भारत का संविधान- Assam, Meghalaya Government Administration In Hindi

भारत का संविधान – छठी अनुसूची /Six Schedule


(अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275(1)

(असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों) के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में उपबंध,

  1. अनुसूची के अधीन बनाई गई विधियों, नियमों और विनियमों का प्रकाशन
    जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद द्वारा इस अनुसूची के अधीन बनाई गई सभी विधियाँ, नियम और विनियम राज्य के राजपत्र में तुरंत प्रकाशित किए जाएँगे और ऐसे प्रकाशन पर विधि का बल रखेंगे।
  2. (असम राज्य में स्वशासी जिलों और स्वशासी प्रदेशों को संसद के और असम राज्य के विधान मंडल के अधिनियमों का लागू होना)

(1) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी,

(क) (असम राज्य के विधान मंडल) का कोई अधिनियम, जो ऐसे विषयों में से किसी विषय के संबंध में है जिनको इस अनुसूची के पैरा 3 में ऐसे विषयों के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है, जिनके संबंध में जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद विधियाँ बना सकेगी और (असम राज्य के विधान मंडल) का कोई अधिनियम, जो किसी अनासुत ऐल्कोहाली लिकर के उपभोग को प्रतिषिद्ध या निर्बंधित करता है, (उस राज्य में) किसी स्वशासी जिले या स्वशासी प्रदेश को तब तक लागू नहीं होगा जब तक दोनों दशाओं में

से हर एक में ऐसे जिले की जिला परिषद या ऐसे प्रदेश पर अधिकारिता रखने वाली जिला परिषद, लोक अधिसूचना द्वारा, इस प्रकार निदेश नहीं दे देती है और जिला परिषद किसी अधिनियम के संबंध में ऐसा निदेश देते समय यह निदेश दे सकेगी कि वह अधिनियम ऐसे जिले या प्रदेश या उसके किसी भाग को लागू होने में ऐसे अपवादों या उपांतरणों के अधीन रहते हुए प्रभावी होगा जो वह ठीक समझती है,

(ख) राज्यपाल, लोक अधिसूचना द्वारा, निदेश दे सकेगा कि संसद का या (असम राज्य के विधान मंडल) का कोई अधिनियम, जिसे इस उपपैरा के खंड (क) के उपबंध लागू नहीं होते हैं, (उस राज्य में) किसी स्वशासी जिले या स्वशासी प्रदेश को लागू नहीं होगा अथवा ऐसे जिले या प्रदेश या उसके किसी भाग को ऐसे अपवादों या उपांतरणों के अधीन रहते हुए लागू होगा जो वह उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे।

(2) इस पैरा के उपपैरा (1) के अधीन दिया गया कोई निदेश इस प्रकार दिया जा सकेगा कि उसका भूतलक्षी प्रभाव हो।

12क. मेघालय राज्य में स्वशासी जिलों और स्वशासी प्रदेशों को संसद के और मेघालय राज्य के विधान मंडल के अधिनियमों का लागू होना 

इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, –

(क) यदि इस अनुसूची के पैरा 3 के उपपैरा (1) में विनिर्दिष्ट विषयों में से किसी विषय के संबंध में मेघालय राज्य में किसी जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद द्वारा बनाई गई किसी विधि का कोई उपबंध या यदि इस अनुसूची के पैरा 8 या पैरा 10 के अधीन उस राज्य में किसी जिला परिषद या प्रादेशिक द्वारा बनाए गए किसी विनियम का कोई उपबंध, मेघालय राज्य के विधान मंडल द्वारा उस विषय के संबंध में बनाई गई किसी विधि के किसी उपबंध के विरुद्ध है तो, यथास्थिति, उस जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद द्वारा बनाई गई विधि या बनाया गया विनियम, चाहे वे मेघालय राज्य के विधान मंडल द्वारा बनाई गई विधि से पहले बनाया गया हो या उसके पश्चात्‌, उस विरोध की मात्रा तक शून्य होगा और मेघालय राज्य के विधान मंडल द्वारा बनाई गई विधि अभिभावी होगी,

(ख) राष्ट्रपति, संसद के किसी अधिनियम के संबंध में, अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगा कि वह मेघालय राज्य में किसी स्वशासी जिले या स्वशासी प्रदेश को लागू नहीं होगा अथवा ऐसे जिले या प्रदेश या उसके किसी भाग को ऐसे अपवादों या उपांतरणों के अधीन रहते हुए लागू होगा जो वह अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे और ऐसा कोई निदेश इस प्रकार दिया जा सकेगा कि उसका भूतलक्षी प्रभाव हो।

