बरमूडा त्रिकोण की रहस्यमय कहानी | About Bermuda Triangle In Hindi

Bermuda Triangle / बरमूडा त्रिकोण अटलांटिक महासागर का एक क्षेत्र है, जिसे दानवी त्रिकोण / शैतानी त्रिभुज / मौत के त्रिकोण / भुतहा त्रिकोण ( डेविल्‍स ट्राइएंगल ) के नाम से भी जाता है। इस इलाके में आज तक अनगिनत समुद्री और हवाई जहाज आश्चर्यजनक रूप से गायब हो गए हैं और लाख कोशिशों के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है। कुछ लोग इसे किसी परालौकिक ताकत की करामात मानते हैं, तो कुछ को यह सामान्य घटनाक्रम लग रहा है। यह विषय कितना रोचक है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस पर कई किताबें और लेख लिखे जाने के साथ ही फिल्में भी बन चुकी हैं।

बरमूडा त्रिकोण की रहस्यमय कहानी | About Bermuda Triangle In Hindi

बरमूडा ट्रैंगल की जानकारी – Bermuda Triangle in Hindi

Atlantic Ocean / अटलांटिक महासागर के इस भाग में जहाजों और वायुयानों के गायब होने की जो घटनाएं अब तक हुई हैं उनमें पाया गया है कि जब भी कोई जहाज़ या वायुयान यहां पहुंचता है, उसके राडार, रेडियो वायरलेस और कम्पास जैसे यन्त्र या तो ठीक से काम नहीं करते या फिर धीरे-धीरे काम करना ही बन्द कर देते हैं। जिस से इन जहाजों और वायुयानों का शेष विश्व से संपर्क टूट जाता है। उनके अपने दिशासूचक यन्त्र भी ख़राब हो जाते हैं। इस प्रकार ये अपना मार्ग भटक कर या तो किसी दुघर्टना का शिकार हो जाते हैं या फिर इस रहस्यमय क्षेत्र में कहीं गुम होकर इसके रहस्य को और भी अधिक गहरा देते हैं।

तमाम तरह के शोध भी हुए लेकिन तमाम शोध और जांच – पड़ताल के बाद भी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है कि आखिर गायब हुए जहाजों का पता क्यों नहीं लग पाया, उन्हें आसमान निगल गया या समुद्र लील गया, दुर्घटना की स्थिति में भी मलबा तो मिलता, लेकिन जहाजों और विमानों का मलबा तक नहीं मिला। बताया जाता है कि 100 वर्षों के दौरान यहां पर 1000 लोगों की मौत हो गई है। औसतन प्रतिवर्ष यहां पर चार एयरक्राफ्ट्स और 20 जहाज गायब हो जाते हैं।

संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका / America के दक्षिण पूर्वी अटलांटिक महासागर के अक्षांश 25 डिग्री से 45 डिग्री उत्‍तर तथा देशांतर 55 से 85 डिग्री के बीच फैले 44,00,000 वर्ग कि.मी के बीच फैली जगह, जोकि एक का‍ल्‍पनिक त्रिकोण जैसी दिखती है। यानी राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र और मध्‍य प्रदेश के क्षेत्रफल को मिला लिया जाए तो भी यह आकार में बड़ा ही साबित होगा। इस त्रिकोण के तीन कोने बरमूडा, मियामी तथा सेन जआनार, पुतौरिका को स्‍पर्श करते हैं तथा बरमूडा ट्राएंगल – स्‍ट्रेट्स ऑफ फ्लॉरिडा, यूर्टोरिको एवं अटलांटिक महासागर के बीच स्थित बरमूडा द्वीप के मध्य स्थित है।

ज्‍यादातर दुर्घटनाएं त्रिकोण की दक्षिणी सीमा के पास होती है, जो बहामास और फ्लॉरिडा के पास स्थित है। सदियों से चर्चा का विषय रहे इस त्रिकोण के क्षेत्रफल को लेकर भी तरह – तरह की बातें कही और लिखी गई हैं। इस मसले पर शोध कर चुके कुछ लेखकों ने इसकी परिधि फ्लोरिडा, बहमास, सम्पूर्ण केरेबियन द्वीप तथा महासागर के उत्तरी हिस्से के रूप में बाँधी है। कुछ ने इसे मैक्सिको की खाड़ी तक बढ़ाया है।

इस क्षेत्र में हवाई और समुद्री यातायात / Sea Transportation भी बहुतायत में रहता है। क्षेत्र की गणना दुनिया की व्यस्ततम समुद्री यातायात वाले जलमार्ग के रूप में की जाती है। यहाँ से अमेरिका, यूरोप और केरेबियन द्वीपों के लिए रोजाना कई जहाज निकलते हैं। यही नहीं, फ्लोरिडा फ्लोरिडा, केरेबियन द्वीपों और दक्षिण अमेरिका की तरफ जाने वाले हवाई जहाज भी यहीं से गुजरते हैं। यही कारण है कि कुछ लोग यह मानने को तैयार नहीं हैं कि इतने यातायात के बावजूद कोई जहाज अचानक से गायब हो जाए। ऐसे में कोई दुर्घटना होती है तो किसी को पता चल ही जाता है।

