Helen Keller / हेलेन केलर एक अमेरिकी लेखक, राजनीतिक कार्यकर्ता एवं शिक्षक थी। बचपन में बीमारी के वजह से अपनी देखने और सुनने की शक्ति खोने के बाद भी उन्होंने दुनिया में मिशाल पेश की। समाजवादी नाम के दल मे एक सदस्य के रूप में उन्होंने दुनिया भर के श्रमिकों और महिलाओं के मताधिकार, श्रम अधिकार, समाजवाद और कट्टरपंथी शक्तियों के खिलाफ अभियान चलाया। अनगिनत लोगों की प्रेरणा स्रोत, नारी जाति का गौरव मिस हेलेन केलर शरीर से अपंग पर मन से समर्थ महिला थीं।
हेलेन केलर – Helen Keller Biography & Life History in Hindi
हेलेन केलर जिनका पूरा नाम हेलेन एडम्स केलर (Helen Adams Keller) हैं का पूरा नाम 27 जून 1880 को अमेरिका के टस्कंबिया, अलबामा में हुवा था। इनके पिता शहर के समाचार-पत्र के सफल सम्पादक थे और माँ एक गृहिणी थी। जन्म के कुछ महीनों बाद ही वो बिमार हो गये और उस बिमारी में उनकी नजर, जबान और सुनने की शक्ती चली गयी।
उनकी माँ ने उन्हें कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई लाभ नही हुआ। अचानक एक दिन हेलन की माँ की मुलाक़ात डा. माइकल अनेग्नस से हुयी। उस डॉक्टर ने एक कुशल अध्यापिका एनी सलिवन को हेलन की सहायता के लिए भेज दिया। एनी सेलविन जब हेलन के घर पहुची तो हेलन की माँ ने सोचा कि यह कम उम्र की लडकी उसके जिद्दी, अपंग और क्रोधी बेटी को कैसे पढ़ा पायेगी? पर सलिवन ने हेलन के साथ समय बिताकर अपनी कुशलता दिखाई।
यहीं से हेलेन केलर की जिंदगी में परिर्वन शुरु हुआ। केलर की अध्यापिका सुलीवान बहुत मुश्किलों से उन्हे वर्णमाला का ज्ञान करा सकीं। एक-एक अक्षर को केलर कई-कई घंटो दोहराती थीं, तब कहीं जाकर वे याद होते थे। धीरे -धीरे वे बोलने का भी अभ्यास करने लगीं जिसमें उन्हें आंशिक सफलता प्राप्त हुई।
कुछ दिनों में क्रोधी और जिद्दी और हर बात में झुंझलाने वाली हेलन हंसमुख, नम्र और सरल बन गयी। उनमे सीखने तथा काम करने की ललक पैदा होती चली गयी। इसी बगीचे में उन्होंने पानी को छुकर “Water” कहा था। उसका गुंगापन तो मिट गया था। एनी ने परिश्रम और हेलन के मन की इच्छा के कारण ऐसा सम्भव हो सका था। 12 वर्ष की उम्र में वो बोलने लग गयी थी। उन्होंने अनेक भाषाए सीखी जैसे ग्रीक, फ्रेंच, अंग्रेजी, जर्मन और लैटिन।
पहले ‘मॅन्युअल अल्फाबेट’ के तरीके से हेलन केलर अक्षर पढ़ने लगी। आगे हेलन ब्रेल पढ़ने लगी। लेकीन उनकी चाहत इतनीही नहीं थी। उन्हें बाकी के सामान्य बच्चों के साथ पढ़ने की इच्छा थी। उस वजह से उच्च पढाई के लिये उन्होंने विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। बोर्ड के उपर की Diagram नहीं दिखना, ब्रेल लिपी में सभी किताबे नहीं होना इन जैसे कठिनाई को पार करके उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी और वो स्नातक पूरा की।
8 वर्षों के घोर परिश्रम से ही उन्होने स्नातक की डिग्री प्राप्त कर ली थी। उन्हे सारे संसार में लोग जानने लगे थे। आत्मा के प्रकाश से वे सब देख सकती थीं तथा बधिर होते हुए भी संगीत की धुन सुन सकती थीं। उनका हर सपना रंगीन था और कल्पना र्स्वणिम थी।