  1. संविधान छठी अनुसूची (संशोधन) अधिनियम, 1995 (1995 का 42) की धारा 2 द्वारा पैरा 12 असम राज्य में लागू होने के लिए निम्नलिखित रूप से संशोधित किया गया, अर्थात्‌- ‘पैरा 12 के उपपैरा (1) में ‘इस अनुसूची के पैरा 3 में ऐसे विषयों’ शब्दों और अंक के स्थान पर ‘इस अनुसूची के पैरा 3 या पैरा 3क में ऐसे विषयों’ शब्द, अंक और अक्षर रखे जाएँगे।’।
  2. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 और आठवीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) शीर्षक के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  3. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 और आठवीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) ‘राज्य का विधान मंडल’ के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  4. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 और आठवीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) अंतःस्थापित।
  5. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 और आठवीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) पैरा 12क के स्थान पर प्रतिस्थापित।

12कक. त्रिपुरा राज्य में स्वशासी जिलों और स्वशासी प्रदेशों को संसद के और त्रिपुरा राज्य के विधान मंडल के अधिनियमों का लागू होना

इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी-

(क) त्रिपुरा राज्य के विधान मंडल का कोई अधिनियम, जो ऐसे विषयों में से किसी विषय के संबंध में है, जिनको इस अनुसूची के पैरा 3 में ऐसे विषयों के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है जिनके संबंध में जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद विधियाँ बना सकेगी, और त्रिपुरा राज्य के विधान मंडल का कोई अधिनियम जो किसी अनासुत ऐल्कोहाली लिकर के उपभोग को प्रतिषिद्ध या निर्बन्धित करता है, उस राज्य में किसी स्वशासी जिले या स्वशासी प्रदेश को तब तक लागू नहीं होगा जब तक, दोनों दशाओं में से हर एक में, उस जिले की जिला परिषद या ऐसे प्रदेश पर अधिकारिता रखने वाली जिला परिषद, लोक
अधिसूचना द्वारा, इस प्रकार निदेश नहीं दे देती है और जिला परिषद किसी अधिनियम के संबंध में ऐसा निदेश देते समय यह निदेश दे सकेगी कि वह अधिनियम उस जिले या प्रदेश या उसके किसी भाग को लागू होने में ऐसे अपवादों या उपांतरणों के अधीन रहते हुए प्रभावी होगा जो वह ठीक समझती है,

(ख) राज्यपाल, लोक अधिसूचना द्वारा, निदेश दे सकेगा कि त्रिपुरा राज्य के विधान मंडल का कोई अधिनियम, जिसे इस उपपैरा के खंड (क) के उपबंध लागू नहीं होते हैं, उस राज्य में किसी स्वशासी जिले या स्वशासी प्रदेश को लागू नहीं होगा अथवा ऐसे जिले या प्रदेश या उसके किसी भाग को ऐसे अपवादों या उपांतरणों के अधीन रहते हुए लागू होगा जो वह उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे,

(ग) राष्ट्रपति, संसद के किसी अधिनियम के संबंध में, अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगा कि वह त्रिपुरा राज्य में किसी स्वशासी जिले या स्वशासी प्रदेश को लागू नहीं होगा अथवा ऐसे जिले या प्रदेश या उसके किसी भाग को ऐसे अपवादों या उपांतरणों के अधीन रहते हुए लागू होगा जो वह अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे और ऐसा कोई निदेश इस प्रकार दिया जा सकेगा कि उसका भूतलक्षी प्रभाव हो।

12ख. मिजोरम राज्य में स्वशासी जिलों और स्वशासी प्रदेशों को संसद के और मिजोरम राज्य के विधान मंडल के अधिनियमों का लागू होना

इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी –

(क) मिजोरम राज्य के विधान मंडल का कोई अधिनियम जो ऐसे विषयों में से किसी विषय के संबंध में है, जिनको इस अनुसूची के पैरा 3 में ऐसे विषयों के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है, जिनके संबंध में जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद विधियाँ बना सकेगी, और मिजोरम राज्य के विधान मंडल का कोई अधिनियम, जो किसी अनासुत ऐल्कोहाली लिकर के उपभोग को प्रतिषिद्ध या निर्बन्धित करता है, उस राज्य में किसी स्वशासी जिले या स्वशासी प्रदेश को तब तक लागू नहीं होगा, जब तक, दोनों दशाओं में से हर एक में, उस जिले की जिला परिषद या ऐसे प्रदेश पर अधिकारिता रखने वाली जिला परिषद, लोक

