Durgiana Temple / दुर्गियाना मंदिर पंजाब के अमृतसर में स्थित एक प्रमुख हिन्दू मंदिर हैं। इस मंदिर को लक्ष्मी नारायण मंदिर, दुर्गा तीर्थ और शीतला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का नाम देवी दुर्गा, जो हिन्दुओ की इष्ट देवी है के नाम पर रखा गया है जहां इनकी पूजा और आराधना की जाती है। मंदिर परिसर में सीता माता और बारा हनुमान जैसे कुछ ऐतिहासिक मंदिर हैं।
दुर्गियाना मंदिर की जानकारी – Durgiana Temple History in Hindi
यह एक हिंसु मंदिर है, फिर भी इसका निर्माण सिख धर्म के स्वर्ण मंदिर की वास्तुकला के अनुसार किया गया है। इस भव्य मंदिर की आधारशिला देश के एक प्रसिद्ध समाज सुधारक और राजनेता पंडित मदन मोहन मालवीय ने रखी थी। यह मंदिर 20वीं शताब्दी में बनी खूबसूरत हिन्दू मंदिरो में एक हैं।
दुर्गियाना मंदिर लोहगढ़ गेट के पास स्थित है। यह मंदिर अपनी नक़्क़ाशीदार चांदी के दरवाज़े के लिए रजत मंदिर के रूप में भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में देवी लक्ष्मी (धन की देवी) और विष्णु (सृष्टि के संरक्षक) की भी प्रतिमाएं है जिनकी आराधना यहाँ की जाती है।
मंदिर का इतिहास – Durgiana Temple History in Hindi
कहा जाता है कि इस हिंदू मंदिर का इतिहास 16वीं सदी पुराना है जबकि गुरु हरसाईमल कपूर के प्रयासों से धन एकत्रित करने के बाद मंदिर के पुनर्निर्माण की शुरुआत हुई और स्थापत्य के लिहाज से सिखों के स्वर्ण मंदिर से प्रेरणा ली गई। गंगा दशमी के दिन 1925 में दुर्ग्याणा मंदिर की नींव पं. मदनमोहन मालवीय के हाथों से रखी गई थी।
इस मंदिर और उसके परिसर का विनिर्माण 2013 में हुए एक सौंदर्यीकरण कार्यक्रम के दौरान किया गया था, जिसे 2015 में पूर्ण करने की योजना बनायीं गयी थी। इस विनिर्माण के कारण मंदिर परिसर के भीतर और बाहर पूजा करने के लिए अत्यधिक स्थान उपलब्ध कराया गया है।
मंदिर की बनावट – Durgiana Temple Architecture in Hindi
सरकार द्वारा दिए गए सख्त आदेशों के अनुसार स्वर्ण मंदिर और इस मंदिर के 200 मीटर के दायरे में तम्बाकू, शराब और मॉस आदि की बिक्री को निषेध किया गया है। इस मंदिर का निर्माण पवित्र झील के बीचो बीच करवाया गया है जिसका क्षेत्रफल 160 मीटर x 130 मीटर है। इस मंदिर का गुबंद और इसकी छतरियां अमृतसर में स्थित सिखों के स्वर्ण मंदिर के समान ही है।
चांदी के कपाटों के चलते इसे ‘सिल्वर टेम्पल’ भी कहते हैं। मंदिर के गुबंद पर सोने का पानी चढ़ा है। मंदिर के निर्माण में संगमरमर का बड़े स्तर पर प्रयोग किया गया है। रात्रि के दौरान मंदिर के गुबंद को रंगीन लाइटों के द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
मंदिर में प्रवेश करते ही अखंड ज्योति के दर्शन होते हैं। यहां देवी दुर्गा के एक रूप शीतला माता की भी आराधना होती है। दुर्ग्याणा मंदिर परिसर में सीता और हनुमान के मंदिर भी हैं। लक्ष्मी नारायण मंदिर, सरोवर के बीच है, जिसकी छतरियां और गुंबद ‘स्वर्ण मंदिर’ जैसे हैं। संगमरमर से बने मंदिर तक पहुंच के लिए एक पुल बनाया गया है। मंदिर में कांगड़ा शैली की चित्रकला और शीशे का अद्भुत कार्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला है।
देवी दुर्गा की दीवार पर की गई जटिल नक्काशी और हिंदू धर्मग्रंथों का उत्कृष्ट संकलन इस मंदिर की खासियत है। अमृतसर आने वाले हिंदू तीर्थयात्री दुर्गा के इस मंदिर में दर्शन के लिए जरूर आते हैं।
कैसे जाएँ –
दुर्गियाना मंदिर पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में स्थित लोहगढ़ द्वार के निकट मौजूद छोटी सी झील जिसे दुर्गियाना झील के नाम से जाना जाता है में स्थित है। ये मंदिर अमृतसर रेलवे स्टेशन से बहुत कम दुरी पर स्थित है और बस स्टैंड से लगभग 1.5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। अमृतसर में देश के किसी भी कोने से रोड़, रेल और हवाई मार्ग द्वारा आसानी से पंहुचा जा सकता है।
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