पिछले 500 सालों से रहस्यमय शक्ति का केन्द्र बने इस जलक्षेत्र के बारे में सबसे पहले अमेरिका को खोजने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस / Christopher Columbus ने दुनिया को बताया था। कोलम्बस ही वह पहले खोजकर्ता थे, जिनका सामना बरमूडा ट्राइएंगल से हुआ था। 15 वीं शताब्दी के अन्त में क्रिस्टोफर कोलंबस पहला ऐसा व्यक्ति था जिसने सन् 1492 की अपनी समुद्री यात्रा के दौरान बरमूदा त्रिकोण में कम्पास के विचित्र व्यवहार की बात कही थी।

जानकारों का मानना है कि जब कोलम्बस का जहाज़ बरमूडा ट्राइएंगल के क़रीब पहुँचा, तो उसके कम्पास (दिशा बताने वाला यंत्र) ने गड़बड़ी करना शुरू कर दी। इसके बाद उसके नाविकों में हड़कंप मच गया। ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद कोलम्बस को आसमान से एक रहस्यमयी बिजली गिरती दिखाई दी और आग का एक बहुत बड़ा गोला, जो आसमान से निकलकर सीधे समुद्र में समा गया।

इस मामले में एरिजोना स्टेट विश्वविद्यालय के शोध लाइब्रेरियन और ‘द बरमूडा ट्रायंगल मिस्ट्रीः साल्व्ड’ के लेखक लारेंस डेविड कुशे ने काफी शोध किया तथा उनका नतीजा बाकी लेखकों के अलग था। उन्होंने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से विमानों के गायब होने की बात को गलत करार दिया। कुशे ने लिखा कि विमान प्राकृतिक आपदाओं के चलते दुर्घटनाग्रस्त हुए। इस बात को बाकी लेखकों ने नजरअंदाज कर दिया था।

ऑस्ट्रेलिया में किए गए शोध से पता चला है कि इस समुद्री क्षेत्र के बड़े हिस्से में मिथेन हाईड्राइड की बहुलता है। इससे उठने वाले बुलबुले भी किसी जहाज के अचानक डूबने का कारण बन सकते हैं। इस सिलसिले में अमेरिकी भौगोलिक सर्वेक्षण विभाग (यूएसजीएस) ने एक श्वेतपत्र भी जारी किया था।

यह बात और है कि यूएसजीएस की वेबसाइट पर यह रहस्योद्‍घाटन किया गया है कि बीते 15000 सालों में समुद्री जल में से गैस के बुलबुले निकलने के प्रमाण नहीं मिले हैं। इसके अलावा अत्यधिक चुंबकीय क्षेत्र होने के कारण जहाजों में लगे उपकरण यहाँ काम करना बंद कर देते हैं। इससे जहाज रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।

बरमूडा त्रिकोण से जुड़े अनसुलझे घटनायें – List of Bermuda Triangle incidents in hindi 

  • 1872 में जहाज़ ‘द मैरी सैलेस्ट’ बरमूडा त्रिकोण में लापता हुआ, जिसका आजतक कुछ पता नहीं।
  • 1945 में नेवी के पांच हवाई जहाज़ बरमूडा त्रिकोण में समा गये। ये जहाज़ फ्लाइट-19 के थे।
  • 1947 में सेना का सी-45 सुपरफोर्ट जहाज़ बरमूडा त्रिकोण के ऊपर रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया।
  • 1948 में जहाज़ ट्यूडोर त्रिकोण में खो गया। इसका भी कुछ पता नहीं। ( डीसी-3 )
  • 1950 में अमेरिकी जहाज़ एसएस सैंड्रा यहां से गुजरा, लेकिन कहां गया कुछ पता नहीं।
  • 1952 में ब्रिटिश जहाज़ अटलांटिक में विलीन हो गया। 33 लोग मारे गये, किसी के शव तक नहीं मिले।
  • 1962 में अमेरिकी सेना का केबी-50 टैंकर प्लेन बरमूडा त्रिकोण के ऊपर से गुजरते वक़्त अचानक लापता हुआ
  • 1972 में जर्मनी का एक जहाज़ त्रिकोण में घुसते ही डूब गया। इस जहाज़ का भार 20 हज़ार टन था।
  • 1997 में जर्मनी का विमान बरमूडा त्रिकोण में घुसते ही कहां गया, कुछ पता नहीं।

ऐसे तो अमेरिकी नेवी का मानना है कि यह ट्राइंगल है ही नहीं है और अमेरिकी जियोग्राफिक नामों में ऐसा कोई भी नाम है ही नहीं। जानकारों की मानें तो बरमूडा ट्राइएंगल रहस्य नहीं बल्कि टाइम जोन का एक छोर है। धरती पर एक ब्लैक होल की तरह है बरमूडा ट्राइएंगल दूसरी दुनिया में जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आसान सी भाषा में कहें तो बरमूडा ट्राइएंगल में एक ख़ास तरह के हालात पैदा होते हैं जिसके चलते वो एक टाइम जोन से दूसरे में जाने का ज़रिया बन जाता है।

सबसे बड़ी बात ये कि इस टाइम जोन का इस्तेमाल इंसान नहीं बल्कि दूसरी दुनिया के लोग करते हैं। यानि बरमूडा ट्राइएंगल धरती से हज़ारों किलोमीटर दूर बसे हुए एलियनों के लिए एक पोर्टल है। कहा तो यहां तक जाता है कि कई प्राकृतिक, भौगोलिक और दूसरी वजहों के साथ ही इस ट्राइंगल की वजह से अटलांटिस शहर गायब हुआ है।


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