अधिसूचना द्वारा, इस प्रकार निदेश नहीं दे देती है और जिला परिषद, किसी अधिनियम के संबंध में ऐसा निदेश देते समय यह निदेश दे सकेगी कि वह अधिनियम उस जिले या प्रदेश या उसके किसी भाग को लागू होने में ऐसे अपवादों या उपांतरणों के अधीन रहते हुए प्रभावी होगा जो वह ठीक समझती है।

(ख) राज्यपाल, लोक अधिसूचना द्वारा, निदेश दे सकेगा कि मिजोरम राज्य के विधान मंडल का कोई अधिनियम, जिसे इस उपपैरा के खंड (क) के उपबंध लागू नहीं होते हैं, उस राज्य में किसी स्वशासी जिले या स्वशासी प्रदेश को लागू नहीं होगा अथवा ऐसे जिले या प्रदेश या उसके किसी भाग को ऐसे अपवादों या उपांतरणों के अधीन रहते हुए लागू होगा जो वह उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे।

(ग) राष्ट्रपति, संसद के किसी अधिनियम के संबंध में, अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगा कि वह मिजोरम राज्य में किसी स्वशासी जिले या स्वशासी प्रदेश को लागू नहीं होगा अथवा ऐसे जिले या प्रदेश या उसके किसी भाग को ऐसे अपवादों या उपांतरणों के अधीन रहते हुए लागू होगा जो वह अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे और ऐसा कोई निदेश इस प्रकार दिया जा सकेगा कि उसका भूतलक्षी प्रभाव हो।

  1. स्वशासी जिलों से संबंधित प्राक्कलित प्राप्तियों और व्यय का वार्षिक वित्तीय विवरण में पृथक्‌ रूप से दिखाया जाना

किसी स्वशासी जिले से संबंधित प्राक्कलित प्राप्तियां और व्यय, जो 2**** राज्य की संचित निधि में जमा होनी हैं या उसमें से किए जाने हैं, पहले जिला परिषद के समक्ष विचार-विमर्श के लिए रखे जाएँगे और फिर ऐसे विचार-विमर्श के पश्चात्‌ अनुच्छेद 202 के अधीन राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखे जाने वाले वार्षिक वित्तीय विवरण में पृथक्‌ रूप से दिखाए जाएँगे।

  1. संविधान छठी अनुसूची (संशोधन) अधिनियम, 1988 (1988 का 67) की धारा 2 द्वारा पैरा 12कक और 12 ख के स्थान पर प्रतिस्थापित। पैरा 12कक संविधान (उनचासवाँ संशोधन) अधिनियम, 1984 की धारा 4 द्वारा (1-4-1985 से) अंतः स्थापित किया गया था।
  2. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 और आठवीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) ‘असम’ शब्द का लोप किया गया।

14. स्वशासी जिलों और स्वशासी प्रदेशों के प्रशासन की जाँच करने और उस पर प्रतिवेदन देने के लिए

आयोग की नियुक्ति –

(1) राज्यपाल, राज्य में स्वशासी जिलों और स्वशासी प्रदेशों के प्रशासन के संबंध में अपने द्वारा विनिर्दिष्ट किसी विषय की, जिसके अंतर्गत इस अनुसूची के पैरा 1 के उपपैरा (3) के खंड (ग), खंड (घ), खंड (ङ) और खंड (च) में विनिर्दिष्ट विषय हैं, जाँच करने और उस पर प्रतिवेदन देने के लिए किसी भी समय आयोग नियुक्त कर सकेगा, या राज्य में स्वशासी जिलों और स्वशासी प्रदेशों के साधारणतया प्रशासन की और विशिष्टतया-

(क) ऐसे जिलों और प्रदेशों में शिक्षा और चिकित्सा की सुविधाओं की और संचार की व्यवस्था की,
(ख) ऐसे जिलों और प्रदेशों के संबंध में किसी नए या विशेष विधान की आवश्यकता की, और

(ग) जिला परिषदों और प्रादेशिक परिषदों द्वारा बनाई गई विधियों, नियमों और विनियमों के प्रशासन को, समय-समय पर जाँच करने और उस पर प्रतिवेदन देने के लिए आयोग नियुक्त कर सकेगा और ऐसे आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया परिनिश्चित कर सकेगा।

(2) संबंधित मंत्री, प्रत्येक ऐसे आयोग के प्रतिवेदन को, राज्यपाल की उससे संबंधित सिफारिशों के साथ, उस पर (2) (राज्य की सरकार) द्वारा की जाने के लिए प्रस्तावित कार्रवाई के संबंध में स्पष्टीकरण ज्ञापन सहित, राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखेगा।

