Amartya Sen / अमर्त्य सेन एक भारतीय अर्थशास्त्री और दार्शनिक हैं। अर्थशास्त्री में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए 1998 का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) प्राप्त करने वाले पहले एशियाई हैं। सन 1999 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया। प्रोफेसर अमर्त्य सेन 1970 के दशक से ही यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। सन 2015 में ब्रिटेन के रॉयल अकैडमी ने उन्हें प्रथम ‘चार्ल्सटन-इ.एफ.जी. जॉन मेनार्ड कीन्स पुरस्कार’ से सम्मानित किया।
अमर्त्य सेन का परिचय – Amartya Sen Biography in Hindi
नाम | अमर्त्य कुमार आशुतोष सेन (Amartya Kumar Sen) |
जन्म दिनांक | 3 नवम्बर, 1933 |
जन्म स्थान | शांति निकेतन, कोलकाता |
नागरिकता | भारतीय |
पिता का नाम | आशुतोष सेन |
माता का नाम | अमिता सेन |
पत्नी | नबनीता देव, ईवा कोरनि, एमा रोथ्स्चिल्ड. |
शिक्षा | शांति निकेतन, प्रेसीडेंसी कॉलेज, और कैम्ब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज |
कार्यक्षेत्र | अर्थशास्त्री, प्राध्यापक |
पुरस्कार-उपाधि | भारत रत्न, नोबेल पुरस्कार |
प्रसिद्धि के कारण | ‘नोबेल पुरस्कार’ प्राप्त करने वाले पहले एशियाई |
अमर्त्य सेन करियर –
शांति निकेतन में जन्मे इस विद्वान अर्थशास्त्री ने लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र की अवधारणा का प्रतिपादन किया है। उन्होंने कल्याण और विकास के विभिन्न पक्षों पर अनेक पुस्तकें तथा पर्चे लिखे हैं। प्रो. अमर्त्य सेन आम अर्थशास्त्रियों के सम्मान के समान नहीं हैं। वह अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ, एक मानववादी भी हैं। इन्होंने अकाल, ग़रीबी, लोकतंत्र, स्त्री-पुरुष असमानता और सामाजिक मुद्दों पर जो पुस्तकें लिखीं हैं, वे अपने आप में बेजोड़ हैं।
वर्तमान में वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और दर्शन शाष्त्र के प्रोफेसर हैं। वे नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके हैं। वे ‘हार्वर्ड सोसाइटी ऑफ़ फेल्लोस’ में एक वरिष्ठ फेल्लो, आल सोल्स कॉलेज ऑक्सफ़ोर्ड में एक विशिष्ट, डार्विन कॉलेज कैंब्रिज में मानद फेल्लो और ट्रिनिटी कॉलेज में भी फेल्लो रह चुके हैं। इसके अलावा सन 1998 से लेकर सन 2004 तक अमर्त्य सेन ट्रिनिटी कॉलेज के मास्टर भी रहे। वे जादवपुर विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकानामिक्स और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी शिक्षक रहे हैं।
सन 1981 में उन्होंने अपनी चर्चित पुस्तक ‘पावर्टी एंड फेमिंस: ऐन एस्से ऑन एनटाइटेलमेंट एंड डीप्राइवेशन’ प्रकाशित की। इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने यह बताया कि अकाल सिर्फ भोजन की कमी से नहीं बल्कि खाद्यानों के वितरण में असमानता के कारण भी होता है। उन्होंने यह तर्क दिया कि ‘सन 1943 का बंगाल अकाल’ अप्रत्याशित शहरी विकास (जिसने वस्तुओं की कीमतें बढ़ा दी) के कारण हुआ। इसके कारण लाखों ग्रामीण मजदूर भूखमरी का शिकार हुए क्योंकि उनकी मजदूरी और वस्तुओं के कीमतों में भीषण असमानता थी। अमर्त्य सेन ने अपने लेखों और शोध के माध्यम से गरीबी मापने के ऐसे तरीके विकसित किये जिससे गरीबों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उपयोगी जानकारी उत्पन्न किये गए। उदहारण के तौर पर, असमानता पर उनके सिद्धांत ने इस बात की व्याख्या की कि भारत और चीन में महिलाओं के अपेक्षा पुरुषों की संख्या ज्यादा क्यों है जबकि पश्चिमी और दूसरे कुछ गरीब देशों में भी महिलाओं की संख्या पुरुषों से कुछ ज्यादा और मृत्यु दर भी कम है। सेन के अनुसार भारत और चीन जैसे देशों में महिलाओं की संख्या इसलिए कम है क्योंकि लड़कियों की अपेक्षा लड़कों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध करायी जाती है और लिंग के आधार पर भ्रूण हत्या भी होती है।
