बादामी चालुक्य वास्तुशिल्प, गुफाएं का इतिहास | Badami Cave Temple in Hindi

Badami Gufa in Hindi – बादामी उत्तरी कर्नाटक राज्य के दक्षिण-पश्चिमी भारत में स्थित है। जहां पर जैन, हिंदु, और बुद्धिस्ट ऐसी चार गुफाओं से बनी है। इस नगर को प्राचीन समय में वातापी के नाम से जाना जाता था। और यह चालुक्य राजाओं की पहली राजधानी था। यह अपने पाषाण शिल्प कला के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।

बादामी चालुक्य वास्तुशिल्प और गुफाएं का इतिहास | Badami Cave Temple in Hindiबादामी चालुक्य – Badami Cave Temple History in Hindi

छठी-सातवीं शती ई. में वातापी नगरी चालुक्य वंश की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध थी। पहली बार यहाँ 550 ई. के लगभग पुलकेशी प्रथम ने अपनी राजधानी स्थापित की थी। उसने वातापी में अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करके अपने वंश की सुदृढ़ नींव स्थापित की थी। 608 ई. में पुलकेशी द्वितीय वातापी के सिंहासन पर आसीन हुआ। यह बहुत प्रतापी राजा था। इसने प्रायः 20 वर्षों में गुजरात, राजस्थान, मालवा, कोंकण, वेंगी आदि प्रदेश को विजित किया।

620 ई. के आसपास नर्मदा नदी के दक्षिण में वातापी नरेश की सर्वत्र दुंदुभि बज रही थी और उसके समान यशस्वी राजा दक्षिण भारत में दूसरा नहीं था। मुसलमान इतिहास लेखक तबरी के अनुसार 625-626 ई. में ईरान के बादशाह ख़ुसरो द्वितीय ने पुलकेशियन की राज्यसभा में अपना एक दूत भेजकर उसके प्रति अपना सम्मान प्रदर्शित किया था।

शिव के मंदिर पर नक़्क़ाशी शायद इसी घटना का दृश्य अजन्ता के एक चित्र (गुहा संख्या 1) में अंकित किया गया है। वातापी नगरी इस समय अपनी समृद्धी के मध्याह्न काल में थी। किन्तु 642 ई. में पल्लवनरेश नरसिंह वर्मन ने पुलकेशियन को युद्ध में परास्त कर सत्ता का अन्त कर दिया। पुलकेशियन स्वंय भी इस युद्ध में आहत हुआ। वातापी को जीतकर नरसिंह वर्मन ने नगर में खूब लूटमार मचाई। पल्लवों और चालुक्यों की शत्रुता इसके पश्चात भी चलती रही। 750 ई. में राष्ट्रकूटों ने वातापी तथा परिवर्ति प्रदेश पर अधिकार कर लिया।

वातापी पर चालुक्यों का 200 वर्षों तक राज्य रहा। इस काल में वातापि ने बहुत उन्नति की। हिन्दू, बौद्ध और जैन तीनों ही सम्पद्रायों ने अनेक मन्दिरों तथा कलाकृतियों से इस नगरी को सुशोभित किया। छठी शती के अन्त में मंगलेश चालुक्य ने वातापी में एक गुहामन्दिर बनवाया था जिसकी वास्तुकला बौद्ध गुहा मन्दिरों के जैसी है। वातापी के राष्ट्रकूट नरेशों में दंन्तिदुर्ग और कृष्ण प्रथम प्रमुख हैं। कृष्ण के समय में एलौरा का जगत प्रसिद्ध मन्दिर बना था किन्तु राष्ट्रकूटों के शासनकाल में वातापी का चालुक्यकालीन गौरव फिर न उभर सका और इसकी ख्याति धीरे-धीरे विलुप्त हो गई।

वास्तुकला – Badami Caves Architecture

बादामी (प्राचीन नाम वातपी या वातपपी) अगत्स्य झील के किनारे पर स्थित हैं जोकि लाल पत्थरों की एक आकर्षित घाटी में स्थित हैं। बादामी गुफा की संरचना में चालुक्यों की वास्तुकला को देखा गया हैं, जो की बहुत आकर्षक हैं। इन गुफाओ को भारत की सबसे पुरानी गुफाओं में से एक माना जाता है। द्रविड़ वास्तुकला की मिशाल के रूप में जानी जाने वाली बादामी पर्यटन प्राचीन समय में चालुक्य राजवंश की राजधानी के रूप में जाना जाता था। बादामी गुफाओं को चालुक्य राजा मंगलेसा के शासनकाल में निर्मित किया गया था। इनमे से तीन हिन्दू धर्म जबकि अन्य एक जैन धर्म से सम्बंधित हैं। इन गुफाओं तक पहुँचने के लिए लगभग 2000 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