(3) राज्यपाल राज्य की सरकार के कार्य का अपने मंत्रियों में आबंटन करते समय अपने मंत्रियों में से एक मंत्री को राज्य के स्वशासी जिलों और स्वशासी प्रदेशों के कल्याण का विशेषतया भारसाधक बना सकेगा।

  1. जिला परिषदों और प्रादेशिक परिषदों के कार्यों और संकल्पों का निष्प्रभाव या निलंबित किया जाना

(1) यदि राज्यपाल का किसी समय यह समाधान हो जाता है कि जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद के किसी कार्य या संकल्प से भारत की सुरक्षा का संकटापन्ना होना संभाव्य है (4) (या लोक व्यवस्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना संभाव्य है) तो वह ऐसे कार्य या संकल्प को निष्प्रभाव या निलंबित कर सकेगा और ऐसी कार्रवाई (जिसके अंतर्गत परिषद का निलंबन और परिषद में निहित या उसके द्वारा प्रयोक्तव्य

सभी या किन्हीं शक्तियों को अपने हाथ में ले लेना है) कर सकेगा जो वह ऐसे कार्य को किए जाने या उसके चालू रखे जाने का अथवा ऐसे संकल्प को प्रभावी किए जाने का निवारण करने के लिए आवश्यक समझे।

(2) राज्यपाल द्वारा इस पैरा के उपपैरा (1) के अधीन किया गया आदेश, उसके लिए जो कारण है उनके सहित, राज्य के विधान-मंडल के समक्ष यथासंभव शीघ्र रखा जाएगा और यदि वह आदेश, राज्य के विधान-मंडल द्वारा प्रतिसंहृत नहीं कर दिया जाता है तो वह उस तारीख से, जिसको वह इस प्रकार किया गया था, बारह मास की अवधि तक प्रवृत्त बना रहेगा : परंतु यदि और जितनी बार, ऐसे आदेश को प्रवृत्त बनाए रखने का अनुमोदन करने वाला संकल्प राज्य के विधान-मंडल द्वारा पारित कर दिया जाता है तो

और उतनी बार वह आदेश, यदि राज्यपाल द्वारा रद्द नहीं कर दिया जाता है तो, उस तारीख से, जिसको वह इस पैरा के अधीन अन्यथा प्रवर्तन में नहीं रहता, बारह मास की और अवधि तक प्रवृत्त बना रहेगा।

  1. जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद का विघटन

(6) (1) राज्यपाल, इस अनुसूची के पैरा 14 के अधीन नियुक्त आयोग की सिफारिश पर, लोक अधिसूचना द्वारा, किसी जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद का विघटन कर सकेगा, और-

  1. संविधान छठी अनुसूची (संशोधन) अधिनियम, 1995 (1995 का 42) की धारा 2 द्वारा पैरा 14 असम राज्य में लागू होने के लिए निम्नलिखित रूप से संशोधित किया गया, अर्थात्‌ :-

पैरा 14 के उपपैरा (2) में, ‘राज्यपाल की उससे संबंधित सिफारिशों के साथ’ शब्दों का लोप किया जाएगा।

  1. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 और आठवीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) ‘असम सरकार’ के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  2. संविधान छठी अनुसूची (संशोधन) अधिनियम, 1988 (1988 का 67) की धारा 2 द्वारा पैरा 15 त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों को लागू करने में निम्नलिखित रूप से संशोधित किया गया है :-

‘(क) आरंभिक भाग में, ‘राज्य के विधान-मंडल द्वारा’ शब्दों के स्थान पर ‘राज्यपाल द्वारा’ शब्द रखे जाएँगे;

(ख) परंतुक का लोप किया जाएगा।’।

  1. आसाम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम, 1969 (1969 का 55) की धारा 74 और चौथी अनुसूची द्वारा (2-4-1970 से) अंतःस्थापित।
  2. संविधान छठी अनुसूची (संशोधन) अधिनियम, 1988 (1988 का 67) की धारा 2 द्वारा पैरा 16 त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों को लागू करने में निम्नलिखित रूप से संशोधित किया गया है :-

(क) उपपैरा (1) के खंड (ख) में आने वाले ‘राज्य के विधान-मंडल के पूर्व अनुमोदन से’ शब्द और दूसरे परंतुक का लोप किया जाएगा;

(ख) उपपैरा (3) के स्थान पर निम्नलिखित उपपैरा रखा जाएगा, अर्थात्‌ :-

‘(3) इस पैरा के उपपैरा (1) या उपपैरा (2) के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश, उसके लिए जो कारण है उनके सहित, राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखा जाएगा।’।

