मोहम्मद हिदायतुल्लाह की जीवनी | Mohammad Hidayatullah Biography in Hindi

Mohammad Hidayatullah – मुहम्मद हिदायतुल्लाह भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश थे और भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति रहे।

पूरा नाम मुहम्मद हिदायतुल्लाह (Mohammad Hidayatullah)
जन्म दिनांक 17 दिसम्बर, 1905
जन्म भूमि नागपुर (महाराष्ट्र)
मृत्यु 18 सितम्बर, 1992 (उम्र- 86), मुंबई, भारत
पिता का नाम ख़ान बहादुर हाफ़िज विलायतुल्लाह
माता का नाम मुहम्मदी बेगम
पत्नी पुष्पा शाह
कर्म-क्षेत्र न्यायाधीश
नागरिकता भारतीय
शिक्षा स्नातक
पुरस्कार-उपाधि ख़ान बहादुर, केसरी हिन्द

 

मोहम्मद हिदायतुल्लाह – Mohammad Hidayatullah Biography in Hindi

जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्लाह को भारत का प्रथम कार्यवाहक राष्ट्रपति (First Acting President) कहना ज्यादा उपयुक्त होगा, क्योंकि यह भारत की संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार निर्वाचित राष्ट्रपति नहीं थे। इन्हें यह मौका काफी दिलचस्प स्थिति में प्राप्त हुआ था।

दरअसल भारत के ज्ञानी संविधान निर्माताओं ने राष्ट्रपति निर्वाचन के संबंध में तो आवश्यक नियम बनाए थे, लेकिन उन्होंने एक भूल कर दी थी। उन्होने उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति पद का दावेदार मान लिया, यदि किसी कारणवश उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है। लेकिन संविधान निर्माताओं ने यह ध्यान नहीं रखा कि यदि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों एक साथ पद पर ना हो तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति पद किसे और कैसे प्रदान किया जाए? यह स्थिति 3 मई 1969 को श्री जाकिर हुसैन के राष्ट्रपति पद पर रहते हुए मृत्यु होने से उत्पन्न हुई तब वी वी गिरी को आनन-फानन में कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया जिसका संविधान में प्रावधान था। लेकिन भारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति पद हेतु निर्वाचन किया जाता है।

कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने के बाद भी श्री वी वी गिरी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन इसके लिए वह कार्यवाहक राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति पद का त्याग करके ही उम्मीदवार बन सकते थे। ऐसी स्थिति में दो सवैधानिक प्रश्न उठ खड़े हुए जिसके बारे में संविधान में कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। प्रथम प्रश्न यह था की कार्यवाहक राष्ट्रपति रहते हुए श्री वी वी गिरी अपना त्यागपत्र किसे सुपुर्द करें और द्वितीय प्रश्न था कि वह किस पद का त्याग करें- उपराष्ट्रपति पद अथवा कार्यवाहक राष्ट्रपति का? तब वी वी गिरी ने विशेषज्ञ से परामर्श कर के उपराष्ट्रपति पद से 20 जुलाई 1969 को दिन के 12:00 बजे के पूर्व अपना त्याग पत्र दे दिया यह त्यागपत्र भारत के राष्ट्रपति को संबोधित किया गया था।

यहां यह बताना भी प्रासंगिक होगा कि कार्यवाहक राष्ट्रपति पद पर वह 20 जुलाई 1969 के प्रात 10:00 बजे तक ही थे। यह सहारा घटनाक्रम इस कारण संपादित हुआ क्योंकि 28 मई 1969 को सांसद की सभा को आहूत की गई और अधिनियम 16 के अंतर्गत यह कानून बनाया गया की राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही अनुपस्थिति में भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा इनकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण कराई जा सकती है।

इसी परिप्रेक्ष्य में नई व्यवस्था के अंतर्गत यह संभव हो सकी राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति दोनों का पद रिक्त रहने की स्थिति में मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। इस व्यवस्था के पश्चात सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश श्री मोहम्मद हिदायतुल्ला भारत के नए कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण कर सके। इस प्रकार 1969 को पारित अधिनियम 16 के अनुसार रविवार 20 जुलाई 1969 को प्रातकाल 10:00 बजे राष्ट्रपति भवन के अशोक कक्ष में इन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई।

कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने से पूर्व एम हिदायतुल्लाह सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद छोड़ना पड़ा तब उस पद पर श्री शाह को नया कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश बनाया गया था। इन्ही कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के कार्यवाहक राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। वह 35 दिन तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के पद पर रहे। 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक का समय इनके कार्यवाहक राष्ट्रपति वाला समय था। इस प्रकार अप्रत्याशित परिस्थिति के चलते ही इन्हे कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद भार संभालना पड़ा।

प्रारंभिक जीवन – Early Life of Mohammad Hidayatullah

एम हिदायतुल्लाह का जन्म 17 दिसंबर 1905 को नागपुर (महाराष्ट्र) में हुआ था। इनके पुरखे मूलत: बनारस के रहने वाले थे जिनकी की गिनती शिक्षित विद्वानों में होती थी। इनके दादा श्री मुंशी कुदरतुल्लाह बनारस में वकील का पेशा संपादित करते थे। जबकि इनके पिता खान बहादुर हाफिज विलायतउल्लाह आई.एस.ओ मजिस्ट्रेट मुख्यालय में तैनात थे। उनके पिता काफी प्रतिभाशाली थे और प्रत्येक शैक्षणिक इम्तिहान में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होते थे। वे एक अच्छे ख्यातिप्राप्त कवी भी थे, जो विशेषतः उर्दू में अपनी कविताए लिखते थे, और हिदायतुल्लाह को उनकी कविताओ से बड़ा लगाव था। हिदायतुल्लाह के बड़े भाई मोहम्मद इकरामुल्लाह एक विद्वान और स्पोर्ट मैन थे। इसके साथ-साथ वे उर्दू कविताओ में भी विद्वान थे।

श्री हिदायतुल्लाह का परिवार शिक्षा से रोशन था और उसके महत्व को भी समझता था। 1922 में रायपुर की गवर्नमेंट हाई स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद हिदायतुल्लाह नागपुर के मोरिस कॉलेज में दाखिल हुए, जहाँ उनका नामनिर्देशन 1926 में फिलिप्स स्कॉलर के लिए हुआ। 1926 में जब वे ग्रेजुएट हुए तब उन्हें मालक गोल्ड मैडल से सम्मानित किया गया। इसके बाद हिदायतुल्लाह 1927 से 1930 तक कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढने लगे और वहाँ से उन्होंने बी.ए. और एम.ए. की डिग्री हासिल की। वहाँ पढ़ते हुए वे मेरिट विद्यार्थियों की सूचि में दुसरे स्थान पर आए और इसके लिए 1930 में उन्हें गोल्ड मैडल भी दिया गया था। इसके बाद उन्हें फिलीपींस यूनिवर्सिटी से एलएल.डी (Honoris Causa) और भोपाल यूनिवर्सिटी और काकतीय यूनिवर्सिटी से डी.लिट् (Honoris Causa) अवार्ड से सम्मानित किया गया था। जबकि कैम्ब्रिज में हिदायतुल्लाह की नियुक्ती 1929 में इंडियन मजलिस के अध्यक्ष के रूप में की गयी। वही उन्होंने इंग्लिश और कानून की शिक्षा प्राप्त की और 1930 में उन्होंने बैरिस्टर-इन-लॉ का स्थान काबिज किया।

5 मई 1948 में श्री हिदायतुल्लाह ने पुष्पा शाह से शादी की थी, जो हिन्दू धर्म की थी। पुष्पा अच्छे ख़ानदान से थी और उनके पिता ए.एन. शाह अखिल भारतीय इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल थे। इस विवाह को काफ़ी सम्मान मिला था। उनका बेटा अरशद हिदायतुल्लाह भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक वरिष्ट काउंसल के पद पर कार्यरत है।

