स्टीव जॉब्स की प्रेरणादायी जीवनी | Steve Jobs Biography In Hindi

Steve Jobs / स्टीवन पॉल जॉब्स (स्टीव जॉब्स) एक अमेरिकी उद्योगपति थे। ज्यादातर वे एप्पल इंक के सह-संस्थापक, अध्यक्ष और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) के कारण जाने जाते है। जॉब्स पिक्सर एनीमेशन स्टूडियोज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी रहे। सन् 2006 में वह दि वाल्ट डिज्नी कम्पनी के निदेशक मंडल के सदस्य भी रहे, जिसके बाद डिज्नी ने पिक्सर का अधिग्रहण कर लिया था।

Steve Jobs Biography In Hindi

स्टीव जॉब्स का परिचय – Steve Jobs Biography In Hindi

पूरा नाम स्टीवन पॉल जॉब्स (Steve Jobs)
पिता का नाम पॉल रेनहोल्ड जॉब्स
माता का नाम क्लारा जॉब्स
जन्म दिनांक 24 फ़रवरी, 1955
मृत्यु  5 अक्टूबर 2011 (उम्र 56)
जन्म स्थान सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमरीका
विवाह लोरेन पॉवेल

जॉब्स 1970 में हुई माइक्रो कंप्यूटर की क्रांति के जनक कहलाते है। उन्होंने अपने सहकर्मी स्टीव वोज्निक के साथ मिलकर एप्पल की स्थापना की। उनकी मृत्यु के कुछ समय बाद ही उनके कार्यकालिन जीवनी लेखक वाल्टर इसाकसन, ने उनके बारे में बताया की वे, “एक क्रिएटिव उद्योगपति थे जिनका परफेक्शन के प्रति जूनून और 6 व्यवसायों के तीव्र विकास: पर्सनल कंप्यूटर, एनिमेटेड मूवी, म्यूजिक, फ़ोन, टेबलेट कंप्यूटिंग और डिजिटल पब्लिशिंग सतत चलता रहा।”

स्टीव जॉब्स की संघर्षपूर्ण जीवन – Steve Jobs Life History In Hindi :-

जाने-माने अमेरिकी उद्योगपति स्टीव जॉब्स ने संघर्ष करके जीवन में यह मुकाम हासिल किया। 24 फरवरी 1955 को केलिफोर्निया के सेन फ्रांसिस्को में जन्मे स्टीव का जीवन जन्म से ही संघर्ष पूर्ण था, उनकी माँ अविवाहित कॉलेज छात्रा थी। और इसी कारण वे उन्हें रखना नहीं चाहती थी। और स्टीव जॉब्स को किसी अच्छे परिवार में गोद देने का फैसला कर दिया। लेकिन जो गोद लेने वाले थे उन्होंने ये कहकर मना कर दिया की वे लड़की को गोद लेना चाहते हैं। फिर स्टीव जॉब्स को केलिफोर्निया में रहने वाले पॉल और कालरा जॉब्स ने गोद ले लिया. पॉल आंड कालरा दोनों ही ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे और मध्यम वर्ग परिवार से ताल्लुक रखते थे।

स्टीव ने मोंटा लोमा स्कूल में दाखिला लिया और वही पर अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई कूपटिर्नो जूनियर हाई स्कूल से पूरी की। इसके बाद सन 1972 में अपनी कॉलेज की पढाई के लिए ओरेगन के रीड कॉलेज में दाखिला लिया जो की वहां की सबसे महंगी कॉलेज थी। स्टीव पढने में बहुत ही ज्यादा अच्छे थे लेकिन, उनके माता-पिता पूरी फीस नहीं भर पाते थे, इसलिए स्टीव स्टीव ने फीस भरने के लिए बोतल के कोक को बेचकर पैसे जुटाते, और पैसे की कमी के कारण मंदिरों में जाकर वहा मिलने वाले मुफ्त खाना खाया करते थे। और अपने होस्टल का किराया बचाने के लिए अपने दोस्तों के कमरों में जमीन पर हि सो जाया करते थे। इतनी बचत के बावजूद फीस के पैसे पुरे नहीं जुटा पाते और अपने माता-पिता को कढ़ी मेहनत करता देख उन्होंने कॉलेज छोड़कर उनकी मदद करने की सोची। लेकिन उनके माता-पिता इस बात से सहमत नही थे अंत: उन्होने कॉलेज में नहीं जाने के स्थान पर क्रेटीव क्लासेज जाना स्वीकार किया। जल्दी ही उस काम मे स्टीव को मन लगने लगा। क्लासेस जाने के साथ-साथ वे अटारी नाम की कंपनी में टेक्नीशियन का काम भी मिल गया।

