कुकाबुर्रा की कहानी – Cricket Kookaburra Ball Story in Hindi
Kookaburra Ball / क्रिकेट खेल है बैट और बॉल का, दोनो साथ होकर भी एक दूसरे का दुशमन है, एक दूजे के बिना दोनो अधूरे भी है. ये उन लवर्स की तरह है जो लड़ते भी है जमकर है, और खुशी से साथ भी रहते है. दुनिया के सभी अंतरराष्ट्रीय मैचो मे हर बैट्स मैन के पास बल्ला अपनी मर्ज़ी की कंपनी का हो सकता है., पर गेंदबाज को ये आज़ादी नही है. सारे मैचों के बॉल एक ही होते है.
कुकाबूरा (Kookaburra) अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउन्सिल से मान्यता प्राप्त बॉल है. कुकाबूरा 125 साल पुरानी ऑस्ट्रालिया की कंपनी है. 1890 मे एजी थॉमस ने इस कंपनी को स्टार्ट की थी, एक छोटी सी दुकान मे लेदर के आर्ट वर्क यहा बनना शुरू हुवा. 10 साल मे ये बिजनेस चल निकला. 1900 मे थॉमस ने क्रिकेट बॉल बनाना शुरू किया, यही बॉल की तरह इस धंधे ने तगड़ा स्विंग किया.
बॉल के धंधे मे हाथ डालते समय खुद थॉमस ने ये बात नही सोचा होगा की एक दिन ये गोल प्रॉडक्ट पूरी दुनिया को अपने घेरे मे ले लेगी. ऐसा नही हे की कुकबूरा पहली कंपनी थी, इससे धंधे मे इंग्लेंड मे पहले सेही अल्फ़्रेड कंपनी का इस धंधे मे बड़ा नाम था.
1939 मे कंपनी बेसबॉल और शॉफ्ट बोल की भी बॉल बनाना शुरू किया. पर कंपनी का टर्निंग पॉइंट आया 1945 मे. इस वक्त आस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड ने कंपनी से बॉल का सेंपल माँगे. पहली बार इंटरनेशनल टेस्ट सिरीज़ के लिए ये सेंपल मँगवाए गये थे. सर डॉन ब्रेडमेन भी इस टीम का हिस्सा थे. कुकबूरा ने 5 परटो वाली हाथ से सीलि बॉल पेश की. यह क्रिकेट की दुनिया मे कुकबूरा का उधघाटन था. इसके बाद उसने जो रफ़्तार पकड़ी की इस बॉल के सामने सारे बॉल कंपनी क्लीन बोल्ड हो गयी.
शुरू मे इसे आस्ट्रेलिया, न्यूज़्लेंड, साउत आफ्रिका ने मान्यता दी. 1977 मे केरी पैकर व आस्ट्रेलिया के न्यूज़ नाइन ने कंपनी को सफेद बॉल बनाने का आग्रह किया. ये डे नाइट सीरीस के लिए था. 2003 मे कुकबूरा क्रिकेट(Cricket) खेलने वाले सभी देशो के टॉप लिस्ट मे नही था. अल्फ़्रेड रीडर को खरी के कंपनी ने खुद को मजबूत कर लिया. आज टेस्ट, वन डे, ट्वेंटी-ट्वेंटी मे कोकोबुरा का ही बॉल चलता है.
कुकाबूरा, ड्यूक और एसजी
>> कुकाबूरा गेंदे मशीन सेवही, एसजी और ड्यूक गेंदे हाथ से बनाई जाती है.
>> एसजी और ड्यूक गेंदे की सिम कुकाबूरा गेंदी की तुलना मे ज़्यादा उभरी हुवी होती है. इस वजह से ग्रिप आसान होती है.
>> पहले 20-30 ओवरो मे कुकाबूरा गेंदे एसजी और ड्यूक की तुलना मे ज़्यादा स्विंग करती है. इसके बाद यह सॉफ्ट हो जाती है. और इसका सिम ख़तम हो जाती है. ड्यूक गेंदे कुकाबूरा से ज़्यादा स्विंग करती है.
>> ड्यूक गेंदो की उपयोगिता ब्रिटेन मे ही है. जहाँ की सहत रफ़ होगी वहाँ ड्यूक गेंदे ज़्यादा कामयाब नही होती है.
>> रिवर्स स्विंग के लिए ड्यूक गेंदे सर्वोपरि है. इसके बस एसजी और कुकाबूरा.
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