करियर – Mohammad Hidayatullah Life History

ग्रेजुएशन के बाद, हिदायतुल्लाह भारत वापिस आए और उन्होंने खुद को 19 जुलाई 1930 को नागपुर के बरार और मध्य भारत के हाई कोर्ट में अधिवक्ता के रूप में दाखिल करवाया। 12 दिसम्बर 1942 को नागपुर के हाई कोर्ट में उनकी नियुक्ती सरकारी वकील के रूप में की गयी थी। 2 अगस्त 1943 को वे वर्तमान मध्यप्रदेश के अधिवक्ता बने और फिर कुछ समय बाद 1946 में उनकी नियुक्ती हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में की गयी थी। उस समय मध्य प्रदेश के सबसे युवा अधिवक्ता के रूप में वे प्रसिद्ध थे।

24 जून 1946 को हिदायतुल्लाह की नियुक्ती मध्यप्रदेश के हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में की गयिओ थी और 13 सितम्बर 1946 को उनकी नियुक्ती फिर हाई कोर्ट के परमानेंट जज के रूप में की गयी थी। 3 दिसम्बर 1954 को नागपुर में चीफ जस्टिस के रूप में उनकी नियुक्ती की गयी थी और उस समय वे मध्य भारत के सबसे युवा अधिवक्ता थे। 1 दिसम्बर 1958 को उन्हें ऊँचा पद देते हुए उन्हें भारत के सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। उस समय में वे भारत में सुप्रीम कोर्ट के सबसे युवा चीफ जस्टिस थे। तक़रीबन 10 साल तक जज के पद पर रहते हुए सेवा करने के बाद 28 फरवरी 1968 को उनकी नियुक्ती फिर चीफ जस्टिस के रूप में की गयी थी और तब वे भारत के पहले मुस्लिम चीफ जस्टिस बने थे। 16 दिसम्बर 1970 को वे अपने पद से सेवानिर्वृत्त हुए थे।

इसके बाद उन्होंने कुछ समय के लिए देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य किया। सेवानिवृत्ति के बाद वह भारत के उप-राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किये गए थे। वह भारत के छठे उपराष्ट्रपति थे।

निधन – Mohammad Hidayatullah Died

18 सितंबर 1992 को मोहम्मद हिदायतुल्लाह का निधन हो गया। उन्हें एक प्रख्यात विधिवेत्ता, विद्वान, शिक्षाविद्, लेखक और भाषाविद् के रूप में माना जाता है। वह भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश भी थे। जस्टिस हिदायतुल्लाह एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत के राष्ट्रपति, भारत के उपराष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश सभी तीन शीर्ष पदों को धारण किया।

पुरूस्कार और सम्मान – Mohammad Hidayatullah Awards

• ऑफिसर ऑफ़ दी आर्डर ऑफ़ ब्रिटिश एम्पायर (OBE), 1946 में किंग के बर्थडे पर दिया गया सम्मान
• आर्डर ऑफ़ दी युगोस्लाव फ्लैग विथ सश, 1970
• फिल्कांसा का बड़ा मैडल और फलक, 1970
• मार्क ट्वेन का शूरवीर, 1971
• अलाहाबाद यूनिवर्सिटी अलुमिनी एसोसिएशन द्वारा 42 सदस्यों की ‘प्राउड पास्ट अलुमिनी’ की सूचि में उन्हें शामिल किया गया।
• 1968 में लिंकन इन के बेंचर का सम्मान
• प्रेसिडेंट ऑफ़ ऑनर, इन् ऑफ़ कोर्ट सोसाइटी, भारत
• वॉर सर्विस बैज (बिल्ला), 1948
• मनिला शहर के मुख्य और प्रतिष्ठित व्यक्ति, 1971
• शिरोमणि अवार्ड, 1986
• आर्किटेक्ट ऑफ़ इंडिया अवार्ड, 1987
• बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी का दशरथमल सिंघवी मेमोरियल अवार्ड
• 1970 और 1987 के बीच, 12 भारतीय यूनिवर्सिटी और फिलीपींस यूनिवर्सिटी ने उन्हें वकिली और साहित्य में डॉक्टरेट की डिग्री प्रदान की थी।


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