1976 में स्टीव वोजनियाक ने मेकिनटोश एप्पल 1 कंप्यूटर क आविष्कार किया। जब वोजनियाक ने यह जॉब्स को दिखाया तो जॉब्स ने इसे बेचने का सुझाव दिया, इसे बेचने के लिए वे और वोजनियाक अपने पिता के गेरेज में एप्पल कंप्यूटर का निर्माण करने लगे। पहले तो वे सर्किट बोर्ड बेचा करते थे। लेकिन पैसो की कमी के कारण समस्या आ रही थी। लेकिन उनकी ये समस्या उनके एक मित्र माइक मर्कुल्ला ने दूर कर दी साथ ही वे कंपनी में साझेदार पार्ट्नर भी बन गये, और स्टीव ने एप्पल कंप्यूटर बनाने की शुरुआत की। जॉब्स 1976 में एप्पल के सह-संस्थापक बने और एप्पल के पर्सनल कंप्यूटर बेचने लगे, एप्पल तेज़ी से आगे बढती गयी और पैसे कमाती गयी और पहले साल के अंत में ही पर्सनल कंप्यूटर बनाने वाली दूसरी कंपनी बन गयी। एप्पल इतनी बड़ी मात्र में पर्सनल कंप्यूटर का उत्पादन करने वाली पहले सबसे बड़ी कंपनी बनी। साथ ही उन्होंने अपने साथ काम करने के लिए पेप्सी, कोका कोला कंपनी के मुख्य अधिकारी जॉन स्कली को भी शामिल कर लिया।

लेकिन बीच मे आपसी मतभेदो और उनके साझेदारो द्वारा उनको ना पसंद किये जाने के कारण एप्पल कंपनी की लोकप्रियता पॉप्युलॅरिटी कम होने लगी, और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की मीटिंग में सारे दोष स्टीव का ठहराकर सन 1985 में उन्हें एप्पल कंपनी से बाहर कर दिया। ये उनके जीवन का सबसे दुखद पल था। क्योकि जिस कंपनी को उन्होंने कढ़ी मेहनत और लग्न से बनाया था उसी से उन्हें निकाल दिया गया था। स्टीव के जाते ही कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गयी।

एप्पल से इस्तीफा (Re-sine latter) देने के 5 साल बाद उन्होंने Next-ink नाम की और Pixer नाम की दो कंपनियों की शुरुआत की। Next-ink में उपयोग की जाने वाली तकनीक सबसे बाड़िया थी। और उनका उदेश्य बेहतरीन सॉफ्टवेर software बनाना था। और Pixer कंपनी में animation का काम होता था। एक साल तक काम करने के बाद पैसो की समस्या आने लगी और Rosh perot के साथ साझेदारी कर ली, और पेरोट ने अपने पैसो का निवेश किया। सन 1990 में Next-ink ने पहला कंप्यूटर बाज़ार में उतारा लेकिन बहुत ही ज्यादा महंगा होने के कारण बाजार में नहीं चल सका, फिर Next-ink ने Inter personal computer बनाया जो बहुत ही ज्यादा लोक प्रिय हुआ। और Pixer ने एनिमेटेड फिल्म Toy story बनायीं जो अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म हैं।

1997 में, एप्पल ने NeXT-inK को खरीद लिया, ताकि वे देश में रोजगार की निर्मिती कर सके, और इसी वजह से वे NeXT के पुनः सीईओ बने। 1997 में शुरू में उन्होंने एक नयी सोच के साथ कंप्यूटर का उत्पादन करना शुरू किया जिसे “Think Different” का नाम दिया गया। बाद में उन्होंने एप्पल के कई प्रोडक्ट्स जैसे iMac, iTunes, Apple Stores, iPod, iTunes Store iPhone, App Store और iPad का निर्माण किया. जॉब्स 1997 में कंपनी में बतौर सीईओ काम कर रहे थे, तभी 1998 में iMac बाज़ार में आया जो बड़ा ही अल्पपारदर्शी खोल वाला PC था। उनके नेतृत्व में एप्पल ने बड़ी सफलता प्राप्त की. सन 2001 में एप्पल ने iPod का निर्माण किया। फिर सन 2001 में iTunes Store का निर्माण किया। सन 2007 में एप्पल ने iPhone नामक मोबाइल फ़ोन बनाये जो बड़े ही सफल रहे, और आज भी iPhone को सबसे बड़ा ब्रांड कहा जाता है।

निजी जीवन – Personal Life :-

स्टीव आध्यात्मिक जीवन में बहुत विश्वास करते थे। इसलिए स्टीव अपने धर्म गुरु से मिलने भारत आए, जिसके कारण भारत मे उन्होने काफ़ी समय दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश मे बिताया। सात महीने भारत मे रहने के बाद वे वापस अमेरिका चले गऐ। उन्होने अपनी उपस्थिति बदल डाली, उन्होने अपना सिर मुंडा दिया और पारंपरिक भारतीय वस्त्र पहनने शुरू कर दिए, साथ ही वे जैन, बौद्ध धर्मों के गंभीर व्यवसायी भी बन गया. जॉब्स ने 1991 में लोरेन पॉवेल से शादी की थी। उनका एक बेटा है।

मृत्यु :- स्टीव को सन 2003 से पेन क्रियेटिव नाम की कैंसर की बिमारी हो गयी थी। लेकिन फिर भी वे रोज कंपनी में जाते ताकि लोगो को बेहतरीन से बेहतरीन टेक्नालजी प्रदान कर सके। और कैंसर कि बिमारी के चलते 5 अक्टूबर 2011 को पालो आलटो केलिफोर्निया में उनका निधन हो गया।

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5 thoughts on “स्टीव जॉब्स की प्रेरणादायी जीवनी | Steve Jobs Biography In Hindi”

  1. एक सफल बिजनेसमैन के रूप में स्टीवे जॉब्स हमेशा याद रहेंगे लेकिन एक शानदार व्यक्तित्व के रूप में स्टीव जॉब्स को हमेशा याद किया जाएगा| इस आर्टिकल के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद!!

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