  1. आसाम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम, 1969 (1969 का 55) की धारा 74 और चौथी अनुसूची द्वारा (2-4-1970 से) पैरा 16 को उपपैरा (1) के रूप में पुनर्संख्यांकित किया गया।

(क) निदेश दे सकेगा कि परिषद के पुनर्गठन के लिए नया साधारण निर्वाचन तुरंत कराया जाए; या

(ख) राज्य के विधान-मंडल के पूर्व अनुमोदन से ऐसी परिषद के प्राधिकार के अधीन आने वाले क्षेत्र का प्रशासन बारह मास से अनधिक अवधि के लिए अपने हाथ में ले सकेगा अथवा ऐसे क्षेत्र का प्रशासन ऐसे आयोग को जिस उक्त पैरा के अधीन नियुक्त किया गया है या अन्य ऐसे किसी निकाय को जिसे वह उपयुक्त समझता है, उक्त अवधि के लिए दे सकेगा :

परंतु जब इस पैरा के खंड (क) के अधीन कोई आदेश किया गया है तब राज्यपाल प्रश्नगत क्षेत्र के प्रशासन के संबंध में, नया साधारण निर्वाचन होने पर परिषद के पुनर्गठन के लंबित रहने तक, इस पैरा के खंड (ख) में निर्दिष्ट कार्रवाई कर सकेगा :

परंतु यह और कि, यथास्थिति, जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद को राज्य के विधान-मंडल के समक्ष अपने विचारों को रखने का अवसर दिए बिना इस पैरा के खंड (ख) के अधीन कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

((1) (2) यदि राज्यपाल का किसी समय यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें स्वशासी जिले या स्वशासी प्रदेश का प्रशासन इस अनुसूची के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है तो वह, यथास्थिति, जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद में निहित या उसके द्वारा प्रयोक्तव्य सभी या कोई कृत्य या शक्तियाँ, लोक अधिसूचना द्वारा, छह मास से अनधिक अवधि के लिए अपने हाथ में ले सकेगा और यह घोषणा कर सकेगा कि ऐसे कृत्य या शक्तियाँ उक्त अवधि के दौरान ऐसे व्यक्ति या
प्राधिकारी द्वारा प्रयोक्तव्य होंगी जिसे वह इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे :

परंतु राज्यपाल आरंभिक आदेश का प्रवर्तन, अतिरिक्त आदेश या आदेशों द्वारा, एक बार में छह मास से अनधिक अवधि के लिए बढ़ा सकेगा।

(3) इस पैरा के उपपैरा (2) के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश, उसके लिए जो कारण हैं उनके सहित,  राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखा जाएगा और वह आदेश उस तारीख से जिसको राज्य विधान-मंडल उस आदेश के किए जाने के पश्चात्‌ प्रथम बार बैठता है, तीस दिन की समाप्ति पर प्रवर्तन में नहीं रहेगा यदि उस अवधि की समाप्ति से पहले राज्य विधान-मंडल द्वारा उसका अनुमोदन नहीं कर दिया जाता है।)

  1. स्वशासी जिलों में निर्वाचन-क्षेत्रों के बनाने में ऐसे जिलों से क्षेत्रों का अपवर्जन
    राज्यपाल, ((2) (असम या मेघालय) (3) (या त्रिपुरा) (4) (या मिजोरम) की विधानसभा) के निर्वाचनों के प्रयोजनों के लिए, आदेश द्वारा, यह घोषणा कर सकेगा कि, (5) (यथास्थिति, असम या मेघालय (3) (या त्रिपुरा) (4) (या मिजोरम) (राज्य में) किसी स्वशासी जिले के भीतर का कोई क्षेत्र ऐसे किसी जिले के लिए विधान सभा में आरक्षित स्थान या स्थानों को भरने के लिए किसी निर्वाचन-क्षेत्र का भाग नहीं होगा, किंतु विधान सभा में इस प्रकार आरक्षित न किए गए ऐसे स्थान या स्थानों को भरने के लिए आदेश में विनिर्दिष्ट निर्वाचन-क्षेत्र का भाग होगा।

18. संक्रमणकालीन उपबंध

(1) राज्यपाल, इस संविधान के प्रारंभ के पश्चात्‌ यथासंभव शीघ्र, इस अनुसूची के अधीन राज्य में प्रत्येक स्वशासी जिले के लिए जिला परिषद के गठन के लिए कार्रवाई करेगा और जब तक किसी स्वशासी जिले के लिए जिला परिषद इस प्रकार गठित नहीं की जाती है तब तक ऐसे जिले का प्रशासन राज्यपाल में निहित होगा और ऐसे जिले के भीतर के क्षेत्रों के प्रशासन को इस अनुसूची के पूर्वगामी उपबंधों के स्थान पर निम्नलिखित उपबंध लागू होंगे, अर्थात्‌ :-

