Dard Bhari Shayari 1

Dard Bhari Sayari

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जिस जिस ने मुहब्बत में,
अपने महबूब को खुदा कर दिया,
खुदा ने अपने वजूद को बचाने के लिए,
उनको जुदा कर दिया|

इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद,
मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद|


वो सपना देखो जो टूट जाये,
वो हाथ थामो जो छूट जाये,
मत आने दो किसी को करीब इतना,
कि उसके दूर जाने से इंसान खुद से रूठ जाये।

मैंने जिन्दगी से पूछा..
सबको इतना दर्द क्यों देती हो ?
जिन्दगी ने हंसकर जवाब दिया..
मैं तो सबको ख़ुशी ही देती हु,
पर एक की ख़ुशी दुसरे का दर्द बन जाती है !!

वो साथ थे तो
एक लफ़्ज़ ना निकला
लबों से,
दूर क्या हुए
कलम ने क़हर मचा दिया..!!

मौहब्बत की मिसाल में,
बस इतना ही कहूँगा
बेमिसाल सज़ा है,
किसी बेगुनाह के लिए

ये बेवफा वफा की कीमत क्या जाने !!
है बेवफा गम मोहब्बत क्या जाने !!
जिन्हे मिलता है हर मोड पर नया हमसफर !!
वो भला प्यार की कीमत क्या जाने !!

तेरी याद में आंसुओं का समंदर बना लिया,
तन्हाई के शहर में अपना घर बना लिया,
सुना है लोग पूजते हैं पत्थर को,
इसलिए तुझसे जुदा होने के बाद दिल को पत्थर बना लिया।

जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं,
वो आये आये हम इंतज़ार करते हैं,
झूठा ही सही मेरे यार का वादा है,
हम सच मान कर ऐतबार करते हैं

मुहब्बत में सच्चा यार मिला,
दिल से चाहे हमें वो प्यार मिला।
लूटा दिया उसके लिए सब कुछ मैने,
मुसीबत में मुझे मददग़ार मिला।

मैंने जिन्दगी से पूछा..
सबको इतना दर्द क्यों देती हो ?
जिन्दगी ने हंसकर जवाब दिया..
मैं तो सबको ख़ुशी ही देती हु,
पर एक की ख़ुशी दुसरे का दर्द बन जाती है !!

वो साथ थे तो
एक लफ़्ज़ ना निकला
लबों से,
दूर क्या हुए
कलम ने क़हर मचा दिया..!!

मौहब्बत की मिसाल में,
बस इतना ही कहूँगा
बेमिसाल सज़ा है,
किसी बेगुनाह के लिए

ये बेवफा वफा की कीमत क्या जाने !!
है बेवफा गम मोहब्बत क्या जाने !!
जिन्हे मिलता है हर मोड पर नया हमसफर !!
वो भला प्यार की कीमत क्या जाने !!

तेरी याद में आंसुओं का समंदर बना लिया,
तन्हाई के शहर में अपना घर बना लिया,
सुना है लोग पूजते हैं पत्थर को,
इसलिए तुझसे जुदा होने के बाद दिल को पत्थर बना लिया।
 

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