Deepa Malik – दीपा मलिक एक शॉटपुट एवं जेवलिन थ्रो, तैराकी एवं मोटर रेसलिंग से जुड़ी एक विकलांग भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने 2016 पैरालंपिक में शॉटपुट में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा। अपनी इस उपलब्धि के कारण उन्हें 2019 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया।
दीपा मलिक का परिचय – Deepa Malik Biography in Hindi
मोटर रेसलिंग मे होने के कारण दीपा मलिक हिमालय मोटरस्पोर्ट्स एसोसिएशन (H.M.A.) और भारतीय मोटरस्पोर्ट्स क्लब के महासंघ (F.M.S.C.I.) के साथ जुड़ी हुई है। दीपा ने 8 दिनों में 1700 किलोमीटर यात्रा जीरो तापमान में की, जिसमें वे 18000 फीट ऊंचाई पर भी चढ़ी थी, जहाँ ओक्सीजन तक की कमी थी। इस यात्रा हिमालय, लेह, शिमला और जम्मू सहित कई कठिन रास्तों से होकर पूरी हुई थी। यह ‘रेड दे हिमालय’ मोतोस्पोर्ट्स था।
30 की उम्र में तीन ट्यूमर सर्जरी और शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाने के बावजूद दीपा ने न केवल शॉटपुट एवं ज्वलीन थ्रो में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं, बल्कि तैराकी एवं मोटर रेसलिंग में भी कई स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है। उन्होने भारत की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 33 स्वर्ण तथा 4 रजत पदक प्राप्त किये हैं। वे भारत की एक ऐसी पहली महिला है जिसे हिमालय कार रैली में आमंत्रित किया गया। रियो पैरालिंपिक खेल- 2016 में दीपा मलिक ने शॉट-पुट में रजत पदक जीता, दीपा ने 4.61 मीटर तक गोला फ़ेंका और दूसरे स्थान पर रहीं। पैरालिंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली दीपा पहली भारतीय महिला बन गई हैं।
वर्ष 2008 तथा 2009 में उन्होने यमुना नदी में तैराकी तथा स्पेशल बाइक सवारी में भाग लेकर दो बार लिम्का बूक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया। यही नहीं, सन् 2007 में उन्होने ताइवान तथा 2008 में बर्लिन में जवेलिन थ्रो तथा तैराकी में भाग लेकर रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त किया। कोमनवेल्थ गेम्स की टीम में भी वे चयनित की गई। पैरालंपिक खेलों में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण उन्हे भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया।
प्रारंभिक जीवन – Early Life of Deepa Malik
दीपा का जन्म 30 सितम्बर 1970 को भैस्वाल गाँव जिला सोनीपत, हरियाणा में एक जाट परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम कर्नल बी के नागपाल था, जो एक अनुभवी कर्नल भी थे। दीपा के पति कर्नल विक्रम सिंह है, इनकी दो बेटियां है जिनका नाम देविका एवं अम्बिका है।
दीपा खेल में ही आगे नहीं है, सामाजिक कार्य करने के साथ-साथ लेखन भी करती हैं। गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए कैंपेन चलाती है और सामाजिक संस्थाओं के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं। दीपा को लिखने का शौक है और वह अपनी बायोग्राफी से लेकर खिलाड़ियों के बारे में लिखती हैं।
दीपा मालिक से जुड़े रोचक बातें – Deepa Malik Facts
- वर्ष 1999 में, उन्हें पता चला कि उनके रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर और जिसकीवजह से वह चल नहीं सकती। रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर ठीक करने के लिए उनकी 31 सर्जरी करनी पड़ी।
- उन्हें अपनी कमर के नीचे का कोई अंग महसूस नहीं होता।
- वह भाला फेंक खेल में एशियाई रिकॉर्ड रखती हैं।
- उन्होंने विभिन्न साहसिक खेलों में भाग लिया है और उन सब में पुरस्कार प्राप्त किया है।
- दीपा एक उत्साही मोटर-बाइकर हैं। उन्होंने 8 दिनों में 1700 किमीमोटरसाइकिल चलाई है, और वह भी शून्य तापमान वाले परिस्थियों में।
- गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन पैरा चैंपियंस कार्यक्रम में उनका समर्थन करती है।
- दीपा मलिक 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) में शारीरिक शिक्षाऔर खेल कार्यरत समूह की सदस्य भी रही हैं।
- वर्ष 2012 में, भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।
- 12 सितंबर 2016 को, उन्होंने रियो पैरालिंपिक में रजत पदक जीता औरपैरालंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी।
- वर्ष 2017 में, उन्हें प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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