Gurdwara Panja Sahib – गुरुद्वारा पांजा साहिब पाकिस्तान के हसन अब्दाल में स्थित एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। यह सिख धर्म के लोगो के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल हैं। मान्यता हैं की यहां कन्धारी नामक फ़कीर का गुरु नानक देव से सामना हुवा था और गुरु जी ने उस फ़क़ीर का अहंकार तोड़ा, जिसके बाद फ़क़ीर ने गुरु नानक जी पर एक चट्टान फेंक दिया। जिसे गुरु नानक देव ने अपने हाथ से रोक लिया। आज भी वह हाथ के पंजे का निशान इस तीर्थ में विद्यमान है।
गुरुद्वारा पांजा साहिब का इतिहास – Panja Sahib Story in Hindi
गुरु नानक देव जी सिख धर्म में पहले गुरु थे। उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी (अब पाकिस्तान में है) में हुवा था। उन्होंने सिलोन (श्रीलंका), बगदाद, मक्का, दक्षिण पश्चिम चीन, मिस्र, सऊदी अरब, नेपाल, तिब्बत, कजाखस्तान, इजराइल, सीरिया और अन्य स्थानों की यात्राएं भी कीं। वे अपने साथी और संगीतकारों, बाला और मर्दाना के साथ हर जगह पैदल यात्रा करते थे।
एक बार वे हज की यात्रा से वापिस आ रहे थे। तो वह हसन अब्दाल भी गए। काफी चलने के बाद वह उस पहाड़ी के नीचे विश्राम करने लगे जहा बाबा वली कंधारी जी रहते थे। मरदाना जी को बहुत प्यास लगी थी तो उन्होंने गुरु नानक देव जी से कहा की बहुत प्यास लगी है यहाँ पर पानी कहा मिलेगा। तब गुरु जी ने उन्हें बताया की जिस पहाड़ी के नीचे हम बैठे है इसके ऊपर एक वली कंधारी नाम के पीर बाबा जी रहते है आप उनसे पानी ले आईये। उनके पास पानी का चश्मा हैं।
गुरु का हुक्म पाकर मरदाना जी ने पहाड़ी की चोटी की तरफ चल दिए। जब ऊपर पहुंचे तो वह उस बाबा वली जी से कहाँ की बाबा वली जी हमे पिने के लिए पानी चाइये कृपया हमे थोडा पानी दे। बाबा वली जी आगे से कहते है की यह चश्मे का पानी मैंने अपने लिए रखा हुआ है राहगीर को बाटने के लिए नहीं अगर ऐसे ही मे सबको पानी बाटता रहा तो यह पानी खत्म हो जायेगा। आगे तुम्हे पानी चाहिए तो धन लाओ उसके बाद मिलेगा।
इसके बाद मर्दाना जी वापस आकर गुरु जी से सारा वाकया बताया। गुरु जी ने मरदाना जी को फिर से जाने के लिए कहा और बोला इस बार आप खुदा के नाम पर पानी मांगना। मर्दाना जी फिर गए और ठीक उसी तरह से किया। लेकिन बाबा वली जी ने दोबारा इंकार कर दिया। और कहा की अगर तुम्हे और तुम्हारे गुरु जी को इतनी प्यास लगी है तो वह खुद क्यों नहीं पानी पैदा कर सकते है क्या तुमारे गुरु मे इतनी शक्ति नहीं है ? यह बात सुनकर मरदाना जी फिर नीचे आ जाते है और ये बातें गुरु जी को बताते हैं।
गुरु नानक देव जी इन बातों को सुनने के बाद कहा जिस खुदा ने हम सबको बनाया है वह भगवान हमेशा सबकी देखभाल खुद ही करते हैं। और खुदा की बनायीं हुई चीजों पर अंहकार नहीं करना चाहिए, इस पानी को भी खुदा ने ही बनाया “और आज वही हमे पानी पिलायेंगे। इसके बाद गुरु नानक देव जी ने एक छोटी छड़ी ली और जमीन पर हलकी ठोकर मारी। यहां एक अद्भुत चमत्कार हुआ। इस जगह पर शुद्ध, स्पष्ट, ताज़ा पानी का एक झरना फुट पड़ा। मर्दाना जी और गुरु जी ने उस झरने का पानी पिया। आस – पास के लोगो को भी पानी की तकलीफे थी, जिससे गुरु जी ने निजात दिलाया।
गुरु जी की इस चमत्कार को देख कर गांव वासी आ जाते हैं और प्रणाम करते हैं। गुरु जी कहते है की यह पानी आप लोगो के लिए ही है आप इससे जब चाहे तब पानी ले सकते है। बाबा वली पहाड़ी की चोटी पर से बैठकर यह सब देख रहा था और उन्होंने देखा की उनके झरने का पानी सूखता जा रहा था और वही पानी चश्मा नीचे फुट गया है और देखते ही देखते बाबा वली कंधारी जी के चश्मे का पूरा पानी सुख गया। यह सब देख बाबा वली बहुत क्रोधित हो उठे।
क्रोध में आकर बाबा वली ने गुरु नानक देव जी तो खत्म करने के लिए पहाड़ी पर रखे एक बहुत बड़े पत्थर को अपनी पूरी शक्ति से नीचे की तरफ धकेल दिया। वह विशाल पत्थर बहुत तेज गति से नीचे आ रहा था, जहा गुरु नानक देव जी बेठे थे। आस पास के लोग इसे देखकर वहा से थोड़ी दूर भाग गए पर गुरु नानक जी वहीँ रहे। वह भारी पत्थर गुरु नानक देव जी के पास पंहुचा उन्होंने अपने हाथ से उस पत्थर को वही रोक दिया। जिसकी वजह से उनके हाथ के पंजे के निशान उस बोल्डर पर पड़ गए जिन्हें आज भी देखा जा सकता है।
गुरु नानक देव के इस चमत्कार को देखकर बाबा वली कंधारी जी समज गए, की इतना विशाल पत्थर को कोई आम इंसान अपने हाथो से नहीं रोक सकता, वे जरूर कोई गुरु हैं। गुरु नानक देव जी से अपनी इस हरकत के लिए माफ़ी मांगते हैं। गुरु नानक देव जी कहते है की उस खुदा ने ही हम सबको बनाया है उसी खुदा ने यह प्रक्रति पानी हवा सब बनाया है। यह किसी एक व्यक्ति का नहीं है और खुदा की बनायीं हुई इन चीजों पर अंहकार करना एक बहुत बड़ी मुर्खता है। जिसके बाद बाबा वली, नानक देव से क्षमा मांगते हैं और लोगों को मुफ्त में पानी देने का वादा भी किया।
यह पवित्र जगह बाद में एक धार्मिक स्थल बन गया। बाद में इस जगह को पंजा साहिब का नामकरण और गुरूद्वारे का निर्माण जरनैल हरी सिंह नलवा जी ने किया था। आज पंजा साहिब में गुरु नानक जयंती के मौके पर पाकिस्तान के अलावा हिंदुस्तान से बहुत बड़ी संख्या में संगतें आती हैं। यहां 24 घंटे चलने वाली लंगर व्यवस्था है और सरोवर भी है, जहां संगतें आकर स्नान करती हैं।