को हटाने की मांग उठती रहती है। आइए जाने धारा 370 की हक़ीकत..
जम्मू-कश्मीर पर धारा 370 कैसे लगा – Article 370 Information in Hindi
1947 में विभाजन के समय जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह पहले स्वतंत्र रहना चाहते थे लेकिन तभी पाकिस्तान समर्थित कबिलाइयों ने वहां आक्रमण कर दिया। उसके बाद राजा हरि सिंह ने भारत में विलय के लिए सहमति व्यक्त कर दी। उस समय कश्मीर का भारत में विलय करने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करने का वक्त नहीं था। इसी हालात को देखते हुए संघीय संविधान सभा में गोपालस्वामी आयंगर ने धारा 306-ए का प्रारूप प्रस्तुत किया था, जो बाद में धारा 370 बन गई। 1951 में राज्य को संविधान सभा को अलग से बुलाने की अनुमति दी गई। नवंबर, 1956 में राज्य के संविधान का कार्य पूरा हुआ। 26 जनवरी, 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया। हालाँकि जम्मू-कश्मीर में पहली अंतरिम सरकार बनाने वाले नेशनल कॉफ्रेंस के नेता शेख़ अब्दुल्ला ने भी भारतीय संविधान सभा से बाहर रहने की पेशकश की थी। जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग अधिकार मिले हैं।
विशेष अधिकार – Article 370 Special Rights to Kashmir
- धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।
- इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।
- इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।
- 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
- इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते।
- भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।
ये हैं धारा 370 की खास बातें – Dhara 370 Important
- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।
2. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है।
3. जम्मू – कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
4. जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है।
5. भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं।
6. भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
7. जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी। इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी।
8. धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI लागू नहीं है, RTE लागू नहीं है, CAG लागू नहीं है। संक्षेप में कहें तो भारत का कोई भी कानून वहाँ लागू नहीं होता।
9. कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है।
10. कश्मीर में पंचायत के अधिकार नहीं।
11. कश्मीर में चपरासी को 2500 रूपये ही मिलते है।
12. कश्मीर में अल्पसंख्यकों [हिन्दू-सिख] को 16% आरक्षण नहीं मिलता।
13. धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
14. धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है।
विभिन्न राजनीतिक दलों का रवैया – Article 370
विभिन्न राजनीतिक दलों का इस मामले पर रवैया अलग-अलग है। भारतीय जनता पार्टी सहित पूरा संघ परिवार प्रारंभ से इस धारा के ख़िलाफ़ रहा है। इसे समाप्त करवाने के लिए उसने अभियान छेड़ा था। उनके नारे थे ‘ एक देश में दो विधान नहीं ……, 370 धोखा है, देश बचा लो….’ भाजपा का मुख्य तर्क है कि धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार प्राप्त है। भाजपा मानना है कि इन प्रावधानों के कारण यह मुसलिम बहुल राज्य बना हुआ है और पूरे देश के साथ समरस नही हो पाया है।
पार्टी के अनुसार इसी वजह से वहाँ अलगाववादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिला है। भाजपा धारा 370 को संविधान निर्माताओं की ग़लती मानती है। वही जम्मू-कश्मीर की प्रमुख पार्टी, नेशनल कॉन्फ़्रेंस का रवैया इसके विपरीत है। उसका कहना है कि भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ धारा 370 का वादा किया था और किसी भी दल की सरकार हो, उसे इसका आदर करना चाहिए। उसका कहना है कि यह धारा 370 ही है जो जम्मू-कश्मीर को भारत से जोड़े हुए है।
हालाँकि जाने-माने अधिवक्ता राम जेठमलानी का कहना हैं की जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है जिसे ‘कोई छू नहीं सकता’। जेठमलानी ने कहा कि भारत के अन्य राज्यों के विपरीत जम्मू कश्मीर ने 1951 में अपनी संविधान सभा प्राप्त की और राज्य का संविधान भारत की संविधान सभा द्वारा तैयार नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, ‘इस राज्य का संविधान भारत की संविधान सभा द्वारा तैयार नहीं किया गया, बल्कि खुद इसी राज्य की संविधान सभा द्वारा तैयार किया गया। यह एक जनमत संग्रह था। यह जम्मू कश्मीर की संविधान सभा थी जिसने भारतीय संविधान के कुछ प्रावधान शामिल किए। इसलिए जनमत संग्रह हो चुका है।’
Bahut hi galat hai abh samay aa gaya hai yaa to 370 hatao ya fir hamari aarmy ko bapas bulao ham is tarah se hamari sena ko patter baajo ke habale kese ker sakte hai sarm aanee chahiye hamare desh ke netao ko jo is dhara ko nahi samapt kar baa parahe hai jai hind
BAHUT HI GALAT HAI HAME JALDI SE JALDI ISS DHARA KO HATANA CHAHIYE NAHI TO YE FAASI KA FANDA HAMESHA HAMARE GALE ME PADA RAHEGA PAISA HAMARA SURKSHA HAMARI AUR MARJI INKI CHAL RAHI HAI AUR HAMARE JAWANO KO APNI JAAN GAWANI PADTI HAI MODI SARKAR SE REQUEST HAI KI AAP JALDI KUCHH KARE ISKE KHILAF ACTION LENA BAHUT HI JARURI HAI
good information……………….
Bhaut badiya aisa bhi hai kiya
370 Shara Hindi me