बादामी के गुफा मंदिर – Badami Cave Temple in Hindi

पहली गुफा : पहला गुफा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ की विशेषता 18 फुट ऊंची नटराज की मूर्ति है जिसकी 18 भुजाएं हैं जो अनेक नृत्य मुद्राओं को दर्शाती है। इस गुफा में महिषासुरमर्दिनी की भी उत्तम नक्काशी की गई है।

दूसरी गुफा : दूसरी गुफा भगवान विष्णु को समर्पित है। इस गुफा की पूर्वी तथा पश्चिमी दीवारों पर भूवराह तथा त्रिविक्रम के बड़े चित्र लगे हुए हैं। गुफा की छत पर ब्रह्मा, विष्णु शिव, अनंतहसहयाना और अष्टादिक्पलाकास के चित्रों से सुशोभित है।

तीसरी गुफा : तीसरी गुफा बादामी की उस काल की गुफा मंदिरों की वास्तुकला और मूर्तिकला के भव्य रूप को प्रदर्शित करती है। यहाँ कई देवताओं के चित्र हैं तथा यहाँ ईसा पश्चात 578 शताब्दी के शिलालेख मिलते हैं।

चौथी गुफा : चौथी गुफा एक जैन मंदिर है। यहाँ प्रमुख रूप से जैन मुनियों महावीर और पार्श्वनाथ के चित्र हैं। एक कन्नड़ शिलालेख के अनुसार यह मंदिर 12 वीं शताब्दी का है।

गुफा मंदिरों के अलावा उत्तरी पहाड़ी में तीन शिव मंदिर हैं जिनमें से शायद मालेगट्टी शिवालय सबसे अधिक प्रसिद्ध है। अन्य प्रसिद्ध मंदिर भूतनाथ मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर और दत्तात्रय मंदिर हैं। बादामी में एक किला भी है जिसमें कई मंदिर भी हैं तथा साहसिक गतिविधियों को पसंद करने वाले पर्यटक यहाँ रॉक क्लायम्बिंग का आनंद उठा सकते हैं।

बादामी गुफा के बारे में रोचक तथ्य – Interesting Facts About Badami Temple Caves In Hindi

  • प्रसिद्ध बादामी शहर अगत्स्य झील के पास सुन्दर घाटियों तथा सुनहरे बलुआ पत्थर की चट्टानों के मध्य स्थित है। इस गुफा के अन्दर 4 मंदिर बने हुए हैं, जिनमें से 3 मंदिर हिन्दू धर्म को समर्पित तथा एक मंदिर जैन धर्म को समर्पित है।
  • यहां की मंदिर में भगवान शिव के अर्धनारीश्‍वर और हरिहर अवतार की प्रतिमा बनाई गई है।
  • गुफा मंदिरों के अलावा उत्तरी पहाड़ी में तीन शिव मंदिर मौजूद हैं जिनमें मालेगट्टी शिवालय सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इसके अलावा अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में भूतनाथ मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर और दत्तात्रय मंदिर आदि शामिल हैं।
  • बादामी गुफाओं को भारतीय रॉक-कट वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण माना गया हैं। सालो भर यहां पर्यटकों की भीड़ जमी रहती हैं।
  • साल 2015 में यहाँ से केवल 500 मीटर (1600 फीट) की दूरी पर एक ओर गुफा की खोज की गई थी, उस गुफा में लगभग 27 हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तिया मिली थी।
  • यहां जनवरी-फरवरी माह के दौरान बादामी के निकट बनशंकरी मंदिर महोत्सव का आयोजन किया जाता हैं। इसके आलावा मार्च महीने में पट्टडकल में विरुपाक्ष मंदिर कार महोत्सव का आयोजन देखने लायक होता है।
  • साहसिक गतिविधियों को पसंद करने वाले पर्यटक यहाँ पर रॉक क्लायम्बिंग का आनंद उठा सकते हैं।

Badami Gufa Kahan pai jaati hai – Badami Gufa Kaha sthit hai

बादामी गुफा, कर्नाटक के बागलोट जिले में स्थित हैं। इस गुफा तक पहुंचने के लिए हुबली और बेलगांव हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। यहाँ का सबसे नजदीकी रेलवे स्‍टेशन बगलकोट है। यहां से आप बस या टैक्‍सी की सहयता से आसानी से पहुँच सकते है। बादामी गुफा सुबहे के 9 बजे से शाम के 5.30 बजे तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है। भारतीय नागरिक 10 रूपए प्रति व्यक्ति। विदेशी नागरिक 100 रूपए प्रति व्यक्ति। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे निशुल्क।


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