रहीम के लोकप्रिय दोहे हिन्दी अर्थ सहित Rahim Das Ke Dohe In Hindi

Rahim Das Ke DoheRahim ke Dohe in Hindi / रहीम मध्यकालीन सामंतवादी संस्कृति के कवि थे। वे कवि के साथ-साथ एक अच्छा सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, ज्योतिष, व विद्वान थे। रहीम सांप्रदायिक सदभाव तथा सभी धर्मो के प्रति समादर भाव के सत्यनिष्ठ साधक थे। रहीम कलम और तलवार के धनी थे और मानव प्रेम के सूत्रधार थे।
मुस्लिम धर्म के अनुयायी होते हुए भी रहीम ने अपनी काव्य रचना द्वारा हिन्दी साहित्य की जो सेवा की वह अद्भुत है। रहीम की कई रचनाएँ प्रसिद्ध हैं जिन्हें उन्होंने दोहों के रूप में लिखा। उन्होंने ने ऐसे अनेक दोहे लिखे जो किसी के भी सोच बदल सकते है, आइए जानते हैं रहीम के कुछ ऐसे ही दोहों को जो प्रेरणादायी ज्ञानवर्धक होने के साथ ही रोचक भी हैं।

Rahim Das Ke Dohe With Meaning in Hindi – रहीम दास के दोहे


“तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥”

हिन्दी अर्थ: रहीं कहते हैं की वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना पानी स्वयं नहीं पीता है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के कार्य के लिए संपत्ति को जमा करते हैं।


“रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि बड़ी वस्तु को देख कर छोटी वस्तु को फेंक नहीं देना चाहिए. जहां छोटी सी सुई काम आती है, वहां तलवार कुछ नही कर सकती।


“बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते है की इंसान को हमेशा सोच समझकर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा।


“दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम का मानना हैं की दुख में सभी लोग याद करते हैं, सुख में कोई नहीं। यदि सुख में भी याद करते तो दुख होता ही नहीं।


“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का रिश्ता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है।


“समय पाय फल होत है, समय पाय झरी जात।
सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछितात॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि सही समय आने पर पेड़ में फल लगता है। झड़ने का समय आने पर वह झड़ जाता है. सदा किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती, इसलिए दुःख के समय पछताना बेकार है।


“वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बांटन वारे को लगे, ज्यों मेंहदी को रंग॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि वे लोग धन्य हैं जिनका शरीर सदा सबका उपकार और मदद करता है. जिस प्रकार मेंहदी बांटने वाले के अंग पर भी मेंहदी का रंग लग जाता है, उसी प्रकार परोपकारी का शरीर भी सुंदर रहता है।


“रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।
सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं होता।


“जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह।
धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि जैसी इस शरीर पर दिक्कत पड़ती है – सहन करनी चाहिए, क्योंकि इस धरती पर ही सर्दी, गर्मी और वर्षा पड़ती है. अर्थात जैसे धरती शीत, धूप और वर्षा सहन करती है, उसी प्रकार शरीर को सुख-दुःख सहन करना चाहिए।


“जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं।
गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़ापन नहीं घटता, क्योंकि गिरिधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती।


“खैर, खून, खांसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥”

हिन्दी अर्थ: सात बातें ऐसी हैं जो किसी की लाख कोशिशों के बावजूद भी गुप्त नहीं रह सकती। ये सात बातें हैं खैर मतलब सेहत, खून मतलब कत्ल, खांसी, खुशी, बैर यानी दुश्मनी, प्रीति यानी प्रेम और मदपान मतलब शराब का नशा। इन बातों को आप भले ही अपनी बातों में जाहिर ना करें, कभी इनके बारे में बात ना करें, लेकिन ये अचानक जाहिर हो जाती हैं। हमारी बॉडी लैंग्वेज, हावभाव, व्यवहार और हमारे तौर-तरीकों से ये बातें अपने आप दुनिया को पता चल जाती हैं।


“जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि दीपक के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं अंधेरा होता जाता है।


“जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराए।
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाए॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि – ओछे लोग जब प्रगति करते हैं तो बहुत ही इतराते हैं। वैसे ही जैसे शतरंज के खेल में जब प्यादा फर्जी बन जाता है तो वह टेढ़ी चाल चलने लगता है।


“आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि – ज्यों ही कोई किसी से कुछ मांगता है त्यों ही आबरू, आदर और आंख से प्रेम चला जाता है। इसलिए सम्मान बनाए रखना है तो कभी किसी से कुछ न मांगे।


 “जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि – जिन लोगों का स्वभाव अच्छा होता हैं, उन लोगों को बुरी संगती भी बिगाड़ नहीं पाती, जैसे जहरीले साप सुगंधित चन्दन के वृक्ष को लिपटे रहने पर भी उस पर कोई प्रभाव नहीं दाल पाते।


“दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं।
जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के नाहिं॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि – कौआ और कोयल रंग में एक समान काले होते हैं। जब तक उनकी आवाज ना सुनायी दे तब तक उनकी पहचान नहीं होती लेकिन जब वसंत रुतु आता हैं तो कोयल की मधुर आवाज से दोनों में का अंतर स्पष्ट हो जाता हैं।


“तरुवर फल नहीँ खात हैं, कही रहीम पर काज हित, संपति संचही सुजान।
जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के नाहिं॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि –  पेड़ अपने फ़ल खुद नहीं खाते हैं और नदियाँ भी अपना पानी स्वयं नहीं पीती हैं। इसी तरह अच्छा व्यक्ति वो हैं जो दुसरों को दान के कार्य के लिये अपनी संपत्ति को खर्च करते हैं।


“रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेड़।
जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कही देई॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि –  आसू आखों से बहकर मन का दुःख प्रगट कर देते हैं, रहीमदास जी कहते हैं की ये बिलकुल सत्य हैं की जिसे घर से निकाला जायेंगा वह घर का भेद दुसरों को ही बतायेंगा।


“खीर सिर ते काटी के, मलियत लौंन लगाय।
रहिमन करुए मुखन को, चाहिये यही सजाय॥”

हिन्दी अर्थ: रहीम कहते हैं कि – खीरे के कड़वेपण को दूर करने के लिये उसके उपरी सिरे को काटने के बाद उस पर नमक लगाया जाता हैं. कड़वे शब्द बोलने वालो के लिये यही सजा ठीक हैं।


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3 thoughts on “रहीम के लोकप्रिय दोहे हिन्दी अर्थ सहित Rahim Das Ke Dohe In Hindi”

  1. तरूवर फल नही खात है – ऊपर वाले लेख मे ये दोहा गलत टाइप हो गया है

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