(क) संसद का या उस राज्य के विधान-मंडल का कोई अधिनियम ऐसे क्षेत्र को तब तक लागू नहीं होगा जब तक राज्यपाल, लोक अधिसूचना द्वारा, इस प्रकार निदेश नहीं दे देता है और राज्यपाल किसी अधिनियम के संबंध में ऐसा निदेश देते समय यह निदेश दे सकेगा कि वह अधिनियम ऐसे क्षेत्र या उसके किसी विनिर्दिष्ट भाग को लागू होने में ऐसे अपवादों या उपांतरणों के अधीन रहते हुए प्रभावी होगा जो वह ठीक समझता है;

(ख) राज्यपाल ऐसे किसी क्षेत्र की शांति और सुशासन के लिए विनियम बना सकेगा और इस प्रकार बनाए गए विनियम संसद के या उस राज्य के विधान-मंडल के किसी अधिनियम का या किसी विद्यमान विधि का, जो ऐसे क्षेत्र को तत्समय लागू है, निरसन या संशोधन कर सकेंगे।

(2) राज्यपाल द्वारा इस पैरा के उपपैरा (1) के खंड (क) के अधीन दिया गया कोई निदेश इस प्रकार दिया जा सकेगा कि उसका भूतलक्षी प्रभाव हो।

  1. असम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम, 1969 (1969 का 55) की धारा 74 और चौथी अनुसूची द्वारा (2-4-1970 से) अंतःस्थापित।
  2. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 और आठवीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) ‘असम की विधान सभा’ के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  3. संविधान (उनचासवाँ संशोधन) अधिनियम, 1984 की धारा 4 द्वारा (1-4-1985 से) अंतःस्थापित।
  4. मिजोरम राज्य अधिनियम, 1986 (1986 का 34) की धारा 39 द्वारा (20-2-1987 से) अंतःस्थापित।
  5. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 और आठवीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) अंतःस्थापित।
  6. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 और आठवीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) पैरा 18 का लोप किया गया।

(3) इस पैरा के उपपैरा (1) के खंड (ख) के अधीन बनाए गए सभी विनियम राष्ट्रपति के समक्ष तुरंत प्रस्तुत किए जाएँगे और जब तक वह उन पर अनुमति नहीं दे देता है तब तक उनका कोई प्रभाव नहीं होगा।

(1) 20. जनजाति क्षेत्र- (1) नीचे दी गई सारणी के भाग 1, भाग 2 (2), (भाग 2क) और भाग 3 में विनिर्दिष्ट क्षेत्र क्रमशः असम राज्य, मेघालय राज्य (2), त्रिपुरा राज्य और मिजोरम (3) (राज्य) के जनजाति क्षेत्र होंगे।

(2) (4) (नीचे दी गई सारणी के भाग 1, भाग 2 या भाग 3 में) किसी जिले के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 की धारा 2 के खंड (ख) के अधीन नियत किए गए दिन से ठीक पहले विद्यमान उस नाम के स्वशासी जिले में समाविष्ट राज्यक्षेत्रों के प्रति निर्देश है :

परंतु इस अनुसूची के पैरा 3 के उपपैरा (1) के खंड (ङ) और खंड (च), पैरा 4, पैरा 5, पैरा 6, पैरा 8 के उपपैरा (2), उपपैरा (3) के खंड (क), खंड (ख) और खंड (घ) और उपपैरा (4) तथा पैरा 10 के उपपैरा (2) के खंड (घ) के प्रयोजनों के लिए, शिलांग नगरपालिका में समाविष्ट क्षेत्र के किसी भाग के बारे में यह नहीं समझा जाएगा कि वह (5) (खासी पहाड़ी जिला) की भीतर है।

(2) (3) नीचे दी गई सारणी के भाग 2क में ‘त्रिपुरा जनजाति क्षेत्र जिला’ के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह त्रिपुरा जनजाति क्षेत्र स्वशासी जिला परिषद अधिनियम, 1979 की पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट जनजाति क्षेत्रों में समाविष्ट राज्यक्षेत्र के प्रति निर्देश है।)

सारणी

भाग 1

  1. उत्तरी कछार पहाड़ी जिला।
  2. (6) (कार्बी आंगलांग जिला।)

