Dengue Fever / दंडक ज्वर (डेंगू) एडिस इजिप्टीआई (एडीज एजिप्टी) नामक मच्छर के काटने से होता है। ऐसी स्थिति में रोगी को अचानक सर्दी लगकर बहुत तेज बुखार होता है। पूरे शरीर विशेषकर जांघो व् आंखों में बहुत जोर से दर्द होता है और रोशनी असह्य हो जाती है। शरीर का तापक्रम 102* से 106* सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है।
ज्वर की अवस्था में रोगी को भूख नहीं लगती और स्पर्श करने पर वह व्याकुल हो उठता है। रोगी को वमन भी हो सकता है। उसके चेहरे और वक्ष पर लाल-लाल दाने निकल आते हैं। दो-तीन दिन में पसीने के साथ जोर कम हो जाता है। जो हर उतरते समय नासिका से रक्तस्त्राव या अतिसार हो जाता है और रोगी के शरीर में बहुत दर्द होती है।
डेंगू के लक्षण – Dengue Fever Symptoms in Hindi
- तेज बुखार,
- मांस पेशियों एवं जोड़ों में भयंकर दर्द,
- सर दर्द,
- आखों के पीछे दर्द,
- जी मिचलाना,
- उल्टी
- दस्त तथा
- त्वचा पर लाल रंग के दाने
डेंगू से बचाव –
- घर में एवं घर के आसपास पानी एकत्र ना होने दें, साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- यदि घर में बर्तनों आदि में पानी भर कर रखना है तो ढक कर रखें। यदि जरुरत ना हो तो बर्तन खाली कर के या उल्टा कर के रख दें।
- कूलर, गमले आदि का पानी रोज बदलते रहें। यदि पानी की जरूरत ना हो तो कूलर आदि को खाली करके सुखायें।
- ऐसे कपड़े पहनें जो शरीर के अधिकतम हिस्से को ढक सकें।
- मच्छर रोधी क्रीम, स्प्रे, लिक्विड, इलेक्ट्रॉनिक बैट आदि का प्रयोग मच्छरों के बचाव हेतु करें।
- रात को सोते वक्त मच्छरदानी लगाकर सोए।
- किसी भी खुली जगह में जैसे की गड्डो में, गमले में या कचरे में पानी जमा न होने दे। अगर पानी जमा है तो उसमे मिटटी डाल दे।
- घर में कीटनाशक का छिडकाव करे।
डेंगू के घरेलु आयुर्वेदिक इलाज – Dengue Fever Ayurvedic Treatment in Hindi
⇒ सबसे पहले कब से नष्ट करने के लिए रोगी को कुटकी चूर्ण जल के साथ दें। इसके बाद ज्वर नाशक औषधि देनी चाहिए। कृष्ण चतुर्मुर्ख रस या मृत्युंजय रस में से कोई एक दिन में तीन बार सहद के साथ चटाने से दंडक ज्वर में भी जल्दी लाभ होता है।
⇒ नीम, तुलसी,गिलोय, पिप्पली, पपीते की पत्तियों का रस, गेंहू के ज्वारों का रस, आँवला व ग्वारपाठे का रस डेंगू से बचाव में बहुत उपयोगी है। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है तथा डेंगू के वायरस से मुकाबला करने की ताकत आती है।
⇒ 25 ग्राम ताजी गिलोय का तना लेकर कूट लें , 4 – 5 तुलसी के पत्ते एवं 2 – 3 काली मिर्च पीसकर 1 लीटर पानी में उबालें। 250 M.l. शेष रखें , इसे तीन बार में बराबर मात्रा में विभक्त करके लें। यह काढ़ा डेंगू, स्वाइन फ्लू एवं चिकन गुनिया जैसे वायरल इन्फेक्शन से बचाने में बहुत उपयोगी है।
⇒ डेंगू ज्वर में महालक्ष्मी विलास रस या त्रिभुवन कीर्ति रस भी प्रयोग किया जा सकता है। मकरध्वज एवं स्वर्ण बसंत मालती रस आधा-आधा रत्ती, प्रवाल पिष्टी एक रत्ती, नवायस लो दो रत्ती और सितोपलादि चूर्ण 1 ग्राम – इन सबको मिलाकर सहद के साथ सुबह-शाम चटाने से बहुत लाभ होता है। भोजन के बाद रोगी को अश्वगंधारिष्ट तथा द्राक्षासव की 10 ग्राम की मात्रा में जल मिलाकर पिलाएं।
⇒ दण्डक ज्वर नष्ट होने पर एक-दो सप्ताह तक रोगी को कोई शीतल खाद्य पदार्थ नहीं देना चाहिए। एडिस इजिप्टीआई मच्छरों से सुरक्षा के लिए घर के आस-पास मच्छर नाशक औषधियां छिड़के तथा घर में या आसपास पानी न एकत्रित होने दे।
⇒ रोगी को पर्याप्त मात्रा में आहार और पानी लेना चाहिए। डेंगू बुखार में रोगी ने पर्याप्त मात्रा में पानी पीना सबसे ज्यादा आवश्यक हैं।
⇒ याद रखें डेंगू की कोई विशिष्ट चिकित्सा अभी तक उपलब्ध नहीं है। सिर्फ लाक्षणिक चिकित्सा ही की जाती है। बुखार कैसा भी हो इन दिनों में यदि जल्दी आराम ना मिले तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और मच्छरों से बचाव एवं शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढायें। यही डेंगू से बचने का सर्वोत्तम उपाय है।