अमर्त्य सेन को कल्याणकारी अर्थव्यवस्था का जनक कहा जाता है और Best Economist India. उन्होंने लोक कल्याणकारी अर्थव्यवस्था का खाका विश्व के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है। अमर्त्य कुमार पहले ऐसे अर्थशास्त्री हैं, जिनका ध्यान गरीबों को गरीबी से मुक्त करके पर गया है। उनका मानना है की भारत में गरीबी का मुख्य कारण शिक्षा का अभाव और साधनहीनता है। उन्हें अपने भाग्य को कोसने के बजाय कर्म करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अमर्त्य कुमार का मानना है की विश्व में गरीबी का मूल कारण शिक्षा का पिछड़ापन है। धन किस प्रकार कमाया जाए, इसका ज्ञान भी हमें शिक्षा से ही होता है। शिक्षा से अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाया जाता है। शिक्षित व्यक्ति अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर धर्म के नाम पर कभी गुमराह नहीं होता। शुद्ध आचरण और शुद्ध व्यवहार करने वाला व्यक्ति खुद को अज्ञानता के खतरे से बचाता है और अपने आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए तरह-तरह के रास्ते तलाशता है | इस आधार पर सरकार को शिक्षा अनिवार्य कर देनी चाहिए। ताकि शिक्षित समाज बने और देश का विकास हो | गरीबी और अकाल पर किया गया अमर्त्य कुमार का आर्थिक विश्लेषण अंतराष्ट्रीय स्तर पर खूब सहारा गया।
निजी जीवन :-
अमर्त्य सेन का जन्म कोलकाता शहर के शांति निकेतन नामक स्थान में हुआ था। जहाँ उनके नाना ‘क्षिति मोहन सेन’ शिक्षक थे। उनके पिता ‘आशुतोष सेन’ ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के अध्यापक थे। कोलकाता के शांति निकेतन और ‘प्रेसीडेंसी कॉलेज’ से शिक्षा पूर्ण करके उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। अपने जीवन के कुछ वर्ष अमर्त्य सेन ने बर्मा (वर्तमान म्यांमार) में स्थित मांडले नामक स्थान पर भी बिताए। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा ढाका में हुई।
अमर्त्य सेन ने अपने जीवन में तीन बार विवाह किया। उनकी पहली पत्नी थीं नवनीता देव सेन (नवनीता के दो बच्चे हैं ‘बेटी का नाम अंतरा है और बेटे का नंदन ’) पर सन 1971 के आस-पास उनका विवाह टूट गया। इसके पश्चात अमर्त्य सेन ने सन 1978 में इतालवी अर्थशाष्त्री ईवा कोलोरनी से विवाह किया। ईवा ने एक पुत्री इंदिरानी और एक पुत्र कबीर को जन्म दिया पर ईवा की मौत कैंसर के कारण सन 1985 में हो गयी। सन 1991 में उन्होंने एम्मा जोर्जिना रोथ्सचाईल्ड्स से विवाह किया।
सन 1998 में उनका नाम नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया। अमर्त्य सेन को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने सबसे पहले अपनी मां के पास फोन किया। उनकी मां को यकीन ही नहीं हुआ कि उनके बेटे को नोबेल पुरस्कार मिलने जा रहा है। देश-विदेश के समाचार पत्रों में नोबेल पुरस्कार के लिए जब उनके नाम की घोषणा की गई। तब उनकी मां को यकीन हुआ। अमर्त्य कुमार ने ‘नोबेल पुरस्कार’ में मिली धनराशि से एक ट्रस्ट बनाया और उस धनराशि का उपयोग भारत के गरीब विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए करने पर बल दिया। नोबेल पुरस्कार में मिली पांच करोड़ की धनराशि को अमर्त्य कुमार ने अपने व्यक्तिगत उपयोग में बिलकुल नहीं लगाया। इसके लिए देश-विदेश में उनके नेक विचारों की खूब तारीफ की गई।
पुरूस्कार और सम्मान :-
♦ एडम स्मिथ प्राइज, 1954
♦ फॉरेन आनरेरी मेम्बर ऑफ़ द अमेरिकन अकादेमी ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंसेज,1981
♦ इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज द्वारा आनरेरी फ़ेलोशिप, 1984
♦ नोबेल प्राइज इन इकनोमिक साइंसेज, 1998
♦ भारत रत्न, 1999
♦ बांग्लादेश की आनरेरी राष्ट्रीयता, 1999
♦ आर्डर ऑफ़ कम्पैनियन ऑफ़ हॉनर, यू के 2000
♦ लेओन्तिएफ़ प्राइज, 2000
♦ आइजनहावर मैडल फॉर लीडरशिप एंड सर्विस, 2000
♦ 351वें स्प ऐट हार्वर्ड, 2001
♦ इंडियन चैम्बर्स ऑफ़ कोम्मेरेस द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 2004
♦ यूनिवर्सिटी ऑफ़ पाविया द्वारा आनरेरी डिग्री, 2005
♦ नेशनल ह्यूमैनिटीज मैडल, 2011
♦ आर्डर ऑफ़ द एज़्टेक ईगल, 2012
♦ कमांडर ऑफ़ द फ्रेंच लीजन ऑफ़ हॉनर, 2013
♦ ए.डी.टी.वी. ‘25 ग्रेटेस्ट ग्लोबल लिविंग लेजेंड्स इन इंडिया’, 2014
♦ चार्ल्सटन-इ.एफ.जी. जॉन मेनार्ड कीन्स पुरस्कार’, 2015
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