Leadership Tips in Hindi
लीडर बनने की इच्छा हर व्यक्ति मे रहती है. हर समूह मे एक आदमी लीडर होता है. और दूसरे लोग इस पद को पाने की लालसा रखते है. किसी कंपनी का सीईओ अपनी टीम का लीडर कहलाता है. को क्रिएटिव डाइरेक्टर है. तो वह लीडर माना जाता है. यहा तक की आपका संस्थान का मेनेज़र भी लीडर माना जाता है. लेकिन क्या ये वास्तव मे लीडर है? क्या कोई पद, पदवी या नाम से लीडर बन सकता है?
जवाब होगा नही. ये लीडर नही है. सही समय मे जो सही कदम उठा सके, वह लीडर है, यह अवधारणा भी अब पुरानी पड़ चुकी है. दरअसल, जो खुद को एक उधारण के रूप मे पेश कर सके, लीडर वही है. दुनिया मे आप जिसे भी किसी छेत्र का लीडर मानते है, उस पर एक नज़र डालिए, आप पाएँगे की वह इसलिए लीडर नही है. की उसने उपलब्धि प्राप्त की अपने नाम के साथ कोई भारी भरकम टाइटल लगा लिया. बल्कि इसलिए लीडर है की उसने अपनी छमता, प्रतिभा और कर्म से कुछ ऐसा किया, जो दूसरो के लिए प्रेरणादायक बन. यहा लीडर होने की पाँच लक्षणो के बारे मे हम चर्चा कर रहे है, ऐसा विशेषज्ञो ने अपने अध्ययन के नतीजो मे पाया.
1. पद नही, प्रेरणा हो :-
जब आप यह कहते है की ‘तुम ऐसा करो, क्यूंकी मैं लीडर हूँ या मलिक हूँ या सीईओ हूँ ‘तो आप लड़ाई जीत सकते है. पर युध हार जाएँगे . यानी आप छोटे और तात्कालीन नतीजे दे सकते है. बड़ी लड़ाई नही जीत सकते, आप कोई काम करा सकते है, आप प्रेरणा नही बन सकते. तब आप ओहदे के क्रम मे बड़े होने के अधार पर खुद को लीडर कह सकते है. आप वास्तविक लीडर नही हो सकते. ऐसा नही है की लीडर पद प्राप्त करने . से लीडरशिप पैदा हो जाता है. इसलिए खुद को साथियो के लिए प्रेरक बनाए.
2. ज़िम्मेदारी लेना :-
अगर आप लीडर है. तो आपको यह पता होना चाहिए की जो कुछ भी दिन भर आपके लीडरशिप मे हो रहा हे उसका परिणाम शाम मे आपके पास ही आना है. जैसा कोई क्रमचारी कोई ग़लती करता है. तो वह इसके लिए उत्तरदायी है. किंतु उसकी एक ग़लती पूरी प्रक्रिया के नतीजे को प्रभावित कर सकती है. उस समय आप किस प्रकार प्रतिक्रिया देते है. यह आपके लीडरशिप के स्तर को तय करता है. यहाँ यह मायने नही रखता की एक ग़लती से कोई फ़र्क पड़ता है या नही, मायने यह रखता है की लीडर उसपर किस तरह प्रतिक्रिया देता है और कैसे काम को , टीम को आगे बदाता है, यहाँ आपको ज़िम्मेदारी लेने के लिए तयार रहना होगा, अगर आप ऐसा नही करते है, तो आप अपने टीम मे अलग-थलग पड़ जाएँगे
3. अधिक भावुक ना हो :-
एक लीडर को अधिक भावुक नही होना चाहिए, अगर ऐसा होता है. तो उसकी टीम से अच्छा काम नही ले सकता. तब या तो वो किसी काम मे बाधा उत्पन्न करेगा या किसी काम पर चमत्कृत हो उठेगा. इनमे से किसी को एक लीडर के व्यवहार मे नही होना चाहिए. तभी वह टीम के लिए सही आदमी हो सकता है.
4. अपने शब्दो पर कायम रहना :-
लीडर के रूप मे आपको अपनी बातों पे कायम रहना चाहिए. अगर इसमे चूक होती है, तो आपके साथी आपके . छमता पर अविश्वाश करेंगे. वह आपके अनुयायी या प्रसंशक नही बन सकेंगे. आप उनके लिए उधारण नही बन सकेंगे. आपका भाव साथियो मे कम हो जाएगा. इसलिए टीम छोटी हो या बड़ी, शब्द छोटे हो या बड़े, अगर आपने कुछ कहा है, कुछ भरोसा दिया है, तो उस पर कायम रहना होगा.
5. अच्छाइयो को उजागर करना :-
लीडर मे इस ग्रूप की अपेच्छ की जाती है की वह टीम के गुनो को उजागर करे और उनके काम का श्रेय उन्हे दे. इससे टीम मे उत्साह जागता है और नये-नये विचार उभरते है ’अकेला चना भांड नही फोड़ता , इस कहावत को उसे सफलता के सूत्र के रूप मे स्वीकार करना चाहिए, इसके विपरीत, टीम के सदस्यो की बुराई को उजागर करने और सारा श्रेय खुद लेने वाला आदमी कभी लीडर नही बन सकता.
6. ईमानदार बने
अगर आप एक सफल लीडर बनाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले ईमानदार बनना होगा. अपने ग्रुप या टीम में किसी भी मेंबर के प्रति ईमानदारी दिखानी होगी. ईमानदार बनना कठिन हैं पर यही सच्ची लीडर की पहचान हैं.