भाग 2

(5) (1. खासी पहाड़ी जिला।

  1. जयंतिया पहाड़ी जिला।)
  2. गारो पहाड़ी जिला।

(2) भाग 2क

त्रिपुरा जनजाति क्षेत्र जिला।

भाग 3
143
(8) (1. चकमा जिला।
(9) (2. मारा जिला।
3. लई जिला।)

  1. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 और आठवीं अनुसूची द्वारा (21-1-1972 से) पैरा 20 और 20क के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  2. संविधान (उनचासवाँ संशोधन) अधिनियम, 1984 की धारा 4 द्वारा (1-4-1985 से) अंतःस्थापित।
  3. मिजोरम राज्य अधिनियम, 1986 (1986 का 34) की धारा 39 द्वारा (20-2-1987 से) ‘संघ राज्यक्षेत्र’ के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  4. संविधान (उनचासवाँ संशोधन) अधिनियम, 1984 की धारा 4 द्वारा (1-4-1985 से) प्रतिस्थापित।
  5. मेघालय सरकार की अधिसूचना सं. डी.सी.ए. 31/72/11, तारीख 14 जून, 1973, मेघालय का राजपत्र, भाग फक, तारीख 23-6-1973, पृष्ठ 200 द्वारा प्रतिस्थापित।
  6. असम सरकार द्वारा तारीख 14-10-1976 की अधिसूचना सं. टी. ए. डी./आर./115/74/47 द्वारा ‘गिकिर पहाड़ी जिला’ के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  7. संघ राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 1971 (1971 का 83) की धारा 13 द्वारा (29-4-1972 से) ‘मिजो जिला’ शब्दों का लोप किया गया।
  8. मिजोरम का राजपत्र, 1972, तारीख 5 मई, 1972, जिल्द 1, भाग ”, पृष्ठ 17 में प्रकाशित, मिजोरम जिला परिषद (प्रकीर्ण उपबंध) आदेश, 1972 द्वारा (29-4-1972 से) अंतःस्थापित।
  9. संविधान छठी अनुसूची (संशोधन) अधिनियम, 1988 (1988 का 67) की धारा 2 द्वारा क्रम संख्यांक 2 और 3 और उनसे संबंधित प्रविष्टियों के स्थान पर प्रतिस्थापित।

20क. मिजो जिला परिषद का विघटन –

(1) इस अनुसूची में किसी बात के होते हुए भी, विहित तारीख से ठीक पहले विद्यमान मिजो जिले की जिला परिषद (जिसे इसमें इसके पश्चात्‌ मिजो जिला परिषद कहा गया है) विघटित हो जाएगी और विद्यमान नहीं रह जाएगी।

(2) मिजोरम संघ राज्यक्षेत्र का प्रशासक, एक या अधिक आदेशों द्वारा, निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध कर सकेगा, अर्थात्‌ :-

(क) मिजो जिला परिषद की आस्तियों, अधिकारों और दायित्वों का (जिनके अंतर्गत उसके द्वारा की गई किसी संविदा के अधीन अधिकार और दायित्व है) पूर्णतः या भागतः संघ को या किसी अन्य प्राधिकारी को अंतरण;

(ख) किन्हीं ऐसी विधिक कार्यवाहियों में, जिनमें मिजो जिला परिषद एक पक्षकार है, मिजो जिला परिषद के स्थान पर संघ का या किसी अन्य प्राधिकारी का पक्षकार के रूप में रखा जाना अथवा संघ का या किसी अन्य प्राधिकारी का पक्षकार के रूप में जोड़ा जाना;

(ग) मिजो जिला परिषद के किन्हीं कर्मचारियों का संघ को या किसी अन्य प्राधिकारी को अथवा उसके द्वारा अंतरण या पुनर्नियोजन, ऐसे अंतरण या पुनर्नियोजन के पश्चात्‌ उन कर्मचारियों को लागू होने वाले सेवा के निबंधन और शर्तें;

(घ) मिजो जिला परिषद द्वारा बनाई गई और उसके विघटन से ठीक पहले प्रवृत्त किन्हीं विधियों का, ऐसे अनुकूलनों और उपांतरणों के, चाहे वे निरसन के रूप में हों या संशोधन के रूप में, अधीन रहते हुए जो प्रशासक द्वारा इस निमित्त किए जाएं, तब तक प्रवृत्त बना रहना जब तक किसी सक्षम विधान-मंडल द्वारा या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा ऐसी विधियों में परिवर्तन, निरसन या संशोधन नहीं कर दिया जाता है;