सुलिवान उनकी शिक्षिका ही नही, वरन् जीवन संगनी जैसे थीं। उनकी सहायता से ही हेलेन केलर ने टालस्टाय, कार्लमार्क्स, नीत्शे, रविन्द्रनाथ टैगोर, महात्मा गाँधी और अरस्तू जैसे विचारकों के साहित्य को पढा। हेलेन केलर ने ब्रेल लिपि में कई पुस्तकों का अनुवाद किया और मौलिक ग्रंथ भी लिखे। उनके द्वारा लिखित आत्मकथा ‘मेरी जीवन कहानी’ संसार की 50 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है।
हेलेन केलर पूरे विश्व में 6 बार घूमीं और विकलांग व्यक्तियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण वातावरण का निर्माण किया। उन्होने करोङों रूपये की धन राशि एकत्र करके विकलांगो के लिए अनेक संस्थानो का निर्माण करवाया। दान की राशि का एक रुपया भी वे अपने लिए खर्च नही करती थीं।
हेलन केलर इनको लगता था की, विकलांग बच्चों को दुसरो पर डेपेंडेंट न रखके उन्हें शिक्षा देनी चाहिये। हाथो के उंगली में भी कितना कौशल होता है, इसकी पहचान उन्हें होनी चाहिये। प्रकृति की खूबसूरती, जीवन का वैभव, और जीने की मिठास उन्हें महसूस करानी होगी। यही सोच हेलन केलर इन्होंने अपने लेखन में हमेशा लिखा है। और उसके लिये उन्होंने आखिर तक कोशिश की है।
विज्ञान ने आज भले ही बहुत उन्नति कर ली हो, लगभग सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर ली हो किन्तु वे अभी भी सबसे खतरनाक शत्रु पर विजय पाने में असर्मथ है, वह शत्रु है मनुष्य की उदासीनता। विकलांग लोगों के प्रति जन साधारण की उदासीनता से हेलेन केलर बहुत दुःखी रहती थीं।
एक बार हेलेन केलर ने एक चाय पार्टी का आयोजन रखा, वहाँ उपस्थित लोगों को उन्होने विकलांग लोगों की मदद की बात समझाई। चन्द मिनटों में हजारों डॉलर सेवा के लिए एकत्र हो गया। हेलेन केलर इस धन को लेकर साहित्यकार विचारक मार्कट्वेन के पास गईं और कहा कि इस धन को भी आप सहायता कोष में जमा कर लिजीए। इतना सुनते ही मार्कट्वेन के मुख से निकला, संसार का अद्भुत आश्चर्य। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि हेलेन केलर संसार का महानतम आश्चर्य हैं।
1 जून 1968 को हेलन हेलेन केलर इस दुनिया से चली गयी। उन्होंने अपने कार्यो से इस संसार में नाम कमाया। उन्होंने अपंगो को सहारा दिया जिससे उनके अंदर आशा और विश्वास जगी रही थी। सारा संसार आज भी उन्हें याद करता है। हेलन से एक बार पूछा गया कि “नेत्रहीन होने से भी बड़ा बुरा क्या हो सकता है” तब उन्होंने कहा था “लक्ष्यहीन होना दृष्टिहीन होने से बुरा है यदि आपको लक्ष्य का पता नही है तो आप कुछ नही कर सकते है”।
वे कहती थी “जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो भगवान एक खिड़की खोल देता है, लेकिन अक्सर हम बंद हुए दरवाजे की ओर इतनी देर तक देखते रह जाते हैं कि खुली हुई खिड़की की ओर हमारी दृष्टी भी नही जाती। ऐसी परिस्थिति में जो अपनी दृण इच्छाशक्ति से असंभव को संभव बना देते हैं, वो अमर हो जाते हैं।दृण संकल्प वह महान शक्ति है जो मानव की आंतरिक शक्तियों को विकसित कर प्रगति पथ पर सफलता की इबारत लिखती है। मनुष्य के मजबूत इरादे दृष्टीदोष, मूक तथा बधिरता को भी परास्त कर देते हैं।”
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