(ङ) ऐसे आनुषंगिक, पारिणामिक और अनुपूरक विषय जो प्रशासक आवश्यक समझे।

स्पष्टीकरण- इस पैरा में और इस अनुसूची के पैरा 20ख में, ‘विहित तारीख’ पद से वह तारीख अभिप्रेत है जिसको मिजोरम संघ राज्यक्षेत्र की विधान सभा का, संघ राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम, 1963 के उपबंधों के अधीन और उनके अनुसार, सम्यक्‌ रूप से गठन होता है।

(2) 20ख. मिजोरम संघ राज्यक्षेत्र में स्वशासी प्रदेशों का स्वशासी जिले होना और उसके पारिणामिक संक्रमणकालीन उपबंध-

(1) इस अनुसूची में किसी बात के होते हुए भी, –

(क) मिजोरम संघ राज्यक्षेत्र में विहित तारीख से ठीक पहले विद्यमान प्रत्येक स्वशासी प्रदेश उस तारीख को और से उस संघ राज्यक्षेत्र का स्वशासी जिला (जिसे इसमें इसके पश्चात्‌ तत्स्थानी नया जिला कहा गया है) हो जाएगा और उसका प्रशासक, एक या अधिक आदेशों द्वारा, निदेश दे सकेगा कि इस अनुसूची के पैरा 20 में (जिसके अंतर्गत उस पैरा से संलग्न सारणी का भाग 3 है) ऐसे पारिणामिक संशोधन किए जाएँगे जो इस खंड के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए आवश्यक है और तब उक्त पैरा और उक्त भाग
3 के बारे में यह समझा जाएगा कि उनका तद्नुसार संशोधन कर दिया गया है;

  1. संघ राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 1971 (1971 का 83) की धारा 13 द्वारा (29-4-1972 से) पैरा 20क के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  2. संविधान छठी अनुसूची (संशोधन) अधिनियम, 1995 (1995 का 42) की धारा 2 द्वारा असम में लागू होने के लिए पैरा 20ख के पश्चात्‌ निम्नलिखित पैरा अंतःस्थापित किया गया, अर्थात्‌ :-

’20खक. राज्यपाल द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन में वैवेकिक शक्तियों का प्रयोग- राज्यपाल, इस अनुसूची के पैरा 1 के उपपैरा (2) और उपपैरा (3), पैरा 2 के उपपैरा (1), उपपैरा (6), उपपैरा (6क) के पहले परंतुक को छोड़कर और उपपैरा (7), पैरा 3 के उपपैरा (3), पैरा 4 के उपपैरा (4), पैरा 5, पैरा 6 के उपपैरा (1), पैरा 7 के उपपैरा (2), पैरा 8 के उपपैरा (4), पैरा 9 के उपपैरा (3), पैरा 10 के उपपैरा (3), पैरा 14 के उपपैरा (1), पैरा 15 के उपपैरा (1) और पैरा 16 के उपपैरा (1) और उपपैरा (2)

के अधीन अपने कृत्यों के निर्वहन में, मंत्रिपरिषद और, यथास्थिति, उत्तरी कछार पहाड़ी स्वशासी परिषद या कार्बी आंगलांग पहाड़ी स्वशासी परिषद से परामर्श करने के पश्चात्‌ ऐसी कार्रवाई करेगा, जो वह स्वविवेकानुसार आवश्यक मानता है।’।

  1. संविधान छठी अनुसूची (संशोधन) अधिनियम, 1988 (1988 का 67) की धारा 2 द्वारा त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों को लागू करने में, पैरा 20ख के पश्चात्‌ निम्नलिखित पैरा अंतःस्थापित किया गया है, अर्थात्‌ :-

’20खख. राज्यपाल द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन में वैवेकिक शक्तियों का प्रयोग- राज्यपाल, इस अनुसूची के पैरा 1 के उपपैरा (2) और उपपैरा (3), पैरा 2 के उपपैरा (1) और उपपैरा (7), पैरा 3 का उपपैरा (3), पैरा 4 का उपपैरा (4), पैरा 5, पैरा 6 का उपपैरा (1), पैरा 7 का उपपैरा (2), पैरा 9 का उपपैरा (3), पैरा 14 का उपपैरा (1), पैरा 15 का उपपैरा (1) और पैरा 16 के उपपैरा (1) और उपपैरा (2) के अधीन अपने कृत्यों के निर्वहन में, मंत्रिपरिषद से, और यदि वह आवश्यक समझे तो संबंधित जिला परिषद या प्रादेशिक परिषद से, परामर्श करने के पश्चात्‌ ऐसी कार्रवाई करेगा जो वह स्वविवेकानुसार आवश्यक समझे।’। Next


 

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